राजस्थान में बिजली कंपनियों के घाटे का कड़वा सच.
सरल शब्दों में. संक्षेप में. (श्वेत पत्र)
सूचना के अधिकार से हमारे द्वारा खंगाले गए कुछ कागजातों के आधार पर.
व्यवस्था सुधरे तो बिजली की दरें बढ़ाने की बजाय बहुत कम की जा सकती हैं !
वर्ष 2000 में विश्व बैंक से उधार लेते समय उसके निर्देशों की पालना में हमने पांच कंपनियां बनाकर राजस्थान के बिजली तंत्र को सुधारने का प्रयास किया था. हमसे कहा गया था कि हमारे उत्पादन और बिक्री मूल्य में भारी गेप है और उसके प्रमुख कारण बताये गए थे- Transmission और Distribution में बिजली की छीजत(loss).
और पन्द्रह वर्षों में हमने अरबों खर्च किये. कंपनियों के हर काम को निजी हाथों में सौंपा. लेकिन नतीजा ज्यादा ज्यादा खराब निकला. हमारा घाटा (जनता का, नेताओं या अफसरों या ठेकेदारों का मुनाफ़ा !) लगभग 75 हजार करोड़ रूपये पहुँच गया ! कैसे और क्यों ? सीधा कारण तो हमारी यानि जनता की जागरूकता का नितान्त अभाव है जिसका फायदा इस प्रदेश के शासन में बैठे कुछ स्वार्थी-प्रभावशाली उठा रहे हैं. थोड़ा और आगे बढ़ें तो-
बिजली की खरीद में भारी बेईमानी, बिजली का सामान(मीटर, ट्रांसफोर्मर, स्विच, तार आदि) खरीदने और repair करवाने में उससे भी भारी बेईमानी, बिजली की चोरी खासकर उद्योगों में (खेती में तो न के बराबर), निजीकरण के नाम पर लूटमार हर स्तर पर- प्रदेश स्तर से गाँव-शहर तक. ये असली कारण हैं घाटे के और कोई भी शासन इनको दूर करने की ईच्छाशक्ति नहीं रखता है. अभी तक तो. हाँ, इन कारणों के कारण आपने बिजली मंत्री गजेन्द्र सिंह को हटते हुए देखा होगा. उन्हें क्यों हटाया गया या पिछली बार उन्होंने क्या किया ? अभी इसमें अपने को नहीं उलझना है पर लिफ़ाफ़े को देखकर मजमून भांपने की कोशिश कीजिये. आप जैसे विद्वान मित्रों को ईशारा ही काफी है.
कमाल यह है कि मीडिया इन बातों की तह तक कभी नहीं गया है ! अभी के माहौल में जा भी नहीं पायेगा. जागरूक और लोकतंत्र में प्रशिक्षत नागरिकों की कमी भी मीडिया के लिए बड़ी बाधा है.और शासन के लोग अपनी पोल खुद क्यों खोलेंगे. और ऐसे में हम क्या करेंगे ?
हम छः महीने में पूरी व्यवस्था को आपके माध्यम से जनता के सामने खोलकर रख देंगे. परत दर परत.हमारे सुपर मिनिस्टर Jitendra Singh जी ने अपना काम शुरू कर दिया है. वे विद्युत तंत्र की बारीकियों को खूब समझते हैं. जोधपुर समागम में वे हमें अपनी रणनीति बताएँगे और फिर हर महीने में तथ्य बाहर आयेंगे. जून के बाद हम सक्रिय जनजागरण के काम में लग जायेंगे. बिजली सहित कई मुद्दों पर. नवम्बर में हम अलग ही रंग में आ जायेंगे.
अभिनव राजस्थान अभियान,
असली लोकतंत्र और विकास के लिए.