भारत में किसान को exactly इस व्यवस्था में क्या चाहिए ?
(छोड़ो यह मुआवजा, मेहरबानी. मूर्ख मत बनाओ. और आत्महत्या या गुटन या सिसकियाँ रोकना कहाँ तुम खादी वालों के बस का सौदा है. लोकनीति आने दो, हम अपने आप समाधान निकाल लेंगे. )पांच बातें, जो इसी व्यवस्था के भीतर की जा सकती हैं, बिना एक रूपया अतिरिक्त खर्च किये. वे तीन बातें जो प्रत्येक किसान को एक सफल व्यवसायी बना सकती हैं.
१. खेती की लागत को कम करने के लिए डीजल का भाव कम करना है. दुनिया में जिस गति से डीजल सस्ता हुआ है, उसका लाभ किसान को मिलता तो एक बीघे में cultivation cost आधी हो जाती है. उन्नत बीज की कीमतें भी बहुत ज्यादा हैं. हम जानते हैं कि इन्हें भी आधा आराम से किया जा सकता है और स्थानीय किस्मों को पुनः बढ़ावा दिया जा सकता है. उन्हें स्थानीय स्तर पर उत्पादित किया जा सकता है. बस हमारे कृषि वैज्ञानिकों और किसान का सजीव सम्बन्ध स्थापित करने की देर है. खाद के नाम पर रसायन डालना धोखा है. उत्पादन बढ़ाने का इसका प्रचार वैसा ही है, जैसे कोका कोला का ! इन तीन स्तरों पर काम करके लागत कम किया जा सकता है.
२. फसल की कीमत सही मिले, इसके लिए नया कुछ नहीं करना है. बस मंडी समिति के नियमों को अक्षरशः लागू कर फसल की कीमत का वैज्ञानिक विधि से आकलन करना है. एक क्विंटल पर इतना लाभ तय हो जायेगा कि किसान के परिवार की थकान कम हो जायेगी.
३. खेती के व्यवसाय को सुरक्षित बनाने के लिए बीमा कंपनियों की ठगाई रोकनी है.
४. कृषि मंत्री को सबसे महत्त्वपूर्ण मंत्री और जिले में कृषि अधिकारी को सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी बनाना है.
५. कृषि शिक्षा का कुल शिक्षा में प्रतिशत वर्तमान (एक प्रतिशत) से बढ़ाकर बीस प्रतिशत कर देना है और इस शिक्षा को व्यवहारिक बनाकर समाज में उतारना है.
ऐसा नहीं है कि मैं कोई नई बात कह रहा हूँ. विकसित देशों ने यह किया है, कम पाने वाले इजरायल ने किया है, चीन ने किया है, न्यूजीलेंड ने किया है. वे इसलिए कर सके क्योंकि वहाँ लोकतंत्र और लोकनीति है. वहाँ किसान और खेती का सम्मान है. हम अभी इसलिए नहीं कर पाए क्योंकि यहाँ राजनीति है. महज राज में आने की नीति और यहाँ खेती और किसान का सम्मान भी नहीं है.
अभिनव राजस्थान अभियान
किसानों के सपने सच करने का अभियान.
hellonice qegmum :-)
hinice yxwher :-)