(कुछ गंभीर हो जाते हैं )
राजस्थान में 'अभिनव शासन' के लिए हम तीन PLI जल्दी ही दाखिल करने वाले हैं.
HIgh Court के मित्र advocate शामेंद्र माथुर ने यह जिम्मा लिया है.
हम चाहते थे कि कोई यह केस 'दिल' से लड़े, केवल क़ानून से नहीं.
तभी हम जो चाहते हैं, वह होगा. (share)
1. हम चाहते कि हर विभाग में collector और अन्य राजस्व अधिकारियों का दखल बंद हो. वह राजस्व विभाग का अधिकारी है और अपना विभाग देखे. समन्वय(coordination) के नाम पर प्रभुत्व (subordination) अब बंद होना चाहिए. इससे दूसरे विभागों के मुखियाओं और विशेषज्ञों में हीनता का भाव आता है और वे उदासीन भी होते जाते हैं. जनता में उनकी image भी इस 'नव सामन्ती' दखल के कारण खराब होती है. दूसरी तरफ ये राजस्व अधिकारी अपने स्वयं के विभाग का काम ठीक से नहीं करते हैं और इस वजह से उनके कार्यालयों में जमीन के विवादों की pendency बढ़ जाती है. विवाद समय पर न सुलझने के करान रोज माथे फूटते हैं और लोग मरते भी हैं. यह सब रुकन चाहिए और राजस्व अधिकारियों को यह फालतू की पंचायती छोड़कर, रौब मारने का शौक छोड़कर, यह अंग्रेजी राज का चोला उतारकर, अपना मूल काम करना चाहिए, जैसा उनकी duty list में लिखा होता है.
2. हम चाहते हैं कि पुलिस भी दूसरे विभागों में दखल न दे. जब स्वतंत्र विभाग हैं तो पुलिस उन विभागों के काम में टांग क्यों अड़ाये ? क्यों गीली लकड़ियाँ पकडे, जब वन विभाग है ? क्यों अवैध शराब पकडे, जब आबकारी विभाग है ? क्यों हाईवे पर गाड़ियाँ रोके' जब ट्रांसपोर्ट विभाग है ? जब इन विभागों के पास powers हैं' जिम्मेदारी है तो पुलिस को अब आनाव्श्यक दखल बंदकर अपना मूल काम करना चाहिए. फालतू की पंचायती और फिर यह कहना कि स्टॉफ कम पड़ता है ! जो भी 'स्वार्थ' इस दखल से सिद्ध होते हों पर यह अब बंद होना चाहिए. साथ ही पुलिस को जांच और क़ानून-शान्ति व्यवस्था को अलग कर देना चाहिये.
3. हम चाहते हैं कि प्रदेश में एक स्पष्ट ट्रांसफर नीति बने और राजनेताओं का दखल और शौक बंद हो. यह क्या बात हुई कि आज आप किसी जगह पोस्टेड हुए और बिना वजह और नीति के किसी नेता के लिखने भर से आपको हटना पड़े ? आपका परिवार कब तक अनिश्चितता की यह सजा भुगते ? आपका कोई मानव अधिकार है या नहीं ? क्या आप भारत के दूसरे दर्जे के नागरिक हैं ? इसलिए हम चाहते हैं कि ट्रांसफर नियमित अंतराल पर हों और स्थानीय स्तर पर हों, यह लिखित क़ानून है पर नेता इसका मजाक बनाकर बैठे हैं. जो काम अफसरों का है, वह नेता करते हैं और जो उनको करना चाहिए, क़ानून – नियम बनाने का, वह नहीं करते हैं.
हम माननीय न्यायालय से गुजारिश करेंगे कि बरसों से रुके पड़े प्रशासनिक सुधार के लिए प्रदेश की सरकार को स्पष्ट निर्देश दे. तभी 'लोकतंत्र' की स्थापना भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप होगी और विकास की गाड़ी आगे बढ़ेगी.
'अभिनव राजस्थान' हम बनाकर रहेंगे.
वन्दे मातरम !
Hi. And bye! John
googoozuza
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