(सन्डे स्पेशल, अभिनव मंथन)
एक मनोवैज्ञानिक पहलू.
सास बहू और पति पत्नी के झगड़े,
समाज की एक कडवी हकीकत, जिसे स्वीकार करना बेहतर होगा.
इन झगड़ों के मूल में छिपे कारण को समझना होगा और
समाधान की तरफ बढना होगा.
वरना लाखों परिवार बर्बाद होते रहेंगे, घुटन में जीयेंगे.
1. सास बहू के झगड़े के पीछे मूल मनोवैज्ञानिक कारण सास (मां) के मन के किसी गहरे कोने में अपने बेटे से बन रही दूरी होता है. उसे लगता है कि जो बेटा उसे बहुत प्यारा हुआ करता था, उसके बिना रह नहीं सकता था, उसका ध्यान अब कहीं ओर है. उसे लगता है कि उसका एकाधिकार समाप्त हो रहा है. वह यह बात कभी कहेगी नहीं पर मन की गहराई में, अवचेतन मन (subconscious mind) में, यह बात एक कॉम्प्लेक्स का रूप ले लेती है. वैसे भी मशहूर और बहुत लोकप्रिय रहे मनोवैज्ञानिक फ्रायड के शिष्य कार्ल युंग ने कहा था कि बाप का बेटी से (Electra complex) और मां का बेटे से स्नेह (Oedipus comlex) अधिक होता है ! इस वहज से , मां किसी न किसी बहाने से, अनजाने में बहू से मनमुटाव पालने लगती है. इस मनमुटाव के अलग अलग स्तर होते हैं. कभी यह नापसंदगी तक सीमित रहता है तो कभी यह झगड़ों में तब्दील हो जाता है. अपवादों से भी इंकार नहीं है. किसी एक पक्ष की सहनशीलता या समझ इस मनमुटाव को रोक सकती है पर वह अपवाद ही होता है.
ऐसे में कुछ रिश्तेदारों की एंट्री मामले को और उलझा देती है. एक तरफ ननद का हस्तक्षेप, दूसरी तरफ बहू की मम्मी का हस्तक्षेप मामले को उलझा देता है. पुरुष पिस जाता है, समझौता कर लेता है या गलत कदम उठा लेता है. नतीजे अक्सर ख़ुशी देने वाले तो नहीं ही होते हैं.
2. इसी प्रकार पति और पत्नी के आपस में भिड़ने का भी मोवैज्ञानिक आधार है. बहुत कम लोग जानते हैं कि स्त्री और पुरुष शारीरिक के साथ साथ मानसिक रूप से भी बहुत अलग होते हैं. एकदम अलग होते हैं. पर एक दूसरे के पूरक होते हैं. यह अलग होना प्रकृति की सुन्दरता भी है. घर में समस्या आने पर महिला समस्या पर मात्र बात करती है तो पुरुष उसे सुलझाने पर ध्यान लगाता है. पुरुषों को राजनीति में रुचि होती है तो महिलाओं को नल में पानी आने को लेकर चिंता रहती है. सैकड़ों फर्क हैं सोचने के ! किताबें लिख दी गई हैं, इन पर. लेकिन स्वाभाव के इस अंतर की समझ नहीं होने पर दोनों एक दूसरे को अपने हिसाब से ढालना चाहते हैं. और वह अक्सर बैठता नहीं है. विवाद यहीं से शुरू होते हैं. फिर गलतफहमियां बढ़ने लगती हैं.
एक दो चार साल में विवाह के सम्बन्ध का खालीपन उभरने लगता है. एक दूसरे से जोश में मिलना कम हो जाता है. दोष ही दोध दिखाई देने लगते हैं और एक ऊर्जावान रिश्ता, समझौते में ढल जाता है. कई बार रिश्ता खतरनाक स्तर पर भी पहुँच जाता है.
बहुत कुछ लिखने को है इस विषय पर लेकिन आज यह विषय क्यों ?
