अभिनव राजस्थान का अभिनव उद्योग.
यानि छोटा उद्योग.
प्रकृति और संस्कृति के साथ बढ़ता उद्योग.
लेकिन विश्व के बाजार की मांग को पूरा करता उद्योग.
जैसे कभी हुआ करता था.
बहुत कम लोग जानते होंगे कि किसी समय में विश्व के बाजार में भारत का योगदान पचास प्रतिशत हुआ करता था. बाहर के लोगों के शोषण के तले दबते दबते आज यह एक प्रतिशत से कम हो गया है. और जब यह चरम पर था तो विश्व व्यापार के सभी प्रमुख मार्ग राजस्थान से होकर गुजरते थे. दिल्ली, बंगाल, मालवा, दक्षिण और गुजरात से मुल्तान होकर सिंध-अरब,चीन और योरोप की तरफ जाने वाले मार्ग इधर से ही गुजरते थे. इन रास्तों पर बंजारों(official transporters) के कहानियाँ आज भी बिखरी पडी हैं. पाली, बीकानेर और राजगढ़ (चुरू) उस समय की बड़ी अंतर्राष्ट्रीय मंडियां हुआ करती थीं.
वहीं राजस्थान में बने माल की दुनियाभर में मांग रहती थी. यहाँ की कारीगरी का कोई सानी नहीं था. लेकिन …………राजस्थान को बुरी नजर लगी और अंग्रेजों की कारिस्तानी से कारोबार के मशहूर रास्ते बंद हो गये. व्यापार समुद्र मार्ग से होने लगा. कलकत्ता, मद्रास और बोम्बे नए केंद्र बन गए. राजस्थान के कारोबारी भी समय के साथ उधर चल दिए. इए में यहाँ के कारीगर भी बर्बाद हो गए. छोटा उद्योग ठप्प हो गया. रही सही कसर पाकिस्तान बनने से पूरी हो गई. पश्चिम की तरफ झाँकने का काम ही नहीं रहा.
और इन सत्तर सालों में राजस्थान में केवल सत्ता बदलती रही. उपेक्षा के मारे उद्योग और कारीगर का हाल खराब होना जारी रहा. किसी के पास इनको बचाने का कोई विजन नहीं, कोई चाह भी नहीं रही. यहाँ का कारीगर, कलाकार ऐसे में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु जाने लगा. अभी भी यही हाल है.
राजस्थान के पिछड़ेपन का मूल कारण खेती की दुर्दशा और छोटे उद्योग का बर्बाद होना ही है.
लेकिन हम मानते हैं कि बीज मरे नहीं हैं. धरती बीज खाती नहीं है. राजस्थान के गाँव गाँव में बसा सुनार, सुथार, दरजी, रैगर-जीनगर, जुलाहा, छीपा, कुम्हार, लुहार और ठठेरा, आज भी उस अनूठे हुनर को संजोये बैठा है. उसके इस हुनर को निखारने के लिए बड़ी योजना, माहौल की जरूरत है. अभिनव राजस्थान यह करेगा. हमारी वेबसाइट पर सम्पूर्ण योजना तैयार है. www.abhinavrajasthan.org पर. ‘अभिनव उद्योग’ शीर्षक से.
मूलतः हम एक पंचायत समिति को एक उद्योग के लिए चिन्हित करेंगे. कोई सोने के काम के लिए तो कोई लोहे के काम के लिए तो कोई मिट्टी के सामान के लिए. शासन की तरफ से designdesigndesign, कच्चा माल, तकनीक और बाजार उपलब्ध करवाने में मदद की जायेगी लेकिन कोई subsidy नहीं होगी, कुछ भी मुफ्त नहीं होगा. यह योजना वर्तमान लचर, अव्यवहारिक और बेकार योजनाओं से बिल्कुल अलग होगी. एकदम perfect और practical. इसे बहुत शोध, संवाद के बाद तैयार किया गया है पर यह वर्तमान अफसरों या नेताओं के समझ में नहीं आयेगी और न ही उनके बस में इसे लागू करना होगा. इसके लिए धरतीपुत्रों की समर्पित टीम ही काम कर पाएगी.
मित्रों, अभिनव राजस्थान का हर रंग ऐसा होगा कि हमारा हर परिवार उसमें रंग जाएगा. यह केवल विज्ञापनों या झूठे सरकारी दावों में ही दिखाई नहीं देगा.
जब भी समय मिले तो वेबसाइट भी देखा करें. हमारा प्लान बड़ा है.
वन्दे मातरम् जो करनी है.