सरल और सार्थक शब्दों में………….
जब राजस्थान से बाहर कमाने गए लोग राजस्थान लौट आयें.जब भारत से बाहर कमाने गए लोग भारत लौट आयें.वह होगा अभिनव राजस्थान. वह होगा अभिनव भारत.
निश्चित ही कोई व्यक्ति अपना घर और देश तभी छोड़ता है जब उसकी योग्यता के अनुसार उसे काम नहीं मिलता है, रोजगार नहीं मिलता है. और मोटे तौर पर इसका सबसे बड़ा कारण होता है- आर्थिक विकास की कमी या बहुत ही धीमी दर. यह तब होता है जब किसी क्षेत्र का उत्पादन नहीं बढ़ता है. उत्पादन कम होता है तो काम के अवसर कम होते हैं.
आज के भारत में यही हाल है. खेती और उद्योग का उत्पादन बहुत ही कम है. इस चक्कर में ही यह भागमभाग है. गाँव का आदमी शहर भाग रहा है, शहर का आदमी कुछ गिने चुने प्रदेशों यथा- गुजरात-महाराष्ट्र-कर्नाटक-तमिलनाडु की तरफ भाग रहा है. इस सब के बीच भारत का आदमी विदेश भाग रहा है. घर छोड़कर, मोहल्ला-गाँव-शहर छोड़कर. बुझे मन से.यह अलग बात है कि इस भागने का महिमामंडन वे भी कर रहे हैं जो, मजबूरी में घर छोड़ गए और देश के राजनेता भी इस भागने को बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं.
जबकि यह नहीं स्वीकारा जा रहा है कि अमेरिकी-जापानी आम आदमी भारत की तरफ क्यों नहीं भाग रहा है ! न ही यह बताया जा रहा है कि आम गुजराती या मराठी राजस्थान का रूख क्यों नहीं कर रहा है. क्यों ?
क्योंकि तब जिम्मेदारी आ जाती है, सर पर. बढ़ाओ अपना उत्पादन. करो इसके लिए प्लान. बनाओ माहौल. लेकिन यह प्लान कौन करे ? यह माहौल कौन बनाये ?
अमेरिका के ओबामा या ब्रिटेन के केमरून, जो भारत के कच्चे माल और बड़े बाजार पर निगाहें टिकाये बैठे हैं ? या वे राजनेता और अफसर, जो राजस्थान में केवल राजनैतिक पर्यटन, ‘राज’ और लूटमार के लिए आते हैं ? उनको क्या पड़ी है. इसलिए हम कहते हैं,
अभिनव राजस्थान अभियान में. आपां नहीं तो कुण ? हम नहीं तो दूसरा कौन ?
पहले राजस्थान को आर्थिक, प्राकृतिक और संस्कृतिक रूप से सक्षम बनाना है, ताकि राजस्थान से बाहर गए लोग वापस आ जाएँ. हवेलियाँ और सूने घर उन्हें आज भी बुला रहे हैं. मोहल्लों में उनके दोस्त अभी भी उनको नहीं भूले हैं. उसके बाद भारत से बाहर गए लोगों को वापस बुलाना है. लेकिन ये लोग ऐसे ही प्रवासी सम्मेलनों या हवाबाजी से नहीं आयेंगे. न ही इन ढकोसलों से यहाँ पैसा लगायेंगे.
ये तभी आएंगे जब यहाँ का उत्पादन बढेगा, यहाँ की आमदनी बढ़ेगी. तब ये अपने आप चले आएंगे. घर कौन नहीं आना चाहता ? लेकिन भूखे पेट घर में कब तक रहेगा कोई ?
अभिनव राजस्थान और अभिनव भारत बनाना ही माँ भारती का स्वाभिमान लौटाना है. उसकी संतानों को सुखी और समृद्ध बनाना है. देशी-विदेशी अधिनायकों की जय हो-जय हो, बहुत हो गई.
अब वन्दे मातरम् कर देना है.
(परम गुरु ओशो की पुस्तक- “स्वर्ण पाखी था जगत का और अब है भिखारी जगत का.” के बौद्धिक सहारे से.)