‘चेत सखे तो चेत मानखा, जमानो चेतण रो आयो’
डॉ. अशोक चौधरी
94141-18995(ashokakeli@gmail.com)
मित्रों,
अब वह समय आ गया है, जब आपसे स्पष्ट बात कर ली जाए. अभियान के इरादे बता दिते जाएँ. अभियान की मंजिल का पता बता दिया जाए. दो-तीन वर्षों से जिस ‘अभिनव राजस्थान’ की अवधारणा को प्रदेश के जागरूक नागरिकों के साथ बांटा जा रहा है, उस पर वास्तविक काम भी शुरू कर दिया जाए. यह काम स्थानीय स्तर पर तो शुरू हो ही चुका है, जैसा इस अंक में आपको जानने को मिल रहा है. बस इसी तर्ज़ पर प्रदेश के अन्य स्थानों पर ‘अभिनव राजस्थान’ की रचना के लिए प्रयास करने हैं. और इसके लिए आप लोगों की सक्रियता आवश्यक है. केवल अखबार पढने या इसके लेखन की तारीफ़ करने से यह काम आगे नहीं बढ़ पायेगा. अपने यूँ ही व्यस्त होने, शादियों की सीजन होने, सर्दी-गर्मी-बरसात होने, बीमार या बूढ़े होने के बहाने अब बहुत हो लिए. अब तो खुद को आगे बढ़ कर जिम्मेदारी लेनी होगी.
क्या है अभियान ?
आप यह जान लें कि ‘अभिनव राजस्थान अभियान’ कोई साबुन-तेल बेचने का उपक्रम नहीं है. न ही कोई रीटेल चैन हमें बनानी है, जिसमें आगे से आगे सदस्य बनाने हों. न ही यह कोई एन जी ओ (स्वयं सेवी संगठन) है, जो किसी सरकारी या विदेशी सहायता को ऐंठने के चक्कर में हो. कि कह दें कि हम जनजागरण कर रहे हैं, गरीबी मिटा रहे हैं या कि बीमारियों की रोकथाम के तरीके जनता को बता रहे हैं और हमें पैसे चाहिए. या कोई पुरस्कार चाहिए ! यह तो अभियान है, हमारे प्रदेश और देश को वास्तविक रूप से विकसित करने का. वर्तमान और अगली पीढ़ी के लिए खुशहाली का मार्ग प्रशस्त करने का. यह मार्ग प्रशस्त होगा, ऐसे विकास से जिसका सीधा सा उद्धेश्य या अर्थ है, राजस्थान के उत्पादन को बढ़ाना. हमें हर खेत का और छोटे उद्योग का उत्पादन बढ़ाना है. इस उत्पादन को बढाकर हमारे परिवारों की आमदनी बढानी है. प्रदेश की आमदनी बढानी है. इस बढ़ी आमदनी से हमें अपनी सुविधाओं का विस्तार करना है, उनकी गुणवत्ता को सुधारना है. सड़क-बिजली-पानी-शिक्षा-स्वास्थ्य-सुरक्षा की सेवाओं को बेहतर बनाना है. वह भी अपने पैसों से. अमेरिका, योरोप, जर्मनी या जापान से ब्याज पर उधार लिए पैसे से नहीं. अभी जो कर्ज लेकर सड़कें बन रही हैं, बिजली बन रही है, पानी पिलाया जा रहा है, वह खतरनाक खेल है. अभिनव राजस्थान में अपने दम पर इसके लिए पूंजी जुटाने की पूरी योजना है, पक्की योजना है. साथ में यह भी ध्यान रखना है कि यह विकास हमारी प्रकृति के अंधाधुंध दोहन या संस्कृति के प्रदूषण पर आधारित न हो. तभी तो इस विकास का सही अर्थ होगा, तभी तो यह विकास स्थायी होगा. यही है ‘अभिनव राजस्थान अभियान’. और हम ऐसा ‘अभिनव राजस्थान’ बनाकर छोड़ेंगे. अपनी पूरी ऊर्जा, ताकत और समर्पण से ऐसा करके दिखाएँगे.
अभियान है, आन्दोलन नहीं
परन्तु यह भी ध्यान रखें कि यह एक ‘अभियान’ है, ‘आंदोलन’ नहीं है. इस फर्क को भी ध्यान रखें. इसका भी गहरा अर्थ है. यह एक निश्चित लक्ष्य के प्रति समर्पित अभियान है, ‘मिशन’ है. किसी सरकार, संस्था या व्यक्ति के विरोध के लिए चलाया गया आंदोलन नहीं है. बाबा या अन्ना की तरह हमारा किसी से कोई विरोध नहीं है. हमने किसका विरोध करना है. आजाद भारत हम सबका है. हमें तो अपने हाथों अपनी तकदीर लिखनी है. इसके लिए किसी का विरोध क्या करना. कल अंग्रेजों का विरोध कर रहे थे, फिर इंदिरा गाँधी का विरोध और अब कॉंग्रेस का विरोध. क्या यही काम अब भी करते रहेंगे ? हाँ, यह हो सकता है कि विचार अलग हों, कार्यशैली अलग हो. लेकिन केवल विरोध ही क्यों ? अपने दम पर नई व्यवस्था बनाओ न, किसने रोका है. आजाद होने पर भी इस भारत के प्रति अपनापन क्यों नहीं है ? क्यों अब भी यह दूसरों की बपौती लगता है ? अपने ही देश पर अधिकार का भाव क्यों नहीं है ? क्या ऐसा नहीं है कि अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए विरोध का बहाना ढूंढ कर उसे महिमामंडित किया जा रहा है. यह विरोध का महिमामंडन अब बंद होना चाहिए. विरोध में धरने-अनशन करने वालों को अब विश्राम करना चाहिए. देश में निराशा फैलाने वाले इन लोगों को अब घर बिठा दिया जाना चाहिए. सकारात्मक सोच वालों , आशावादी लोगों को आगे आना चाहिए.
