हर गाँव और शहर की अपनी योजना, अपना प्रबंध तंत्र होगा.
एक ही विभाग होगा.
हर गाँव और शहर में बारिश के पानी की एक एक बूँद को एकत्र किया जाएगा. छतों का पानी परिवार के पीने के लिए, खेतों का पानी खेत के लिए. शेष पानी पूरे गाँव का, शहर का. एक बड़े storage में. इस पानी से पहले पालतू और जंगली जानवरों के लिए, पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था होगी. फिर घर घर तक पानी की घरेलु आवश्यकता के लिए पानी दिया जाएगा. घरों से वापस आता पानी साफ़ करके गांव या शहर के आसपास वृक्षों को दिया जाएगा. कहीं भी कीचड़ नहीं होने दिया जाएगा.
आकस्मिक स्थितियों में या वर्षा कम होने की स्थिति में ही नहरी या भूमिगत पानी का इस्तेमाल होगा.
सिंचाई, पेयजल, जलसंग्रहण, नरेगा या पंचायती राज विभागों के नाम से अलग अलग प्रबंध नहीं होंगे. एक ही साझा प्रबंध होगा. जल संसाधन प्रबंध.
जब हमसे कम बारिश वाला देश इजरायल यह कर सकता है तो हम क्यों नहीं ? लेकिन यह काम वर्तमान राजनेता के बस का नहीं है. उसे तो सत्ता के आगे कुछ नहीं सूझता है. यह कम जागरूक नागरिकों के शासन पर सकारात्मक नियत्रण के बाद ही संभव होगा.
‘अभिनव राजस्थान’ में यही करना है. जागरूक, सजग नागरिकों के नियंत्रण में, प्रभाव में शासन का संचालन.
‘अभिनव राजस्थान अभियान,
अपने हाथों से अपने सपनों का राजस्थान बनाने का अभियान.
वंदे मातरम !