‘अभिनव सन्देश’
अभिनव राजस्थान में जयपुर स्थित सचिवालय और कई विभागों के निदेशालयों की भूमिका केवल नीति निर्माण की होगी. अब यहाँ न तबादले होंगे, न आवंटन होंगे और न कोई टेंडर होंगे.
यह गोरखधंधा हमें दो तरह से नुकसान कर रहा है.
एक तो विकास का पैसा धरातल तक नहीं पहुँच रहा है, लगभग आधा पैसा तो भाई लोग यहीं किसी न किसी रूप में जीम जाते हैं. कुछ यात्राओं में, मीटिंग्स में, कुछ संस्थाओं को ‘दान’ में तो कुछ कमीशन में. दूसरे विकास कार्यों की मोनिटरिंग भी ठीक से नहीं हो पा रही है. दिल्ली से जयपुर और जयपुर से अपनी गली या मोहल्ले तक पहुँचत पहुँचते विकास दम तोड़ देता है.
दूसरे, स्थानीय अधिकारी भी उदासीन हो जाते हैं क्योंकि बार बार जयपुर की ओर ताकना पड़ता है. उन पर दूर दराज के इलाकों में तबादले की तलवार भी यहीं से लटकती है. अनिश्चितता बनी रहती है और इसका असर विकास कार्यों पर उल्टा पड़ता है.
अभिनव राजस्थान में सचिवालय में नीति बनेगी, उस नीति पर आधारित योजना हमारे ग्यारह संभाग बनायेंगे, उन्हें हमारे विकास खंड (जिले) और उपखंड का प्रशासन लागू करेगा. सचिवालय में नीति निर्माण के लिए शोध और अध्ययन चलेंगे और इसका रूप विश्व के किसी विकसित देश जैसा होगा. तबादले पारदर्शी ढंग से होंगे और ये स्थानीय स्तर पर ही सचिवालय में बनी नीति से होंगे.
आजादी के बाद हमें राजस्थान की नई आवश्यकताओं के अनुसार नई व्यवस्था बनानी थी पर हम वह नहीं कर पाए हैं और केवल ‘राज’ की पुरानी व्यवस्था चल रही है. विकास की नई व्यवस्था बनाये बगैर विकास धरातल पर कैसे पहुंचेगा ? इसलिए हम वर्तमान सड़ी गली व्यवस्था की जगह जयपुर से अपने मोहल्ले तक नई व्यवस्था के निर्माण के लिए संकल्पित हैं. वही स्थाई और सुन्दर समाधान है.
राज की नीति से लोक की नीति की ओर,
असली लोकतंत्र, असली विकास की ओर,
अभिनव राजस्थान अभियान.
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