पिछले कुछ दशकों से नागरिकों की जागरूकता के अभाव में व्यवस्था में जमे नेताओं और अफसरों ने अपने मनमाने तरीकों से व्यवस्था को उलझा दिया है. अनाव्श्यक निर्णय कई बार कई दशकों तक जनता को परेशान करते हैं और व्यवस्था से उसका विश्वास उठ जाता है. लम्हों की सजा सदियाँ भुगतती हैं !
ऐसा ही सरकारी भर्तियों के मामले में हुआ है. शुरू में तो मनचाहे तरीके से नेताओं और अफसरों ने अयोग्य भाई भतीजों को सरकार में भर दिया. सारे विभाग जब अयोग्य और भ्रष्ट लोगों के भार से चरमराने लगे तो कहा जाने लगा कि अब और भर्ती नहीं करनी है. कई बरसों तक ऐसा रहा और छात्रों और उनके अभिभावकों को लगने लगा कि अब पढने का कोई फायदा नहीं. फिर जब भारत को 1990 में निजी और विदेशी हाथों में बेचा गया तो कुछ पैसा हाथ लग गया. वर्ष 2000 से फिर भर्तियाँ शुरू हुईं पर बहुत ही अव्यवस्थित तरीके से. भर्ती प्रक्रिया का कचरा हो गया जो आज तक जारी है. RPSC को एक दुकान बना दिया गया और काउंटर पर नेताओं के चेले बैठा दिए गए जो आज तक जमें हैं और सीन आपके सामने है. जो भो हो, हमारा प्लान क्या है ?
‘अभिनव राजस्थान’ में वर्ष में केवल जून महीने में सारी भर्तियाँ होंगी. पूरे वर्ष नहीं. तब स्कूलों की छुट्टियाँ रहती हैं. सारा सीड्युल पहले से तय होगा. हर विभाग में उस वर्ष रिक्त हो रहे और नए सर्जित पदों के लिए वांट्स निकलेंगी. दो पेपर होंगे. एक जनरल और एक उस विभाग के विषय का. विषय के पेपर के तीन स्तर होंगे-ए,बी,सी. ग्रेड के अनुसार, शैक्षणिक योग्यता के अनुसार. उसी अनुसार पद भरे जायेंगे. जैसे शिक्षा में सीनियर पास और S.T.C. थर्ड ग्रेड के लिए, ग्रेजुएट्स और B.Ed. सेकण्ड ग्रेड के लिए और पी जी और M.Ed. वाले फर्स्ट ग्रेड के लिए. Ph.D. किये लोग कॉलेज शिक्षक के लिए. एक दिन में शिक्षा विभाग की हो गई भर्ती.
ऐसे ही सभी विभागों में उन विषयों से जुड़े लोग ही प्रवेश कर पायेंगे. सामान्य प्रशासन या R.A.S. R.T.S. R.D.S. में केवल पब्लिक एड और पोलिटिकल साइंस के छात्र प्रवेश लेंगे.
इन परीक्षाओं को RPSC के माध्यम से करवाया जाएगा पर इस संस्था में केवल शिक्षाविदों, कलाजगत या विज्ञान से जुड़े लोगों या खेल प्रतिभाओं को ही स्थाई सदस्य बनाया जाएगा. पेपर यहीं छपेंगे और भारी सुरक्षा में यह काम होगा.
इस व्यवस्था से विद्यार्थियों और अभिभावकों के मन में अनिश्चितता ख़त्म हो जायेगी.
और जो सरकार कहती है कि हमारे पास पैसा नहीं है तो पक्का कह रहा हूँ कि प्रदेश का उत्पादन बढाकर और टेक्स की पूरी वसूली करके राजस्थान के खजाने को अथाह धन से दो तीन वर्षों में भरा जा सकता है. बात लोकनैतिक ईच्छाशक्ति की है.
‘अभिनव राजस्थान’ हम बनाकर रहेंगे.
वन्दे मातरम !
(विस्तार से सम्पूर्ण योजना 'अभिनव शासन' शीर्षक से www. abhinavrajasthan.org के पते वाली हमारी वेबसाइट पर जाकर देख लें.)