देश-प्रदेश में विकास की हकीकत.
अभिनव नजर से. अखबार-चेनल से अलग.
1. दस साल से देश में चल रही है- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना. कहा गया था कि यह दूसरी हरित क्रांति कर देगी. पर आज भी अधिकतर किसानों को नहीं पता कि यह योजना चल भी रही है क्या ! किसान दुखी है.
2. दस साल से चल रहा है, माध्यमिक शिक्षा अभियान. कहा गया था कि सरकारी सेकेंडरी और सीनियर स्कूलों की दशा बदल जाएगी. कितनी बदली ?
3. दस साल से चल रहा है, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान. कहा गया था कि हर घर तक चिकित्सा और जांच की सुविधा पहुँच जाएगी. कितनी पहुंची ?
4. दस साल से कौशल विकास योजना चल रही है. पर नाम बदल बदलकर योजना चलाने से युवाओं की बेरोजगारी दूर नहीं हुई.
5. पेयजल और सड़क की योजनाएं कभी भी समय पर पूरी नहीं होती हैं. दस साल में अरबों खर्च करके भी मीठे पानी को जनता तरस रही है तो अच्छी सड़कों पर कदम रखते ही टोल टैक्स देना होता है.
हर चुनाव में महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और ग़रीबी के चार मुद्दे होते हैं. एक भी कम नहीं हुआ ! बल्कि इनकी मात्रा बढ़ी है. और जब ‘विकास’ का मुद्दा आया तो वह पैदा होने का नाम नहीं ले रहा है !
कुछ नहीं बदलता यहाँ. केवल सरकार में चेहरे बदलते हैं. नए राजा चुने जाते हैं. समाज को बांटकर, झूठ बोलकर, झांसों से चुनाव जीत जाते हैं. फिर सत्ता के लालची ये गिरोह और उनके दलाल जनता का शोषण करते हैं. और गुलाम जनता अपने ही कातिलों के गीत गाती है !
अभिनव राजस्थान, असली विकास का मार्ग है.
लोकनीति से चलने वाली व्यवस्था का नाम है.
क्योंकि उस व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही होगी, जो अभी कहीं नहीं है.
पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना व्यवस्था सुचारू नहीं चल सकती है.