1. क्योंकि अभिनव राजस्थान में हम अभिनव समाज और शिक्षा के माध्यम से इन रिश्तों को ऊर्जा और स्नेह से भरना चाहेंगे. हम समाज में बड़े स्तर पर इन विषयों पर वैचारिक संवाद करेंगे. हमें लगता है कि इन विषयों पर चुप बैठना या इनको अवॉयड करना समाज को जहर से भर देगा. बच्चों पर इन झगड़ों को बुरा असर पड़ता है तो इस अशांति में समाज बदसूरत भी लगता है, आर्थिक नुकसान भी बहुत होता है. इसलिए हम समाज में व्यापक चर्चा से सम्मान और स्नेह का माहौल बनायेंगे. हर माध्यम का इस्तेमाल करके सास-बहू और पति पत्नी संबंधों के महत्व को साझा करेंगे. ऐसे में सास और बहू दोनों, रिश्ते की अहमियत समझेंगी तो पति और पत्नी भी अब एक दूसरे की मानसिकता का सम्मान करेंगे और रिश्ते को सुन्दर और समृद्ध बनायेंगे. एक शानदार माहौल बनेगा. माहौल बनाने को निकलें तो क्या नहीं हो सकता है. हम अभी हिम्मत हारकर बैठे हैं पर इससे समस्या उलझेगी ही. उलझ ही रही है.
हाँ, अभिनव समाज में भी सास-बहू और पति-पत्नी में मनमुटाव होंगे पर वे अपवाद होंगे और मनमुटाव एक गरिमापूर्ण सीमा में रहेगा, जैसे कभी पहले के भारतीय समाज में होता था.
2. इसके साथ ही हम अभिनव शिक्षा में कॉलेज में पढने वाले विद्यार्थियों को सामाजिक रिश्ते निभाने वाली जानकारियाँ देंगे ताकि उनका ज्ञान इस विषय में बढ़े. उनके लिए यह विषय भी सिलेबस में अनिवार्य रूप से होगा. किताबी ज्ञान के साथ यह व्यवहारिक ज्ञान भी तो होना चाहिए. कौन बताएगा यह सब. समाज में तो आजकल यह व्यवस्था है नहीं. और धकेल देते हैं, अनजान लोगों को एक दूसरे के साथ रहने को, बिना समझाए, सिखाये. यह मजाक कब तक ? अगर गृह शान्ति नहीं होगी तो जीवन की किसी भी सफलता का क्या मायने रह जाता है ? हम लड़कियों को समझायेंगे कि बहू के रूप में उनको क्या ध्यान रखना चाहिए. अत्याचार सहन नहीं करना है, अपने हितों का नुकसान नहीं होने देना है पर अपनी तरफ से परिवार को कुछ देने का भाव भी रखना है. ऐसे ही हम लड़कों और लड़कियों को उनकी मानसिकता के अंतर को समझने और उसका सम्मान करने का आव्हान करेंगे. मानते हैं कि सपनों का संसार नहीं बनेगा पर ये जानकारियाँ व्यर्थ नहीं जाएँगी. कुछ तो अच्छा ही होगा. हो सकता है कि राजस्थान की किस्मत अच्छी हो तो बहुत कुछ हो सकता है,
कभी कभी लोगों को लगता है कि एक पार्टी को इन सब मामलों से क्या लेना देना. वे भूल करते हैं. असली पोलिटिकल पार्टी का काम समाज को नई दिशा देना होता है, हर क्षेत्र में. चुनाव लड़ना-जीतना और राज करना तो ऐसा भद्दा लक्ष्य है जो हमने भारत में लोकतंत्र की समझ न होने से बन रखा है. राजनीति यानि राज के लिए नीति से हम गलत चिपक गए हैं. असली शब्द लोकनीति है और वही हमारी नीति है. लोक के लिए नीति. इसलिए हमें समाज, संस्कृति, शिक्षा, कृषि, उद्योग, प्रकृति आदि विषयों में भी उतनी ही रुचि है, जितनी शासन के विषय में.
अभिनव राजस्थान पार्टी,
सत्ता की अदला बदली से दूर,
राजस्थान में एक नई सामाजिक, आर्थिक, शासकीय व्यवस्था को समर्पित.
ताकि राजस्थान बने विश्व में निराला, समृद्ध और सुन्दर.
#AbhinavRajasthanParty
www.abhinavrajasthan.org पर हमारे अभियान के बारे में बहुत सी जानकारियां हैं. समय मिले तो गौर कीजियेगा.