मिशन 2016 कैसे काम करेगा ? सरल सार्थक व्याख्या. दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हमने तीन विभागों से पूछा है कि उनके इस सम्बन्ध में क्या प्रयास हैं. क्योंकि राजस्थान में हर वर्ष 10 हजार लोग इनके कारण मौत के मुंह में जाते हैं और अधिकतर में कारण सड़कों की रचना से जुड़ा होता है.
मैं जानता हूँ कि ये तीनों विभाग – परिवहन विभाग, सड़क विभाग और कलेक्टर तीनों या तो जवाब देंगे नहीं या उल्टा सीधा जवाब देंगे ! क्योंकि ये सब अभी इस बारे में न तो गंभीर हैं और न अपना दायित्व निभा रहे हैं. सभी मामलों में शासन ऐसा ही है और हमें सभी विभागों को उनके मूल और महत्वपूर्ण कार्य से जोड़ना है. कागज और कलम के कमाल से. कैसे ? स्पष्ट करता हूँ.
अब देखिये कि हकीकत में नियम क्या हैं.
परिवहन विभाग का मूल काम है- परिवहन को सुगम बनाना ताकि जनहानि न हो. इसके लिए इनको दो काम करने होते हैं. पहला तो यह कि वाहन चालकों और वाहनों को कुछ नियमों में बाँधना होता है. लाइसेंस वाला कम तो आपको दिखाई देता ही है. दूसरा काम इस विभाग का है- दुर्घटनाओं का विश्लेषण और उनकी रोकथाम. हर महीने में घटित दुर्घटनाओं का पूरा लेखा जोखा करके कारणों को जानना होता है और उन कारणों के निवारण का प्रयास करना होता है. इनकी मासिक रिपोर्ट में आख़िरी दो पेज इसी के लिए होते हैं और वे खाली ही भेज दिए जाते हैं ! इन्हीं को हमें भरवाना है. आज परिवहन विभाग का अर्थ यही रह गया है- वह विभाग जो ट्रकों से चौथ वसूली करता है ! इस अर्थ को बदलना है.
सड़क विभाग के मुख्य रूप से चार काम होते हैं. नई सड़कें बनाना, उनकी मरम्मत करना, उनके किनारे पेड़ लगाना और दुर्घटना संभावित स्थलों को दुरस्त करना. जैसे कहीं झाडियाँ अधिक हैं, कहीं अजीब मोड़ है, कहीं कोई छोटी सड़क बड़ी सड़क में घुसती है. लेकिन यह विभाग भी इस मानवीय कार्य को भूल चूका है. हमें इस विभाग को याद दिलाना है.
कलक्टर जिला परिवहन समिति का अध्यक्ष होता है, जिसकी बैठक हर तीन महीने में एक बार होनी होती है. इसमें जिले की परिवहन व्यवस्था की समीक्षा करनी होती है. आप सोच सकते हैं कि वर्तमान में इन बैठकों के नाम पर क्या होता होगा !
मगर ये विभाग इसलिए यह कम नहीं करते क्योंकि हम जो तथाकथित शासन के मालिक हैं, इनको बता ही नहीं रहे हैं कि इनको क्या करना है ! बेचारे मंत्री-संतरी इनको क्या बताएँगे ? उनको तो अपना कम भी नहीं पता !
अब जब हमें ये कागज़ मिल जायेंगे तो हम क्या करेंगे ? हम अपने जिले की स्थाई लोक अदालत में एक वाद दायर करेंगे. धारा 22 बी के तहत. हम अदालत को बताएंगे कि कोई भी सड़क दुर्घटना मात्र एक खबर नहीं है, एक फोटो नहीं है. यह एक या कई परिवारों का खात्मा है. हमारे देश के नागरिकों पर संकट है. इस खबर से आगे बढ़कर हमें वे उपाय करने होंगे ताकि ये घटना फिर न हो और अमूल्य जीवन बच सकें. इन विभागों के पास Road Safety Survey की रिपोर्ट्स धूल खा रही हैं, जिनमें हर हिले में सड़कों पर Death Points बताए हुए हैं, जहां एक से ज्यादा दुर्घटनाएँ हुई हैं और अनेक लोग मरे हैं. हम अदालत से इन विभागों को उनके मूल मानवीय कार्य करवाने के निर्देश दिलवाएंगे.
पहला मुकदमा हनुमानगढ़ से भाई अनिल जांदू और नितिन छाबड़ा अगले हफ्ते दायर कर रहे हैं. बाकी मित्र भी तीनों आवेदनों का जवाब आने पर अपने अपने जिलों में यही करेंगे.
अन्य विषयों पर हम इसी प्रकार जनहित में कार्य करेंगे. एक एक कर. यही मिशन 2016 है.
शुभकामनाओं के साथ. डॉ. अशोक चौधरी