राजस्थान के आम परिवार की मूल समस्या एक ही है- वह अपनी वर्तमान आमदनी के चलते बाजार की महंगाई से हार रहा है. छोटे छोटे सपने मार रहा है, तनाव का जीवन झेल रहा है. और समाधान भी एक ही है- समाज को नए जमाने के लिए तैयार करना. हम इसे अभिनव समाज कहते हैं.
अभी हमारा समाज पांच जगह अटका है. एक तो समाज में ज्ञान और कला की बजाय धन का मूल्य अधिक हो गया है. धन कैसे भी कमाया जाए. आपसे मिलते ही आपकी पूँजी के बारे में पूछा जाता है, न कि आपके ज्ञान या आपकी कला के बारे में. ऐसे में सभी युवा समाज में जिम्मेदारी मिलते ही धन के मूल्य पर खरा उतरने के लिए दौड़ पड़ते हैं. गलत रास्तों पर ज्यादा.
दूसरे समाज में परम्पराओं के नाम पर कुरीतियाँ हावी हो गई हैं. शास्त्रों या संस्कारों में जो लिखा है, वह पीछे छूट गया है. ये कुरीतियाँ आम परिवार की जमा पूंजी खा जाती हैं. यहाँ तक कि कर्जे में भी धकेल देती हैं. अब देखिये न कि जो विवाह आनंद का विषय हुआ करता था , अब परिवार के लिए तनाव और चिंता का विषय हो गया है.
तीसरे समाज में किसी परिवार पर जब किसी कारण से, गंभीर बीमारी या असामयिक मौत या अन्य कारण से, आर्थिक आफत आती है तो समाज में उसे सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं है. विवाह में या मौत पर या गृह प्रवेश या जन्मदिन समारोह में आने वाले ही उस परिवार से मुंह मोड़ लेते हैं. दुखी परिवार किसी कौने में सिसकता रहता है और समाज के अन्य सदस्य डी जे की धुन पर नाचते रहते हैं.
चौथे, समाज में सामाजिक नियंत्रण कम हो गया है, बिल्कुल खत्म तो नहीं हुआ है. इस नियंत्रण के अभाव में कई युवा फिसल रहे हैं और अपने परिवारों को बर्बाद कर रहे हैं. कौन कहे, कौन बोले, जैसा गैर-जिम्मेदार कथन हर कहीं सुनाई पड़ता है.
और पांचवी बात यह कि समाज के वर्ग (जातियां) राजनीति के कारण इतने बाँट दिए गए हैं कि अब उनका कोई common मुद्दा चुनाव में नहीं होता. खेती, पानी, बेरोजगारी आदि के मुद्दे चुनावों में गौण हो गए हैं. झूठी जातिगत प्रतिष्ठा के चक्कर में अमूल्य वोट मूल्यविहीन हो जाता है.
इन पांच बातों में औसत राजस्थानी परिवार अटका हुआ है, पिस रहा है. उसे छटपटाहट है पर बाहर निकलने की हिम्मत नहीं है, भरोसा नहीं है. दूसरों पर विश्वास नहीं है, आत्मविश्वास भी नहीं है.
इसलिए अभिनव राजस्थान का निर्माण करना है.
अभिनव राजस्थान, राजस्थान के सभी परिवारों को समृद्ध और सुसंस्कृत बनाने की नई व्यवस्था है. इसकी रचना समाज के जागरूक और समर्पित नागरिक करेंगे. इसके मूल में लोक, लोकतंत्र और लोकनीति होंगे. लेकिन हम मानते हैं कि यह बड़ा परिवर्तन किसी एक व्यक्ति, एक परिवार या एक जाति के बस का नहीं है. इसके लिए एक व्यापक माहौल बनाना होगा क्योंकि हम भारतीय माहौल के साथ चलते हैं. माहौल गलत दिशा में ले जाता है तो हम मजबूरी में उधर भी चल पड़ते हैं ! अकेले सही दिशा में चलने की हिम्मत बहुत ही बिरले लोगों की ही होती है. अभिनव राजस्थान की सम्पूर्ण योजना आप www.abhinavrajasthan.org पर देख सकते हैं. वर्तमान में राजस्थान के सैकड़ों युवा इस अभियान में लगे हुए हैं.
शुभकामनाओं सहित, डॉ.अशोक चौधरी