'आन्दोलन' नहीं है. बहुत फर्क है. इसे समझिए.
अभियान किसी निश्चित उद्धेश्य के लिए होता है, आन्दोलन किसी के विरोध में होता है. हमारा अभियान एक वास्तविक रूप से विकसित राजस्थान के लिए है , यह किसी का विरोध करने के लिए नहीं है. हम अपनी योजनाओं के पक्ष में जनमत बनायेंगे और आगे बढ़ेंगे. कोई विरोध करेगा तो हमारा करेगा, हम विरोध नहीं करेंगे. हम तो आगे बढ़ेंगे, अपनी चाल से.
कई बार कुछ मित्र यह समझ बैठते हैं कि हम मात्र RTI के लिए काम कर रहे हैं. वे मित्र यह जान लें कि हम RTI का उपयोग इसलिए नहीं कर रहे हैं कि हमें इसके उपयोग में 'मजा' आ रहा है. न ही हमें अफसरों को डराने या रौब मारने के लिए इसका उपयोग करने में कोई रुचि है. हाँ, अगर कोई यूं ही तीन पांच करेगा और हमें रोकेगा, सहयोग नहीं करेगा तो निपट जायेगा. मगर हम इस अधिकार का उपयोग व्यवस्था पर नियंत्रण के लिए कर रहे हैं, उसे जनहित में मोड़ने के लिए कर रहे हैं. यही तो इस अधिकार का मूल भाव है.
हमारा उद्धेश्य 'अभिनव राजस्थान' है और उसके लिए हमारी निश्चित कार्ययोजना है. धीरे धीरे , एक एक कर हमारे डिजायन किये हुए सिस्टम आपके सामने आयेंगे. अभी हम माहौल बनाने में लगे हैं. हमें एक हजार ऐसे मित्रों की आवश्यकता है जो कलम की ताकत में विश्वास रखते हों. ये मित्र अपनी कलम से हमारा साथ देंगे तो हम अपने उद्धेश्य की तरफ तेज गति से बढ़ जायेंगे. हमें धरने प्रदर्शन नहीं करने हैं और न ही ज्ञापन देने हैं. हम तो 'शासन के मालिक' भाव से काम करना चाहते हैं, अधिकार भाव से, अपनेपन के भाव से.
30 नवंबर के जयपुर समागम में हम ऐसे ही मित्रों का स्वागत करेंगे जो अपने हाथों से अपनी, अपने परिवार की, अपने प्रदेश राजस्थान की और अपने देश की किस्मत लिखना चाहते हैं. कलम से. कागज से.
यकीन मानिए, यह योजना ही भारत की समस्याओं का अंतिम समाधान है. वोट हो लिए, धरने हो लिए, जेल यात्राएं हो लीं, आलोचनाएँ हो लीं, स्तुतियाँ हो लीं,समाधान कहाँ निकला है ?
अब हम सब मिलकर निकालेंगे.
वंदे मातरम !
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