सूचना के आवेदनों को टालने के लिए बहाने और उनका समाधान. सरल, प्रभावी, अचूक. अभिनव राजस्थान में.
मित्रों, जब भारत की आम जनता को सूचना का अधिकार दिया गया था तो राजनेताओं और अफसरों के लिए यह उनका ‘राज’ जाने की घोषणा थी. इस जानकारी की रोशनी में उनके द्वारा भारत की डरी हुई, भोलीभाली जनता का शोषण जाहिर होना था. मरते क्या न करते ! इस ‘राज’ को बचाने के लिए वे तभी से इस प्रयास में लग गए कि सूचना के अधिकार को वोट के अधिकार की तरह useless या निरर्थक बना दिया जाए. उन्होंने तीन प्रयास संगठित तरीके से किये. पहले प्रयास में आवेदकों को डराया धमकाया, समझाया (?). दूसरे प्रयास में आवेदकों को बदनाम किया. तीसरे प्रयास में सूचना न देने के लिए training दी. बहुत हद तक उनके तीनों प्रयास सफल भी रहे. उनकी सफलता के क्या कारण थे ? कई थे. आप इन सभी से सहमत होंगे.
पहला कारण तो यह कि आधिकांश आवेदक संगठित नहीं थे. दूसरा उनकी कोई दिशा तय नहीं थी. तीसरे, कुछ बेईमान किस्म के लोगों ने इस अधिकार का दुरूपयोग किया भी. चौथा, सूचना के अधिकार के प्रयोग की तरकीब नहीं पता थी और वे धूल में लठ मार रहे थे. अधिनियम को उन्होंने कभी तसल्ली से पढ़ा भी नहीं है. चार पेज पढ़ने में ही मौत आती है ! ऐसे में पहला वार खाली गया तो निराश हो गए और दुष्प्रचार करने लगे कि यह अधिकार किसी काम का नहीं है. और पांचवां, वे इसे अफसरों को डराने-धमकाने या अपने काम निकलवाने का जरिया समझ रहे थे. अफसर डर गया या अपना काम निकल गे तो भाड़ में जाए सूचना का अधिकार ! छठे, शासन में बैठे लोगों ने इस अधिकार की बेहतरी को कभी encourage नहीं किया. सूचना आयोगों को अन्य ढीले ढाले न्यायालयों जैसा बना दिया. धारा 4 के माध्यम से जनता को दी जाने वाली जानकारी जाहिर नहीं की. और सातवाँ, तथाकथित पढ़ा लिखा, बुद्धीजीवी(?) तबका इससे दूर ही रहा, जैसे देश की आजादी के आन्दोलन में रहा. ये लोग निंदा या छद्म अवतारों की स्तुति में लगे रहे और जिम्मेदारी लेने से बचते रहे.
अभिनव राजस्थान अभियान इन कारणों के विश्लेषण के आधार पर संभलकर चल रहा है. वैसे भी सूचना के अधिकार को अपना अभियान लक्ष्य नहीं मानता है. इसलिए हम अपने आपको RTI वाले नहीं कहते ! कि हम RTI आवेदन लगाते रहते हैं ! हमारे लिए RTI एक माध्यम है, साधन है. इसे माध्यम के रूप में ही सोचा गया था. हम इस माध्यम के इस्तेमाल से राजस्थान में असली लोकतंत्र स्थापित करना चाहते हैं, असली विकास चाहते हैं. पहले हम इस माध्यम से वर्तमान व्यवस्था को जान-समझ रहे हैं और फिर अगले चरण में हम अपनी नई व्यवस्था की स्थापना करेंगे. हमारा लक्ष्य अभिनव राजस्थान है. लोकतांत्रिक-विकसित.
और जब हम इस माध्यम को काम में ले रहे हैं तो बाधाएं हमारे रास्ते में भी आ रही है. हालांकि हम आवेदन एक योजना के तहत कर रहे हैं, जो मन में आया, वह आवेदन नहीं कर रहे हैं पर ‘राज’ के मद में डूबे लोग टालने की तरकीबें करते ही हैं. क्या तरकीबें उन्होंने सीख रखी हैं ? असल नियम क्या हैं ?
1. सूचना किसी अन्य विभाग की है- (जबकि अधिनियम की धारा 6 में लिखा है कि उन्हें उस विभाग को भेजना है.)
