एक जमीनी हकीकत,
एक किसान परिवार का जीवन.
क्या उम्मीदें बची हैं ? क्या समाधान है ?
मित्रों, राजस्थान के एक किसान परिवार के जीवन को सरल शब्दों में जानिए. आप में से कई तो ऐसे परिवार में आज रह भी रहे होंगे. मान लीजिए कि इस परिवार के पास 40 बीघा जमीन है और सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है. पांच सदस्य हैं इस परिवार में. बारिश पर आधारित खेती में इस किसान परिवार की आमदनी कितने हो सकती है ? Net Income. एक बीघे में ठीक बारिश हो और किस्मत भी ठीक हो तो औसतन दो हजार रूपये. यानि कुल जमा 80 हजार सालाना आमदनी हो सकती है. एक महीने के हिसाब से लगभग 7 हजार रूपये महीने की आमदनी. 7 हजार रूपये में पांच सदस्यों का परिवार कैसे पलता है, यह उस परिवार में रहने वाले लोग ही जानते हैं. सरकारी योजना बनाने वाले अफसर या नेता इस स्थिति से वाकिफ नहीं होते हैं या वाकिफ नहीं होना चाहते हैं.
अब घर में कोई सामाजिक समारोह का काम पड़ जाए या कोई बीमारी दस्तक दे दे तो गए काम से. घर की सारी अर्थव्यवस्था चौपट. फिर कर्ज लो या जमीन बेचो. किसान कार्ड की लिमिट पहले ही पूरी हो चुकी होती है. कुछ कर्जा पहले ही चढ़ा होता है. कर्जे के चक्र में जैसे ही यह परिवार फंसता है, सारी बुद्धि, सारा ज्ञान काफूर हो जाता है. निराशा घेर लेती है. चेहरे की रौनक कम हो जाती है. परिवार का मुखिया गुठका, जर्दा या अफीम खाने लगता है. ऐंठ में समाज को अपनी कमजोरी भी नहीं बतानी है.
इस परिवार के कई दर्द हैं मित्रों. लेकिन उनका समाधान ढूँढने की ईमानदार कोशिश आजतक भारत में नहीं हुई है. किसानों की आत्महत्या चुनावी मुद्दा भर है, अंदर झांककर देखना और समाधान निकालना कोई नहीं चाहता है. किसान और उसकी समस्याएं अभी भारत में महत्त्वपूर्ण नहीं हैं और न ही अब उनके नाम पर वोट मिलते हैं. पहले मिलते थे तो कई साल मूर्ख बनाकर काम चला लिया. अब नहीं मिलते हैं तो मुद्दे बदल दिए गए. खैर !
इस परिवार की समस्याओं के समाधान क्या है ? ‘अभिनव राजस्थान’ में हम क्या करेंगे ?
१. इस परिवार को अनावश्यक सामाजिक खर्च के जाल से बाहर निकालेंगे. पहला कदम. समाज के लोगों को समझाकर. एक प्रयास हमने नागौर में किया भी है, उसे जारी रखेंगे और राजस्थान भर में नए रूप में आंदोलन करेंगे.
२. खेत में जल संरक्षण को आन्दोलन बनायेंगे. बारिश का पानी खेत में रोककर सिंचाई का साधन बनाएंगे. इससे फसल का उत्पादन बढ़ेगा.
३. मिट्टी परीक्षण के आधार पर उचित स्थानीय बीज की व्यवस्था करेंगे. जैविक खाद और दवा की व्यवस्था करेंगे.
४. फसल का पूरा बीमा करेंगे. प्रकृति की मार से फसल नष्ट होगी तो पूरा पैसा देंगे, मुआवजे की भीख नहीं.
५. पशुपालन को खेती से जोडेंगे. यह चक्र अभी कहीं न कहीं टूटा पड़ा है.
६. फसल का उचित दाम दिलवाने के लिए कृषि मंडी समिति और सहकारी व्यवस्था को दुरस्त करेंगे.
७. गाँव में ही फसलों से जुड़े छोटे उद्द्योग स्थापित करवाएंगे ताकि खाली समय में रोजगार के साधन बढ़ें.
ऐसी स्थिति में 40 बीघा जमीन में आमदनी होगी- कम से कम 10 लाख ! यह आंकड़ा 20 लाख भी हो सकता है. फल और सब्जियां जब बोयेंगे तो आमदनी कई गुना हो जायेगी.
‘अभिनव राजस्थान’ की ‘अभिनव कृषि’ ऐसी ही होगी. विस्तार से abhinavrajasthan.org पर जानकारी उपलब्ध है. मैं मानता हूँ कि आज यह विषय बोरिंग है, निराश किसान समाज भी इस विषय पर कुछ सुनना या पढ़ना नहीं चाहता है पर और कोई रास्ता नहीं है.
वंदे मातरम !
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