भूमि अधिग्रहण हो, नरेगा हो या मिड डे मील,
सभी मुद्दों पर व्यापक सर्वे और चर्चा होनी चाहिए,
संसद के भीतर ही नहीं, संसद के बाहर भी.
तभी लोकतंत्र मजबूत होगा, निर्णय जनहित में, जनसमर्थन से होंगे.
एक समय तय हो जाए. दो महीने, तीन महीने. ज्यादा लंबा समय न हो. एक स्वस्थ व्यापक योजना बने. भूमि अधिग्रहण पर उद्योगपतियों, किसानों और युवाओं-महिलाओं से चर्चा हो. देशभर में Random Selection से गाँव चुन लें, कॉलेज चुन लें. वाद विवाद प्रत्तियोगिताएं हों. टी वी और अखबार सहयोग करें. पता लग जाएगा कि देश का अवाम क्या कहता है. नरेगा में भी इसी प्रकार मजदूरों से बात हो, कि उनको इस योजना से कितना फायदा है या वे इसमें कुछ परिवर्तन चाहते हैं. मिड डे मील के बारे में शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों से बात हो. ऐसा होने से ही योजनाएं प्रभाव होती हैं और उनमें जनभागीदारी बढ़ती है. जनता का शासन में विश्वास जमता है.
या फिर चुनाव घोषणा पत्र में बड़े नीतिगत मुद्दों का विस्तार से उल्लेख हो. लोग उसी के अनुसार वोट दें.
अफ़सोस कि इस देश में अभी भी लोकतंत्र को केवल वोटतंत्र तक सीमित किया हुआ है.
‘अभिनव राजस्थान’ लोकतंत्र की ऐसी ही मिसाल पेश करेगा. सारा प्लान, सारी पालिसी सबके सामने पहले से होगी.
‘अभिनव राजस्थान अभियान’
असली लोकतंत्र के लिए अभियान.
वंदे मातरम !