राजस्थान से बाहर जा रहे हैं,
पूँजी, व्यापारी, कारीगर, खनिज, फसलें.
और राजस्थान जीमने में व्यस्त है, साफे बाँधने में व्यस्त है.
वोट देने में व्यस्त है.
विकास किस चिड़िया का नाम है ? नहीं पता. हम अभिनव राजस्थान में बताएँगे.
सुबह उठने से लेकर सोने तक हम जिन चीजों का उपयोग करते हैं, उनकी एक सूची बाना लीजिए. टूथ ब्रश और पेस्ट, चाय की पत्ती और शक्कर से लेकर रात को ओढने के बिस्तर तक. फिर पता कीजिए कि ये कहाँ बने हुए हैं. आप ताज्जुब करेंगे कि राजस्थान में उपयोग में आने वाली अस्सी प्रतिशत से अधिक वस्तुएँ प्रदेश के बाहर से उत्पादित होकर आती हैं. नतीजा ? हम इन पर जो भी खर्च करते हैं, टेक्स काटने के बाद सारा पैसा बाहर जाता है. यानि पूँजी राजस्थान में नहीं रूकती है. और पूँजी से ही विकास की गाड़ी स्टार्ट होती है. और राजस्थान में इस गाड़ी को हम धक्के दे देकर चला रहे हैं और जोर से बोलते हैं- जय जय राजस्थान !
व्यापारी भी पूँजी के पीछे पीछे राजस्थान से बाहर जा रहे हैं. जहां पूँजी रहेगी, व्यापार होगा. कई लोग गर्व करते हैं कि देखो राजस्थानी व्यापारी ने देशभर में डंका बजा रखा है. मुझे लगता है कि इस बात पर गर्व नहीं, शर्म करनी चाहिए कि हमने इन व्यापरियों को राजस्थान छोड़ने पर मजबूर कर रखा है. उनको अपनी संस्कृति से दूर अल्पसंख्यक बनने को मजबूर कर रखा है. कोई गुजराती, तमिल या मराठी व्यापरी राजस्थान में आता है क्या ?
कारीगरों को भी बिना पूँजी काम नहीं होता है. राजस्थान के सुनार-दरजी-सुथार-कुम्हार-चर्मकार-लुहार भी बरसों से राजस्थान छोड़ रहे हैं और हर साल यह संख्या बढ़ती है. क्या अकरें, यहाँ कोई प्लान ही नहीं है, जो उनको रोके.यहाँ तो खड्डे खोदने का नरेगा है !
खनिज और फसलें और अन्य कच्चा माल प्रदेश से बाहर इसलिए जाता है क्योंकि यहाँ पर्याप्त उद्योग नहीं हैं.
ऐसी स्थिति में राजस्थान का विकास कैसे हो सकता है ? एक ही रास्ता है कि हम प्रदेश का एक पूरा नया प्लान बनायें जो उत्पादन को आधार मानकर बनता हो. ‘अभिनव राजस्थान’ के ‘अभिनव उद्योग’ में ऐसा ही प्लान है जिसमें राजस्थान के कस्बों और गाँवों को उत्पादन केन्द्रों के रूप में विकसित किया जायेगा. और यह सरलता से संभव है. विस्तार से www.abhinavrajasthan.org पर देख सकते हैं.
और इसके लिए राजस्थान में जागरूक नागरिकों के एक बड़े संगठन की जरूरत है. हम यही कर रहे हैं.
अभिनव राजस्थान अभियान
राजस्थान के असली विकास के लिए.
जागरूक नागरिकों के दम पर.
वंदे मातरम !
hello sir
as a routine during search of preventive i have some observations
in few industries like ceramic tiles most of the raw material is procured from rajasthan
labour is from rajasthan
capitalist or industrialist are also from rajasthan
and even rajasthan is also used as market for selling final product i.e. ceramic tiles
sir it is looking like same condition when British people were doing with their colonies before independence
ab to rajasthan ki govt ko kuch karna padega nahi to ye system yu hi chalta rahega
you have good team know to make it good for rajasthan