2. सूचना का विषय स्पष्ट नहीं है या प्रश्न पूछे गए हैं- (जबकि अधिनियम में नहीं लिखा है कि प्रश्न नहीं पूछ सकते हैं. प्रश्न ही तो पूछना हा, वर्ना जानकारी कैसे मिलेगी ? हमें फाइलों की जानकारी स्वतः कैसे हो जायेगी?)
3. पोस्टल ऑर्डर सही नहीं है- (जबकि अधिनियम कहता है कि इसे लेकर सूचना लेट न की जाए)
4. धारा 8 में सूचना देना मना है- (जबकि यह धारा मात्र रक्षा, गुप्तचर और विदेश सेवा के कुछ विषयों पर लागू है)
5. जवाब दो ही मत – अपील करते करते थक जायेंगे या सूचना आयोग की देरी का सहारा मिल जायेगा- (जबकि उनको यह नहीं पता कि जिस दिन कानून का सही जानकार सामने आ गया तो यह देरी गले की फंस बन जायेगी)
हमें अभियान में क्या करना है ?
1. एक सूचना लेनी है तो लेनी है. बीच में नहीं छोड़ना है. कागज व्यवस्थित करके रखने हैं.
2. सूचना को अंजाम तक पहुँचाना ही है ताकि इसका मजाक बनना बंद हो.
3. सूचना के अधिकार की बारीकियों को समझना है.
4. तसल्ली रखनी है. छः महीने तक की. लेकिन कागज लगातार घिसने हैं. अधिकारियों को क़ानून भी समझाना है तो अपनी नीयत भी साफ़ कर देनी है. कि पीछा छूटने वाला नहीं है.
5. योजना से नहीं भटकना है. जो मन में आया, उसमें नहीं लगना है.
इस संगठित विधि से हम सूचना के अधिकार को उस मुकाम पर पहुंचा देंगे, जिसके लिए यह बना है. हमें मानकर चलना है कि यह असली आजादी और लोकतंत्र के लिए संघर्ष है और थोड़ी मेहनत करनी होगी. किसी भी मोड़ पर निराश नहीं होना है.
वंदे मातरम करके ही दम लेना है.
जय हो
अभिनव राजस्थान अभियान बहुत अच्छा अभियान है।
इस प्रकार की पहल करना समय की आवश्यक्ता है।
|| हर हर महादेव ||
एप अच्छा है
राजेश यादव
हम होंगे कामयाब एक दिन ये वादा रहा .
Aaj ki baton per chalnay ka potash krunga
मूघ्हे सूचना का अधिकार मे जानकारी माँगा गया है जिसमें तिथि नही लिखा है क्या करूँ
राम राम सा महोदय मैरी दूसरी अपील कृमांक 042885821364895 दि.19/06/2017 को मंजूर की गयी थी, लेकिन आज तक कोई जबाब नहीं मिला है, अब मुझे किया करना है जिससे सूचना मिल जाये जी.
SATYA PRAKASH FAUJDAR BHARATPUR email’s of auks are gmail.com mo. 9414375474
किसी सेवानिवृत व्यक्ति से सुचना के अधिकार के तहत उस व्यक्ति की शैक्षणिक प्रमाण पत्र की मांग की जा सकती है या नहीं?
Private school and college institute ect. R T I के दायरे में आते हे या नहीँ कृपया स्पष्टीकरण नियम बताये
अभिनव राजस्थान ।
मुझे अपने वार्ड के कार्य का विवरण लेना हे तो मे rti केसे लगाऊ ओर कहां लगाऊ उसका ब्यौरा दे
मुझे अपने वार्ड के कार्य का विवरण लेना हे तो मे rti केसे लगाऊ ओर कहां लगाऊ उसका ब्यौरा दे
आपका अभिनव प्रयास मुझे पसंद आया मैं भी आपसे जुड़ना चाहता हूं मैंने भी कई बार ITI लगाई है जैसे कि मुख्य सचिव राजस्थान मुख्य सचिव राजस्थान सरकार, RPF थाना अजमेर औरराजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर इत्यादि से कुछ सूचनाएं नहीं दी गई है अभिनव अभियान पार्टी के मेनिफेस्टो को पढ़कर मैं भी आपकी ओर आकर्षित हुआ हूं