‘अभिनव सन्देश’
आपने राजस्थान के कृषि मंत्री. कृषि आयुक्त या किसी जिले के प्रमुख कृषि अधिकारी को खेतों या बागों में घूमते नहीं देखा होगा, कोई पशुपालन मंत्री, निदेशक या जिला अधिकारी अधिकारी गायों या भेड़ों के बाड़े में नहीं जाता है. कोई उद्योग मंत्री, आयुक्त या जिला अधिकारी कुटीर उद्योगों और कारीगरों को देखने नहीं जाता है. ऐसा ही हाल शिक्षा और स्वास्थ्य विभागों का है. धरातल पर शासन के मुख्य जिम्मेदार लोग क्यों नहीं जाते हैं ? क्यों इनकी अपने ही विभाग के काम में रुचि नहीं है ? साधन इनके लिए दिन रात दौड़ते हैं. बंगले इनके चमकते हैं. सर्किट हाउस इनकी सेवा में. वेतन भत्ते हर महीने मिलते हैं. फिर भी ये अपना ही काम नहीं करते. राजस्थान में सभी योजनाओं का पैसा ही खर्च नहीं होता है. जबकि उत्पादन और सेवा के मुख्य विभाग तो यही हैं. इनका उत्पादन बढ़ेगा तो ही राजस्थान और भारत आगे बढ़ेंगे.
ये नहीं जाते हैं जी धरातल पर क्योंकि अभी राजस्थान और भारत में ‘विकास’ का शासन नहीं है. अभी केवल ‘राज’ चल रहे हैं जो हवाई घोषणाओं, कागजी योजनाओं और कल्याण के भ्रम से चल रहे हैं. इसीलिये तो मुख्यमंत्री केवल ‘राज’ का भ्रम रखने के लिए कलक्टर और एसपी कांफ्रेंस ही करते हैं. अन्य विभागों के अधिकारियों से बात करने की तो उनके मंत्रियों को ही फुर्सत नहीं है.
अभिनव राजस्थान में ये विभाग सबसे अधिक प्राथमिकता पर होंगे क्योंकि तब ‘विकास’ का शासन होगा. क्योंकि तब राज नीति की जगह लोक नीति होगी. और यह जल्दी ही होने वाला है. पूरी योजना तैयार है. एकदम प्रेक्टिकल. यह खुली आँखों से देखा गया हमारा सबका सपना है और यह जल्दी हकीकत में बदलने वाला है. हम दुनिया के नक्शे पर एक सुन्दर और समृद्ध स्थान ‘अभिनव राजस्थान’ बना लेंगे. हमारे अपने हाथों से, किसी ‘छद्म अवतार’ की मेहरबानी से नहीं. राजस्थान का आम आदमी विद्वान और गुणवान है.
इस सपने को हर राजस्थानी की आँखों में रख दीजिये. अगर सपना होगा तो ही सच होगा न.
आपां नहीं तो कुण ? आज नहीं तो कद ?