इस दृष्टि से ‘अभिनव राजस्थान अभियान’ अपने आप में अद्भुत है. इसकी सोच, इसकी कार्यप्रणाली निराली है. इसके इरादे बुलंद हैं. यह किसी की आलोचना की नींव पर नहीं खड़ा है. समीक्षा के आधार पर खड़ा है. वहीं यह अभियान राजस्थान और भारत के आम और खास सबके लिए है. राजस्थान तो इस अभियान में एक इकाई मात्र है. इसका अर्थ कोई ‘क्षेत्रवाद’ से न लगा ले. यह अभियान तो देश- प्रदेश के सभी परिवारों, सभी वर्गों के साझे विकास की योजना लेकर चलने वाला है. दूसरी तरफ यह अभियान तथ्यों को परख कर चलेगा. हवा में नहीं चलेगा, सुनी सुनायी बातों पर नहीं चलेगा. गलत धारणाओं पर आधारित नहीं होगा. भ्रमक प्रचार बहुत हो लिए देश में, प्रदेश में.
हम कैसे काम करेंगे ?
हमारे काम करने के तरीके कैसे होंगे ? हमारी कार्यशैली इस निराले कार्य के लिए कैसी होगी ? यह जान लें.
1. प्रारंभ में हम प्रदेश के प्रत्येक जिले के किसी गांव या शहर की किसी स्थानीय समस्या पर ध्यान देंगे. ऐसी समस्या जो उस गांव या शहर के अधिकाँश लोगों को परेशान कर रही है. जिससे वहां के नागरिकों को सबसे अधिक परेशानी है. उस समस्या का हम पहले अध्ययन करेंगे, उसके बारे में विस्तार से तथ्य और आंकडे जुटाएंगे और फिर उसके समाधान के वाजिब विकल्प ढूँढेंगे. हम असम्भव दिखने वाले समाधान या अत्यधिक विवादों को जन्म देने वाले समाधान अभी नहीं ढूँढेंगे. इसके बाद उस गांव या शहर में इस समाधान के पक्ष में हम जनजागरण करेंगे. इस जनजागरण के लिए हमारे कार्यकर्त्ता गली-मोहल्लों-बाजार में जनसंपर्क करेंगे. तभी यह जनजागरण सफल होगा. तभी इसका प्रभाव पड़ेगा. तभी इसके असर से समाधान नजदीक दिखाई देगा और जनता का हौसला बढ़ेगा. परन्तु समाधान होने तक प्रयास सतत रहेगा, लगातार जारी रहेगा.
2. हमें यह ध्यान रखना होगा कि हमारी काम करने की शैली सकारात्मक हो, हमारी भाषा में केवल आलोचना का पुट न हो. हमने मान लेना है कि अभी तक अगर यह समस्या रही है, तो उसके लिए कोई नेता या अफसर जिम्मेदार नहीं है, बल्कि जनता की जाग्रति या सक्रियता के आभाव में यह समस्या रही है. अगर पहले इस पर ठीक ढंग से जनता बात करती या विषय को उचित तरीके से उचित मंच पर रखती, तो हल पहले भी निकल सकता था. यह भाव रखने से ज्यादा लोग जुडेंगे. वहीँ हमें दृढता से भी काम करना है, फिजूल आरोपों या फिकरों की या व्यंग्यों या निराशा भरे वक्तव्यों की परवाह नहीं करनी है. अच्छे कामों के रास्तों में ऐसे पत्थर तो हमेशा मिलेंगे लेकिन हमारा हौसला और जोश कायम रहा तो यही पत्थर, मील के पत्थर बन जायेंगे !
3. इसके साथ साथ हम उस गांव या शहर की सम्पूर्ण आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक स्थिति का आकलन करेंगे. यह देखेंगे कि पिछले छः दशकों में यह गांव या शहर कितना आगे बढ़ा है. महंगाई की तुलना में यहाँ की आमदनी कितनी बढ़ी है, उत्पादन कितना बढ़ा है. समाज, संस्कृति और प्रकृति के क्या हाल हैं. हम यह भी पता करेंगे कि वहां के नागरिक शासन की नीतियों और योजनाओं के बारे में क्या सोचते हैं. हम उनसे जानना चाहेंगे कि इन योजनाओं से उनके जीवन में क्या परिवर्तन आये हैं. तब हम उनसे ‘अभिनव राजस्थान’ की नीतियों और योजनाओं पर चर्चा करेंगे. यह जानेंगे कि अगर इनको लागू किया जाए तो क्या संभावनाएं वे देखते हैं.
4. हमारे इस कार्य के लिए हम सूचना के अधिकार, मीडिया और जरूरत पड़ने पर न्यायालय का भी सहारा लेंगे. पर हम केवल जबानी जमा खर्च नहीं करेंगे. हमने खूब लिखना होगा, खूब पढ़ना होगा, घर और गली से बाहर निकलना होगा. सुझाव, सलाह या आलोचना से यह गंभीर कार्य नहीं होगा.
इस प्रकार यह रचनात्मक कार्य आगे बढ़ेगा. धीरे धीरे इसकी महक संपूर्ण राजस्थान में फैलेगी. जनता ‘अभिनव राजस्थान’ के प्रति में विश्वास जगेगा. तब हम अपनी आगे की रणनीति पर काम करेंगे. उस रणनीति पर, जिसका वर्णन हमने पिछले अंकों में खूब किया है और जो हमारी वेबसाइट abhinavrajasthan.org पर भी उपलब्ध है.