‘अभिनव राजस्थान ‘ राजस्थान प्रदेश के लिए एक नई व्यवस्था का नाम है.
हम मानते हैं कि वर्तमान व्यवस्था बिलकुल सड़ चुकी है और इसमें सुधार की कोई गुंजाईश नहीं है. इसकी जगह नई और सार्थक, व्यवहारिक व्यवस्था स्थापित करनी होगी.
वही अंतिम-सार्थक और स्थाई समाधान है.
जैसे किसी जर्जर हो चुके मकान के साथ करना होता है. ऊपर ऊपर लीपापोती से अन्दर की बीमारी और गंभीर हो रही है. अब देखिये न, राजस्थान की खेती बर्बाद हो गई, किसान निराश है. हाथ से काम करने वाले कुम्हार-लुहार-सुनार-मोची-बुनकर-रंगरेज-सुथार-दरजी अपने काम से कब के दूर जा चुके हैं. बाजार में भरा नब्बे फीसदी माल या तो राजस्थान से बाहर का है या फिर चीन का या दूसरे देशों का है.
समाज, प्रकृति और संस्कृति इतने प्रदूषित हो गए हैं कि अराजकता फ़ैली हुई है. क्या क्या गिनाओ कि समाज और संस्कृति को किस किस ने कितना नुकसान किया है. आप सब जानते हैं. उधर प्रशासन नाम की कोई चीज बची नहीं है. सेवा और समर्पण दूर दूर नहीं है. ‘राज’ के भूखे राजनेता कुछ स्वार्थी अफसरों से मिलकर दोनों हाथों से व्यवस्था को नोंच रहे हैं और गुर्रा भी रहे हैं. जनता डरी हुई, सहमी हुई. वोट देने को भारी अधिकार समझ रही है, वोटतंत्र को लोकतंत्र समझ रही है ! बुद्धिजीवी बने हुए कुछ जीव जो शब्द और वाक्य बना लेते हैं, वे स्तुति या निंदा को बुद्धि का इस्तेमाल बताते हैं.
शिक्षा-स्वास्थ्य-सड़क-पानी-सुरक्षा का हाल भी दिनों दिन सुधरने की बजाय खराब हो रहा है. सरकारी स्कूल का हाल इतना ही समझ लें कि अधिकतर स्कूलों में खुद उस स्कूल का अध्यापक अपने बच्चों को उसमें नहीं पढाता है. इससे बुरी स्थिति नहीं हो सकती है. कॉलेज बंद हैं, वहां केवल प्रवेश होता है और एक बार चुनाव होता है. अस्पताल अब मात्र दवा बाँटने के केंद्र बन गए हैं. सड़कें इतनी बार बनकर टूट गई हैं कि हिसाब लगाना मुश्किल है. शुद्ध पानी रोज घर के नल में आये, यह एक सपना है !विश्व की आर्थिक ताकत का कितना बड़ा सपना !
सुरक्षा ? पुलिस ? आप सब जानते हैं कि आज राजस्थान में एक, हाँ, एक पुलिस स्टेशन नहीं है, जहां बिना रिश्वत कोई काम होता हो. जैसे भी हैं पर, मीडिया और जुडिसरी का थोड़ा सहारा है वर्ना जिसकी लाठी उसकी भैंस की स्थिति से कुछ कम नहीं है.
इन हालातों में पूरे अध्ययन और शोध-अनुभव से जो निष्कर्ष निकला है, वह है- ‘अभिनव राजस्थान’. इस योजना में नई व्यवस्था का पूरा खाका है, प्लस माइनस का ब्यौरा है. स्थाई समाधान हैं, सस्ती लोकप्रियता के जुमले नहीं हैं. ‘अभिनव राजस्थान’ तक पहुँचने का मार्ग यानी रोडमेप है. लेकिन कोई जल्दी नहीं, कोई हडबडाहट नहीं है. सीधे सीधी शब्दों में हमारे माने अभिनव राजस्थान के निर्माण के लिए सबसे पहले जागरूक-जिम्मेदार नागरिकों का एक बड़ा समूह चाहिए. उसके बिना कितनी भी सुन्दर व्यवस्था का हम सपना देखें, वह चलेगी नहीं. अंग्रेजों से आजाद होने के बाद जागरूक नागरिकता का निर्माण नहीं कर पाने के कारण ही हम आज एक बीमार देश में बसे हैं. कितना ही महिमामंडन करें पर हकीकत डरावनी है. इसलिए हम अभी एक से दो हजार ऐसे नागरिकों का समूह गठित करने में लगे हैं. काम सही दिशा में चल रहा है.
2017 से 2020 के बीच यह काम करना है. ‘अभिनव राजस्थान’ बनाना है. पूरा विश्वास है कि यह काम हो जाएगा. और हमें निराशावादियों, निंदकों और नाकारों-निठल्लों में कोई रुचि नहीं है. बिल्कुल रुचि नहीं है. हमें तो बस अपनी योजना से चलने वाले कर्मठ मित्रों में रुचि है. यहाँ बातें कम और काम ज्यादा है. उपदेश की बजाय कर्म प्रधान है.
अभी हमें नहीं मालूम कि हम किस प्रकार का मोर्चा बनेंगे ! अभी तो हम जागरूक नागरिकों का समूह बनने में व्यस्त हैं. हमारा लक्ष्य स्पष्ट है- अभिनव राजस्थान का निर्माण. रास्ता अपने आप निकलेगा. अगर हमारी नीयत सही है, अगर हम लक्ष्य के प्रति ईमानदार हैं तो.