(अभिनव पशुपालन )
अभिनव राजस्थान में एक भी गाय या बैल आवारा घूमता दिखाई नहीं देगा.
एक भी नहीं.
लेकिन यह गौशालाओं के भरोसे नहीं होगा.
शासन की अपनी व्यवस्था से होगा.
राजस्थान का प्रत्येक पालतू जानवर एक productive unit होगा.
प्रदेश के छः करोड़ जानवर बहुत बड़ा asset है लेकिन शासन की नासमझी, उदासीनता और नाकारापन के कारण इनके लिए ठीक से plan नहीं हो पाया है.
आपने नहीं सुना-पढ़ा होगा कि किसी मुख्यमंत्री ने आज तक इस विषय पर कुछ कहा हो ? जबकि राजस्थान की अर्थव्यवस्था के बारे में हर किताब में यही लिखा है कि खेती और पशुपालन का संगम राजस्थान के विकास का engine होगा. कौन पढ़े, कौन समझे, कौन माने. जब सत्ता जात-पात से या छल कपट से या चापलूसी या समाज को बाँटने से मिलती है तो कौन यह सब सोचे ? और ऐसे में वो कहते हैं कि पर्यटन से राजस्थान का विकास होगा ! कुछ विदेशी राजस्थान में हर साल घूमने आयेंगे और राजस्थान का कायापलट कर देंगे. बाहरी नेता और बाहरी अफसर जब खुद राजस्थान में राजनैतिक पर्यटन करने आये हैं तो वे यही सोचेंगे !
लेकिन अभिनव राजस्थान में वह सब होगा, जो अर्थव्यवस्था की किताब में लिखा है. और वहसब करते ही एक एक पालतू जानवर साल में पचास हजार से एक लाख रूपये की आमदनी दे देगा. ऐसे में कौन किस जानवर को आवारा होने के लिए छोड़ेगा. राजस्थान की गाय-बैल-बकरी-भेड़-ऊँट को खेती और छोटे उद्योग से connect करते ही विकास के मायने बदलने लगेंगे. बैलों से खेती नहीं हो पायेगी लेकिन उनके गोबर और गोमूत्र की value ही उनकी उपयोगिता सिद्ध कर देगी. बकरी से दूध, गोबर के साथ ही बाल मिलेंगे, जिसके handloom product पूरी दुनिया में धूम मचाएंगे. भेड़ों की ऊन से बने उत्पाद फिर से बाजार को गर्म करेंगे और नकली ऊन से छुटकारा मिलेगा. ऊँटनी के दूध को कब का diabetes में फायदेमंद बताया हुआ है. दवा के रूप में इसकी कीमत पशुपालक को मालामाल कर देगी. और इस सबसे मिलने वाले रोजगार, खेती और उद्योग को कच्चे शुद्ध माल की आपूर्ति और राजस्थान का पैसा राजस्थान में रूकने का क्या कहना.
ऐसे बनते हैं समाज और देश समृद्ध. केवल इसका या उसका राज होना पर्याप्त नहीं है. इनके या उनके भरोसे राजस्थान का विकास नहीं होगा. या कहें कि खुद मरे बगैर मोक्ष नहीं मिलेगा, यह मान लेना होगा.
आपां नहीं तो कुण ? आज नहीं तो कद ?
(अभिनव राजस्थान कब बनेगा और कैसे बनेगा ? जब राजस्थान में आप जैसे दो हजार ऐसे नागरिक तैयार हो जायेंगे जो इन गंभीर मुद्दों पर बातें करने लगेंगे और अख़बार-चेनल से आगे बढ़कर सोचेंगे. हमारा target 2016 है. एक साल में यह जागृत समूह खड़ा करना है. फिर देखिये कि कैसे नजारा बदलता है. बहुत कुछ इन तीन सालों में बदल जाएगा . और ऐसे में 2018 का चुनाव और उसके मुद्दे आजादी के बाद पहली बार जुदा होंगे. राजस्थान में नई व्यवस्था के नाम पर जागृत जनता वोट करेगी.)
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