खेजड़ी इस धरती का सबसे प्यारा वृक्ष है ! सर्वगुण संपन्न.
और हमें गर्व है कि यह राजस्थान की जलवायु के साथ संतुलित है. अभिनव राजस्थान इस ‘कल्पवृक्ष’ को लेकर बड़ी योजना बनाएगा. राजस्थान की समृद्धि को लेकर, मानवता के कल्याण को लेकर. मित्रों, खेजड़ी या Prosopis Cineraria वह अनूठा वृक्ष है जिसके नीचे फसलों का उत्पादन बहुत ज्यादा होता है.नीम, पीपल या बरगद के नीचे यह सम्भव नहीं है. खेजड़ी की जड़ों में उपलब्ध गांठें और उनमें रहने वाले Rhizobium जीवाणु हवा में से Nitrogen खींचकर जमीन में fix कर देते हैं. इससे जमीन की उपज क्षमता बढ़ जाती है. जिस खेत में जितने ज्यादा खेजड़ी के पौधे होंगे, उतना ही ज्यादा उस खेत में फसल उत्पादन होगा.
खेजड़ी के सभी partsहमारे काम आते हैं. इसकी पत्तियाँ (लूँग) protein से भरपूर होती हैं तो इसका फल (सांगरी) पौष्टिक होने के साथ पेट की कई बीमारियों से निजात दिलवाता है. खेजड़ी की छाल का लेप करने से घाव बहुत ही जल्दी भरते हैं. यह antibiotic का काम करती है. खेजड़ी की जड़ें खेत को उपजाऊ बनाती हैं तो इसकी टहनियां ईंधन और खेत की बाड़ के काम आती हैं. इन टहनियों को तो प्राचीन भारत में इतना पवित्र माना जाता था कि किसी भी धार्मिक यज्ञ की शुरुआत में खेजड़ी की टहनियों ही काम आती थीं. संस्कृत में इसे ‘शमी’ कहते हैं.
आज हम खेजड़ी की इस वैज्ञानिक-धार्मिक-आर्थिक पक्ष को भूल चुके हैं. जाम्भोजी के शिष्यों ने जरूर इस धरती पर खेजड़ी के लिए विश्व का अद्वितीय बलिदान किया था पर शासकों और राजस्थान की वर्तमान सरकारों ने खेजड़ी की उपेक्षा ही की है.
अभिनव राजस्थान खेजड़ी के माध्यम से इस धरती पर पर्यावरण संरक्षण का नया अध्याय लिखेगा. साथ ही खेजड़ी को आर्थिक समृद्धि से सीधे सीधे जोड़कर विश्व में इससे जुड़े उत्पादों की जबरदस्त मार्केटिंग करेगा.
अभिनव राजस्थान तभी तो पूरी दुनिया में उम्मीद के रोशनी की तरह दिखाई देगा.
भारत और धरती मां का बन्दे मातरम् तभी होगा.