अभिनव पुलिस. अपनी पुलिस.एक झलक.
अभिनव पुलिस के अधिकारी पीड़ित के घर आकर FIR लिखेंगे. कोई भी पीड़ित या गवाह थाने में नहीं जायेगा और न ही बार बार चक्कर लगाएगा. फिर हर हफ्ते पीड़ित को जाँच की प्रगति से अवगत करवाया जायेगा. पीड़ित की संतुष्टि क़ानून के भीतर होना हर केस का लक्ष्य होगा.
इससे पुलिस अधिकारियों का attitude बदलेगा, पीड़ितों को सम्बल मिलेगा और समाज को शासन ‘अपना’ लगेगा. उसे लगेगा कि वह असली master है system का. न्याय त्वरित होगा. वर्तमान पुलिस अधिकारी इस नए साँचे में ढल जायेंगे या system से बाहर निकल जायेंगे. फिर पुलिस में वही आयेगा जिसे समाज को सुरक्षा में सहयोग करना है. वे नहीं आयेंगे जिनको रौब मारना है या पैसा कमाना है.
लेकिन हम समाज को नई व्यवस्था के लिए तैयार करने का काम भी तेजी से और साथ साथ करेंगे. समाज को भी शासन से सहयोग करना और अधिकारियों से ठीक बर्ताव करना होगा. ऐसा नहीं कि अधिकारी की विनम्रता देखकर कोई उनकी बेईज्जती करना शुरू कर दे.
वर्तमान व्यवस्था अंग्रेजों और सामंतों की बनाई हुई है, जिसमें ‘राज’ का डर बनाये रखना मुख्य उद्धेश्य था, न्याय दिलाना नहीं. अब हमें इससे छुटकारा पा लेना चाहिए. मात्र ‘अपराधियों में खौफ, आमजन में विश्वास’ का नारा लिखना पर्याप्त नहीं है. न ही लीपापोती कुछ काम आ रही है. मात्र कुछ अपवाद से पुलिस के इमेज नहीं बदल रही है. हम सब जानते हैं कि आमजन में कितना विश्वास पैदा हुआ है.
अभिनव राजस्थान नई और भारतीय व्यवस्थाओं के निर्माण का नाम है. जीवन के हर क्षेत्र में. साथ साथ. क्योंकि एक क्षेत्र में बदलाव के साथ ही दूसरे क्षेत्र में अपेक्षित बदलाव जरूरी है. शरीर के अंगों की तरह समाज के अंग भी एक दूसरे से प्रभावित होते हैं. उनमें संतुलन जरूरी है. खेती बदलनी है तो समाज को बदलना होगा, उद्योग बढ़ाने हैं तो प्रकृति को बचाए रखना होगा.
(25 दिसम्बर को प्रकाशित होने वाली हमारी पुस्तक ‘अभिनव राजस्थान- अपना राजस्थान’ का एक अंश)