(आज 26 जनवरी पर अभिनव राजस्थान का विचार, संकल्प)
भारत का सम विधान एक अच्छा document है, बहुत मेहनत से और समर्पण से बनाया गया है. अम्बेडकर जी और उनके साथियों की विद्वता, समझ की गहराई और दूरदर्शिता इसमें झलकती है.
लेकिन इस खूबसूरत अवधारणा को धरातल पर उतारने के लिए जिस प्रकार की व्यवस्था की आवश्यकता थी, वह अब तक बन नहीं पाई है. 1947 से आज तक हम उस व्यवस्था को रच नहीं पाए हैं और पुरानी व्यवस्था से काम चलाना चाहते हैं. जबकि वह व्यवस्था सड़ चुकी है और इस संविधान के लिए misfit है. उसमें सुधार कोई गुंजाईश नहीं है, लीपापोती में समय खराब करना है. उस व्यवस्था में सुधार के प्रयास से हम और निराश होंगे. उसमें मुग़लों-अंग्रेजों की आत्माएं हैं ! उस व्यवस्था को बदलना ही एकमात्र उपाय है.
संविधान के बीजों के लिए आवश्यक जमीन(व्यवस्था) तैयार नहीं होने के कारण यहाँ फसल कम और खरपतवार ज्यादा उगी है. वह हमें निराश कर रही है, अविश्वास से भर रही है. इसी के कारण असली विकास नहीं हो पा रहा है, न ही असली लोकतंत्र शासन में कहीं दिखाई पड़ता है. आर्थिक पिछड़ापन, अपने शासन के भाव का न होना, खेती-उद्योग की दुर्दशा, छल कपट से भरे राजनेता, घबराया हुआ युवा, असुरक्षित नारी, उखड़ा ढांचा, अवसरों की भारी असमानता, न्याय की टूटती उम्मीदें, लूटते कोर्पोरेट —कौनसे खरपतवार नहीं है.
असल में, 1947 के बाद संविधान निर्माता तो चले गए या हाशिये पर चले गए और शासन देशी चतुर लोगों के हाथ पड़ गया, जिनकी नीयत साफ़ नहीं थी और जिनके पास कोई नीति नहीं थी. उनसे संविधान सम्मत व्यवस्था नहीं बन पाई, न उनकी इसमें रुचि भी थी. जो मन में आया उसे ‘योजना’ के नाम से थोपते रहे और लोकतंत्र की जगह चुना हुआ राजतंत्र स्थापित हो गया है. आज भी जारी है.
ध्यान रहे, यह हमारी ‘आलोचना’ है, ‘निंदा’ नहीं. हम आलोचना करते हैं, निंदा नहीं. हम प्रशंसा करते हैं, स्तुति नहीं.
अब हम क्या करेंगे ? आलोचना करके बैठ नहीं जायेंगे, आरोपबाजी नहीं करते रहेंगे, कुढ़ते नहीं रहेंगे. अभिनव राजस्थान में हम भारत के संविधान के भाव के अनुरूप नई, व्यवहारिक और लोकतान्त्रिक व्यवस्था स्थापित कर रहे हैं. 2020 में हम इस नई व्यवस्था के माध्यम से असली लोकतंत्र और असली विकास के दर्शन कर लेंगे. Roadmap तैयार है और हम उसपर आगे बढ़ रहे हैं.
फिर अभिनव राजस्थान की तर्ज पर अभिनव भारत बनेगा.
किसके दम पर ? अभिनव मित्रों के दम पर, राजस्थान के जागरूक ‘नागरिकों’ के दम पर, हमारी नीयत और नीति के दम पर. पावन विचार, संगठन, कलम और कागज के दम पर. विश्वास दिलाते हैं कि हम संविधान निर्माताओं, क्रांतिकारियों और भारत की जनता के सपनों को मूर्त रूप दे देंगे. जय हिन्द कर देंगे. वन्दे मातरम् कर देंगे. निकल पड़े हैं हजारों साथी …………..>>>>>>
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डॉ.अशोक चौधरी , अभिनव राजस्थान अभियान के लिए