बहुत छोटा, बहुत सटीक.
वर्तमान सारी योजनाएं बंद ! ये useless हैं, हमारा पैसा (जी, यह बजट में पैसा हमारा ही है) और समय बर्बाद करने से ज्यादा इनमें कुछ नहीं है.सबसे पहले बताया जाएगा कि राजस्थान में खेती और छोटे उद्योग का वर्तमान उत्पादन कितना है. हर गांव और शहर की आमदनी बताई जायेगी. फिर इस उत्पादन और आमदनी को एक वर्ष में और पांच वर्ष में कितना बढ़ाना है, यह बताया जाएगा. एकदम व्यवहारिक ढंग से और तथ्यों के साथ, हवाई अनुमान नहीं. फिर इस उत्पादन और आमदनी को बढ़ाने के लिए हमारी नीति, योजना और उसके लिए फंड का आवंटन बताया जाएगा. हर गांव और शहर को लक्ष्य और संसाधन के आधार पर फंड आवंटित होगा. जनभागीदारी सुनिश्चित होगी- नीति और योजना बनाने में और फंड के आवंटन में.
इसके बाद वर्तमान सुविधाओं की उपलब्धि और स्तर के बारे में बताया जाएगा. शिक्षा-स्वास्थ्य-सड़क-बिजली-पानी-सुरक्षा के बारे में. फिर इनके विस्तार और सुधार पर स्पष्ट रूप से बताया जाएगा. यह भी हर गाँव और शहर के सन्दर्भ में होगा. यही इकाईयां हैं, जिनमें हम रहते हैं और जिनके सन्दर्भ से मानसिक रूप से जुड़ते हैं.
तीसरे चेप्टर में समाज के उन वर्गों और व्यक्तियों का ध्यान किया जाएगा जिनके पास संसाधन कम हैं. हर गाँव और शहर में ऐसे व्यक्तियों के लिए प्रोजेक्ट होंगे. लेकिन पेंशन या अनुदान या कोई अन्य दान नहीं होगा. अगर कोई विकलांग है तो उसे समाज में उसके लायक काम दिया जाएगा, सम्मानजनक काम. हाँ, गंभीर बीमारी से ग्रस्त या अस्सी के बाहर उम्र वालों की विशेष हिफाजत होगी. आंगनवाड़ी, मिड डे मील या राशन वाशन नहीं होंगे. हम जानते हैं कि इनके सहारे कितने लोगों के पेट सम्मान से पलते हैं, सिवाय दलालों के.
इस बजट से राजस्थान के नागरिकों का जुड़ाव होगा, प्रगति का अहसास होगा.
फिलहाल हमारे मित्र पहले हमारे सामने जो परोसा जा रहा है, उसको अपने अपने जिलों में परख लें. 1 अप्रैल से अपना यह प्रोग्राम शुरू होगा जो एक साल चलेगा. मित्र एक बार वर्तमान बजट और व्यवस्था को समझ लें ताकि वैकल्पिक व्यवस्था की रचना के लिए उनका मन, उनकी भूख और उनकी समझ तैयार हो सके. उसके बिना नई व्यवस्था की रचना, संचालन और सफलता अधूरे रहेंगे, जैसा देश की आजादी के बाद हुआ है. जिसके प्रतिफल हम भुगत रहे हैं.
अभिनव राजस्थान अभियान,
असली लोकतंत्र और विकास के लिए.
वंदे मातरम !