प्रदेश और देश अपने आप संभल जाएगा.
मात्र 33 इकाईयां प्रदेश में और 640 इकाईयां हैं देश में.
एक जिले में दस से पन्द्रह सजग मित्रों की जरूरत होगी.
कैसे काम करेगा यह मोनिटरिंग सिस्टम ? अप्रैल 2015 से, बहुत ही सरलता से.एक आवेदन सूचना के अधिकार से हमारे मित्र एक विभाग के जिला मुख्यालय के सूचना अधिकारी जी को देंगे. इसमें मुख्यतया पांच जानकारियाँ लेनी हैं.
1. विभाग का मासिक प्रगति प्रतिवेदन, जिससे यह पता चल जाए कि विभाग ने अपना मूल काम कितना किया है और केन्द्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं को कितना लागू किया है.
2. जिला अधिकारी जी के निरीक्षण प्रतिवेदन जिनसे यह पता चले कि अधिकारी जी जिले में घूमते हैं या ऑफिस से ही काम चला लेते हैं.
3. जिला मुख्यालय में प्राप्त RTI आवेदनों पर की कई कार्रवाई और इस अधिकार के प्रचार प्रसार के लिए किये गए प्रयास. इससे लोकतंत्र के इस स्तंभ के प्रति संवेदनशीलता कायम रहेगी.
4. जिले में NGOs और Placement Agencies को विभाग द्वारा किये गए भुगतान का विवरण जो बता सके कि जिले के युवाओं की भागीदारी इस संस्थाओं में कितनी है या कि ये सब कागजी पेमेंट है.
5. जिला मुख्यालय को प्राप्त निर्देश या circular, जिनसे हमें पता रहे कि विभाग में क्या नया चल रहा है.
हम अपने मित्रों को इन बिंदुओं पर प्राप्त जानकारियों का विश्लेषण करने में मदद करेंगे. इसके बाद अपने मित्र जिले एवं प्रदेश के शीर्ष अधिकारियों को पत्र लिखकर व्यवस्था की कमियां बताएँगे और उनमें सुधार को कहेंगे. साथ ही जिले के मीडिया को विभाग की performance के बारे में बताकर जनजागरण करेंगे.
इधर हर जिले में यह काम व्यवस्थित होगा तो उधर प्रदेश स्तर पर हमारे सुपर मिनिस्टर्स अपने विभागों की खबर लेंगे. जिले के मित्रों से समन्वय करेंगे. आप देखिएगा कि कैसा प्यारा माहौल बनता है.
खर्च और समय- अपनी जेब से महीने में सौ से दो सौ रूपये अधिकतम. एक दिन देना होगा, जब मुख्यालय में कागज देखने जायेंगे. फिर तो रुचि जगने और समाज-देश के प्रति समर्पण का भाव बनाने की बात है. योगदान अपने आप बढ़ता रहेगा.
मित्रों, इस वित्तीय वर्ष में बहुत कुछ करना है, साथ देना. आप एक मौन क्रान्ति के अंग बनने वाले हैं. सरकार में काम करते हो तो भी परेशान न हों, हम तो सरकार ठीक चलाने के लिए ही काम कर रहे हैं.
संसद ने सूचना का अधिकार इसी भाव से दिया था ताकि आम नागरिक भी शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता विकसित करने में अपना योगदान दे सके. विशेषकर वे विद्वान मित्र जो चुनावी प्रक्रिया में रुचि नहीं रखते हैं या किसी कारण से उस क्षेत्र में सफल नहीं हो पा रहे हैं. देश उन विद्वानों के योगदान को आज तक तरस रहा है.
फिर भी कोई बहाना ? तो खाइए, पीजिए और सो जाइये. या थोथी स्तुति-आलोचना से अपना जीवन सार्थक बनाइये ! कोई शिकायत नहीं. समाज में सब तरह के लोग हमेशा रहेंगे. परिवर्तन के कीड़े सभी को नहीं काटते !
अभिनव राजस्थान अभियान
राजस्थान और भारत के शासन को सहयोग करने का अभियान.
अपने हाथों से अपनी नई व्यवस्था के निर्माण का अभियान.
वंदे मातरम !