अभिनव राजस्थान में गाँव का विकास एक गांव – पांच करोड़ रूपये में पूर्ण विकसित होगा- तीन साल में.
और सरकार को हम ब्याज सहित पूरा रूपया वापस दे देंगे, मुफ्त में कुछ नहीं चाहिए.
और बचे पैसे से हम गाँव में सब सुविधाएँ जुटा लेंगे. साथ ही हम बिना जमीन वालों, विधवाओं, अनाथों, विकलांगों का भी ध्यान रख लेंगे.
हमारे माने गांव के विकास का पहला मतलब है- गाँव के प्रत्येक घर की आमदानी बढ़ना. और किसी भी गाँव में यह चार तरह से होगा. पहला, खेत या बाग से कम लागत पर उत्पादन बढ़ना और उत्पादन का उचित मूल्य मिलना. दूसरा पशुपालन से अधिक उत्पादन और उत्पादों का उचित मूल्य. तीसरे जिन लोगों के पास जमीन नहीं है, उनके द्वारा खेती से जुड़े या अन्य कुटीर या छोटे उद्योग लगना और उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलना. चौथे गाँव में विभिन्न सुविधाओं का बेहतर संचालन- चिकित्सा, शिक्षा, पेयजल, बिजली और सड़क. और पांचवां गाँव की प्रकृति और संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन.
पहले चरण में राजस्थान के एक हजार गाँवों का चयन होगा, एक पंचायत समिति से लगभग दो गांव- एक सिंचित और एक असिचित भूमि वाला. चयन के लिए गाँव की तीन चौथाई आबादी को शर्तें स्वीकार करनी होंगी, लिखित में और गाँव के मंदिर के सामने शपथ लेकर कि इस योजना का एक रूपया भी खराब नहीं होने दिया जायेगा. तैयार गांवों में से चयन लौटरी से किया जाएगा ताकि पक्षपात होने का भाव न हो.
प्रत्येक गाँव में सभी विभागों के अधिकारियों को जिम्मा दिया जाएगा लेकिन मूल नियंत्रण ग्राम पंचायत के पास होगा. सरपंच सभी विभागों के बीच समन्वय करेंगे.
अगले चरण में दो हजार, पांच हजार और दस हजार गांवों का चयन होगा. पांच वर्षों में राजस्थान का हर गाँव इस योजना में शामिल हो जायेगा. योजना का विस्तृत स्वरुप हमारे पास तैयार है जो व्यवहारिक है, तथ्यों पर आधारित है और जिसमें पर्याप्त अनुभव-चर्चा का समावेश किया गया है. राजस्थान को समृद्ध बनाने, गरीबी और बेरोजगारी कम करने का यही एकमात्र मार्ग है. भाषणबाजी या राशन-पेंशन से राजस्थान आगे नहीं बढ़ेगा. और न ही खाली पीली में गोद लेने से कोई गाँव विकसित हो पायेगा ! और ऐसी योजनाओं के लिए ही हमें अभिनव नागरिक चाहियें जो हम जोड़ने में दिन रात लगे हैं.
वही अभिनव नागरिक नई व्यवस्था को चला सकेंगे, संभाल सकेंगे. छद्म अवतारों के पीछे भागने वाली भीड़ से देश नहीं बनते हैं ! वंदे मातरम !