तो चुनाव का क्या होगा ? चुनाव नहीं होंगे क्या ?
चुनाव होंगे पर लोकनीति पर.
कैसे ? थोड़ा तसली से समझें.
कई मित्रों को लगता है कि मैं जब राजनीति के खिलाफ बोलता-लिखता हूँ तो, क्या चुनाव से परहेज है या कोई hidden agenda है !मित्रों, अभी जो चुनाव होते हैं, वे राजनीति के आधार पर होते हैं. यानि किसी भी कीमत पर ‘राज’ में आने की नीति पर. पैसे से, जाति से, शराब बांटकर, झूठ बोलकर या डराकर चुनाव जीतने की नीति चलती है. बस राज चाहिए. पार्टियां भी जीतने वाले उम्मीदवार के नाम पर यह सब खासियतें पहले गिनाती हैं ! आप आदमी अच्छे हैं, विद्वान हैं, समाज-देश के जीवन समर्पित करना चाहते हैं पर चुनाव नहीं जीत सकते तो पार्टियों के कम के नहीं हैं. बैठकर आलोचना करिये सिस्टम की. ये हैं भी -राजनैतिक पार्टियां ! राज की नीति से कम करने वाली पार्टियां. इसलिए उनके लिए राज में आने के लिए सब जायज है.
भारत की समस्या की जड़ में यह राजनीति ही है. राजतंत्र की नीति. हमें लोकतंत्र की नीति चाहिए थी-लोकनीति. पर हजारों वर्षों तक हम राजनीति के आदि थे तो वह शब्द नहीं छूटा. आज भी दिमाग से चिपका है. यानि जीप में कार का टायर लगाकर या उल्टा करके, हम जीप या कार को दोष देते हैं !
अभिनव राजस्थान और अभिनव भारत में लोकनीति होगी. चुनाव लोकनीति पर आधारित होंगे. लोकनैतिक दल होंगे. उनकी हर विषय पर स्पष्ट नीतियां होंगी. शिक्षा पर, खेती पर, उद्योग पर. उनके घोषणा पत्र legal documents होंगे. वे दस बार सोचकर, अध्ययन करके इन्हें लिखेंगे कि इनको कैसे लागू करेंगे. इनके लिए पैसा कहाँ से आएगा. तब वे ‘जुमले’ नहीं बोल पायेंगे ! तब वे फ्री फ्री नहीं कह पायेंगे. तब वे कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला चुनाव के बाद नहीं लेंगे, जैसे अभी भूमि अधिग्रहण का मामला हुआ है.
तब चुनाव नीतियों पर होंगे. जातियों पर नहीं !
लोकनीति हमारी आवश्यकता है. यह राजनीति का शब्द दफा हो जाना चाहिए. भारत में यह शब्द ही गलत है, आज सउदी अरब में सही है.
राजस्थान का अगला चुनाव लोकनीति पर हो इसकी व्यवस्था हम सब मिलकर कर देंगे. इतना माहौल हम दो साल में बना देंगे. जुमलों पर राजस्थान का अगला चुनाव नहीं होने देंगे. हम एक हजार से एक लाख कभी भी हो जायेंगे ! और जब हम ऐसा कर देंगे तो राजस्थान के विकास का ब्लूप्रिंट अपने आप बन जाएगा. ऐसा पहली बार होगा भारत में. और हो भी क्यों न ? राजस्थान भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है, भारत का प्रतिहार (पहरेदार) हमेशा रहा है. आप देखिएगा कि यहाँ के लोग जातियों और टिकिटों को ठोकर मार देंगे अगर सही लोगों की कद्र न हुई और खालिस राजनीति हुई तो.
वंदे मातरम !