विकास का अर्थ अभिनव राजस्थान में. एकदम सरल, एकदम साफ़.
विकास का हमारा अर्थ दो बातों से है- पहली बात – राजस्थान के प्रत्येक परिवार की आमदनी में इतनी वृद्धि हो कि महंगाई के वर्तमान स्तर को देखते हुए एक सम्मानजनक जीवन जिया जा सके. इसके लिए हमें राजस्थान के प्रत्येक खेत, बाग़, पशु और फेक्ट्री या कुटीर उद्योग का उत्पादन बढ़ाना है.
जनता और शासन के साझे प्रयास से. दूसरी बात- प्रत्येक परिवार को उपलब्ध सुविधाओं यथा शिक्षा-स्वास्थ्य-सड़क-पानी-बिजली-सुरक्षा की उपलब्धता और स्तर को बढ़ाना है. यह दूसरी बात हमारे लिए दूसरी ही है, पहली नहीं, जैसा वर्तमान में कहा जा रहा है. अभी इन सुविधाओं पर बेहिसाब पैसा खर्च करना और खाना विकास कहा जा रहा है. घोड़े को गाड़ी के आगे रखने से ही यात्रा हो पायेगी. अभी हमने गाड़ी को घोड़े के आगे खड़ा कर रखा है. उत्पादन है नहीं और उधार के पैसे सड़कें बनाने को विकास कैसे ख सकते हैं ? यह विनाश है, दिवालिया होने का रास्ता है. लाखों करोड़ के कर्जे में सरकारें दबी पड़ी हैं.
लेकिन इस विकास को खूबसूरत और स्थाई रखने के लिए हम हमारी प्रकृति और संस्कृति को बचाकर रखेंगे और इनको नई ऊंचाइयां देंगे. संरक्षण ही नहीं, संवर्धन करेंगे. प्रकृति को समृद्ध करेंगे और सांस्कृतिक मूल्यों और परम्पराओं को नए युग के अनुसार पुनः स्थापित करेंगे. पर यह काम कौन करेगा ? हम एकदम स्पष्ट हैं. यह काम जागरूक और जिम्मेदार नागरिकों के दम पर होगा. हम अभी ऐसे ही नागरिक तैयार करने में लगे हैं. फ़िलहाल सौ की संख्या से शुरू कर रहे हैं, जो दो साल में हजारों में गिनी जाएगी. इस जागरूक नागरिकता के दम पर समाज और शासन बदलेगा. यह समाज और शासन ही राजस्थान और भारत में असली विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा. ईश्वर मदद करे.
वन्दे मातरम करने में. (पुनश्च- हम मात्र RTI का उपयोग बिना योजना करने वाले समूह नहीं हैं. हमारा ध्येय अभिनव राजस्थान का निर्माण है और RTI का उपयोग हम केवल वर्तमान व्यवस्था को समझने में करते हैं. यह एक साधन है, साध्य नहीं है. वहीं हम मात्र भ्रष्टाचार के खिलाफ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने नहीं निकले हैं. हमारा मानना है कि जनजागरण की रोशनी में ही बेईमानी कम हो पायेगी और वही स्थाई समाधान है. वरना भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी यह महंगाई को ख़त्म करने के झूठे वादे देश आजाद होने के बाद से हर दल या कई संस्थाएं करती आई हैं. हमें उस सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में नहीं पड़ना है. हाँ, हमारे जनजागरण की रोशनी में बेईमानी पकड़ी जाती है तो हमें खुशी होगी.)