अभिनव राजस्थान क्या है ? और यह कैसे बनेगा ?
बहुत ही सरल शब्दों में.
अभिनव राजस्थान उस समाज और शासन की व्यवस्था का नाम है, जिसमें राजस्थान प्रदेश में वास्तविक लोकतंत्र के माध्यम से वास्तविक विकास होगा. वास्तविक लोकतंत्र का मतलब उस तंत्र या system से है, जो अपने सदस्यों की समृद्धि के प्रति समर्पित हो और जिसमें वास्तविक विकास के समान अवसर हों. वास्तविक विकास से अर्थ उस विकास से है, जिसमें औसत परिवार महंगाई के वर्तमान स्तर पर एक सम्मानजनक जीवन जी सके और उसे सभी मूलभूत सुविधाएँ आसानी से उचित टेक्स या कर की दर पर उपलब्ध हों. और यह विकास हमारी प्रकृति और संस्कृति के साथ समन्वय से हो ताकि चिरस्थाई और आनंददायक हो.
क्या यह एक आदर्श स्थिति या स्वप्न नहीं है ?
जी नहीं. इसी धरती पर कई देशों के नागरिकों ने अपने लिए ऐसा समाज और शासन खड़ा कर लिया है. नोर्वे, स्वीडन, न्यूजीलेंड, फिनलेंड,सिंगापूर जैसे कई उदहारण हैं. अगर वे कर सके तो हम भी कर सकते हैं. राजस्थान में, भारत में. हमें अभी विश्वास इसलिए नहीं होता है क्योंकि हम सदियों तक गुलाम रहे और तथाकथित आजादी के बाद हमारे राजनेताओं ने भी अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाई. जबकि हम कहते हैं कि जैसी जनता, वैसे नेता. हम जागरूक नागरिकों का इतना बड़ा समूह बनायेंगे कि किसी एक नेता या छद्म अवतार के भरोसे नहीं रहेंगे. अभिनव राजस्थान ही क्यों, अभिनव भारत क्यों नहीं ?
हमारे पास उपलब्ध संसाधनों के कारण हमने अभी हमारी इकाई राजस्थान को रखा है. आगे चलकर इसका विस्तार अभिनव भारत के रूप में होगा.
यह अभिनव राजस्थान कैसे बनेगा ?
कागज, कलम, संगठन, सम्पर्क और सभाओं से. हमारी यही रणनीति रहेगी. न धरने, ना प्रदर्शन, ना निंदा, न घृणा. केवल प्रेम, भाईचारा और सहयोग हमारे मन्त्र होंगे.
हम सभी मित्र पांच पांच के समूहों में काम करेंगे और 2017 में राजस्थान के कोने कोने में अभिनव राजस्थान की नई व्यवस्था के बारे में जनमत बनायेंगे. हम यह मानते हैं कि पहले व्यवस्था को समाज स्वीकारे, फिर उसके अनुरूप शासन बने. तभी यह व्यवस्था सार्थक होगी, सफल होगी.
एक वर्ष बाद हम पुनः समीक्षा करेंगे और आगे की रणनीति बनायेंगे. हमें 2020 में अभिनव राजस्थान की नींव रख देनी है.
अभी तक हमने क्या किया है ?
वर्ष 2011 से अभी तक हमने राजस्थान भर में भ्रमण किया है, अनेकों लोगों से सम्पर्क किया है, हजारों मित्र बनाये हैं और वर्तमान व्यवस्था को जानने समझने का प्रयास किया है. इसी आधार पर हमने ऐसी नई व्यवस्था का खाका बनाया है, जो राजस्थानी समाज, प्रकृति और संस्कृति के अनुकूल है. हमें व्यवहारिक कार्ययोजनाएं बनाई हैं, जो समाज के धरातल पर टिक सकें. इनमें से कई बातों का जिक्र हमारी वेबसाइट www.abhinavrajasthan.org पर है. फेसबुक पर Abhinav Rajasthan नाम से हमारा पेज भी है, जहाँ हमारी गतिविधियों का अपडेट रहता है. लेकिन ध्यान रहे कि हम लोग घृणा या बदले की भावना या RTI इस्तेमाल से छद्म चमत्कार करने से दूर रहते हैं. RTI हमारे लिए साधन है, साध्य नहीं है, लक्ष्य नहीं है.
लक्ष्य अभिनव राजस्थान है.
हमारा कोई संगठन या फंड है क्या ? इससे कैसे जुड़ सकते हैं ?
बिल्कुल नहीं है. हम मित्रों के एक स्वतंत्र विचार और क्रियाशील समूह के रूप में काम कर रहे हैं. हमारा कोई फंड या कोष भी नहीं है. हमारे मित्र अपनी जेब से खर्च करके दिया गया काम करते हैं. काम क्या ? कोई पत्र या आवेदन लिखना और किसी एक विभाग को समझना, उसमें सुधार के प्रयास करवाना. इससे इत्रों की लोकतान्त्रिक समझ बढती है, जिसकी इस देश को आज बहुत अधिक जरूरत है. भारत की समस्याओं के तल में जागरूकता की कमी ही है.
हम अभी तक कई कार्य इस योजना से करवा चुके हैं. प्रदेश में पुलिस जवाबदेही समितियों का गठन, सूचना के अधिकार की धारा 4(1) को लागू करवाना, कृषि बीमा योजना में सुधार ऐसे काम है, जिनमें हमें सफलता मिली है.
हमारे अभियान से जुड़ने के लिए कोई सदस्यता शुल्क या औपचारिकता नहीं है. पहले से काम कर रहे किसी समूह में जुड़कर काम कर सकते हैं. काम सकारात्मक हो, नीयत साफ़ और समाज-देश के प्रति कुछ करने का जज्बा हो. काम जितना चाहें करें, जब चाहे छोड़ दें. कोई औपचारिकता नहीं है.
अब इस नई व्यवस्था को विस्तार से आमजन के सामने रखने के लिए हमारी पुस्तक ‘अभिनव राजस्थान’ तैयार है और उसका विमोचन 25 दिसम्बर 2016 को जयपुर के बिड़ला सभागार में होना है.
हमारा नारा है- आपां, नहीं तो कुण ? आज नहीं तो कद ?