अगर ऐसा होता है, तो प्रदेश की जनता को कोई परिवर्तन समझ आएगा।
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1. राजस्थान के सभी सीनियर सेकंडरी स्कूलों में विज्ञान और वाणिज्य संकायों के विषय विशेषज्ञ लगाए बगैर उच्च शिक्षा के द्वार ग्रामीण और कस्बाई छात्रों के लिए खुलना संभव नहीं है। शिक्षा के क्षेत्र में यह अभी पहला टारगेट होना चाहिए। मात्र सीनियर स्कूलें खोलकर वाहवाही लूटना बहुत भारी पड़ रहा है।
2. राजस्थान के सभी ब्लॉक अस्पतालों में विभिन्न बीमारियों के विशेषज्ञ लगाए बगैर ग्रामीण और कस्बाई मरीजों के लिए ये अस्पताल दवा वितरण केंद्र से अधिक महत्त्व के नहीं हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में यह पहला टारगेट होना चाहिए। केवल इनको सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कह देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि बिना विशेषज्ञों के ये केंद्र खोलने का कोई औचित्य नहीं है।
वैकल्पिक समाधान
जब तक पूरा इंतजाम नहीं हो जाता, तब तक अस्पतालों और सीनियर स्कूलों में आसपास के प्राथमिक केन्द्रों से अनुभवी चिकित्सकों व शिक्षकों को लगाकर भरपाई की जा सकती है।
स्थायी समाधान
विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए नई सेवा शर्तें बनाकर और उनको उचित सम्मान देकर कदम आगे बढ़ाए जाने चाहिए। पुरानी नीति पर चलने से अब काम नहीं बनेगा। समय बदल गया है और विशेषज्ञों को निजी क्षेत्र में काम करने के बेहतर अवसर मिल रहे हैं। ऐसे में वे नेताओं की झिकझिक सुनने क्यों आएंगे।
एक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निगम बनाकर इस सेवा को छिछली राजनीति के हस्तक्षेप से मुक्त किया जाये और ऐसे ही माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को कक्षा 6 से 12 का जिम्मा नए स्वतंत्र अंदाज में दिया जाये.
'अभिनव राजस्थान' में यही योजना रहेगी।
'अभिनव राजस्थान अभियान' हमारे सपनों के राजस्थान के निर्माण को प्रतिबद्ध है। बहुत हो गया यह राजनीति का सस्ता, ओछा खेल। अब लोकतन्त्र स्थापित करना है। इसे लिए आवश्यक माहौल बनाना है। और यह माहौल वैकल्पिक शासन की विचारधारा के प्रसार से बनेगा।
वंदे मातरम !