अविश्वास पर आधारित है वर्तमान राजस्थान और भारत (एक दिन मेरे अग्रज Bhupendra Singh जी ने कहा था मुझे). एकदम ठीक कहा था उन्होंने.
लेकिन मैंने उन्हें कहा कि ‘अभिनव राजस्थान’ के तो आधार में ही विश्वास होगा.
Recruitment, Promotion, Examination में पुनः विश्वास आधारित व्यवस्था बनायेंगे.
ताकि गुणवत्ता पनपे और विकास की गति तेज हो.
१. शिक्षकों पर अविश्वास के चलते हमने सभी परीक्षाओं को मात्र objective करने के निर्णय कर लिए. शिक्षक के मूल्यांकन का महत्त्व यह कहकर नकार दिया कि वह पक्षपात करता है. प्रायोगिक कक्षाओं को भी नकार दिया गया. माना कि कुछ शिक्षकों ने ऐसा किया भी होगा या अब भी कर सकते हैं पर एक छोटी कमी को दूर करने के बजाय उसे ढंकने के लिए हमने एक बड़ी बीमारी को जन्म दे दिया. विद्यार्थी को तोता बना दिया और शिक्षक-शिष्य के रिश्ते को विदा कर दिया. स्कूल में ज्ञान का सृजन कम हो गया और यह मात्र जानकारी देने का केंद्र हो गया.
‘अभिनव राजस्थान’ में हम इसे दुरस्त करेंगे और शिक्षक पर विश्वास कर उसके अंदर के ‘गुरु’ भाव को जगायेंगे. शिक्षक पर ही कोई समाज विश्वास नहीं करेगा तो आगे कैसे बढ़ेगा ? यह तो समाज और देश को नकारने वाली बात हो गई. बेहद खौफनाक.
२. शासन में प्रवेश या भर्तियों के मामले में भी साक्षात्कार जैसे महत्वपूर्ण पक्ष को कमतर किया जाने लगा है. अब हर कोई हबीब खां गोरान की तरह थोड़े ही होता है. साक्षात्कार के बिना किसी व्यक्ति का उस सेवा के लिए रुझान और क्षमता कैसे मालूम चलेगी ?
‘अभिनव राजस्थान’ में आधा जोर या आधे मार्क्स पुनः साक्षात्कार के होंगे.
३. प्रोमोशन में जबसे ACR को तिलांजलि दी गई है तबसे अच्छा काम करने का एक महत्त्वपूर्ण motive ही कम हो गया है. घोड़े और गधे एक समान आंके जा रहे हैं. सेवा की अवधि से प्रोमोशन होना जड़ता को जन्म देता है. ऐसे में कोई व्यक्ति क्यों भला कर्मठता से काम करता करेगा ? कुछ नेता या अधिकारी पक्षपात कर गए होंगे पर उस पूरी प्रक्रिया को टांग देना कितना नुकसानदायक हो गया है, इसका कोई आकलन होगा ?
‘अभिनव राजस्थान’ में हर अधिकारी-कर्मचारी को उसके योगदान के आधार पर पुनः पुरानी पद्धति से प्रोत्साहन मिलेगा.
‘अभिनव समाज’ ‘अभिनव शिक्षा’ और ‘अभिनव शासन’ की रचना से हम समाज को पुनः विश्वास से भरेंगे और ज्ञान के सृजन और योग्यता के सम्मान का मार्ग प्रशस्त करेंगे.सभी विकसित सभ्यताओं में ऐसा होता आया है और आज भी विकसित देशों में विश्वास आधारित व्यवस्थाएं उन देशों के विकास के मूल में हैं.
विस्तार से जानकारी इसी साईट पर उपलब्ध है.
वंदे मातरम !