अभिनव राजस्थान में माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था (कक्षा 6 से 10) सरल, प्रभावी, काम खर्च में, विश्वस्तरीय. शिक्षक का सम्मान, पारदर्शी ट्रांसफर नीति, नो नेता ! राजस्थान के प्रत्येक बच्चे को समान अवसर.
अभिनव राजस्थान की अभिनव शिक्षा में माध्यमिक स्कूलें कक्षा छः से दस तक ही होंगी. कक्षा एक से पांच तक प्राथमिक स्कूल होगी. यह आठवीं वाला outdated system नहीं होगा. न ही उच्च माध्यमिक स्कूलों के साथ इस वर्ग के बच्चे बैठेंगे. उच्च माध्यमिक में केवल कक्षा 11 और 12 के छात्र होंगे और उन विद्यालयों की व्यवस्था अलग होगी. उनमें वैकल्पिक विषय होते हैं जबकि माध्यमिक शिक्षा में सभी विषय पढ़ने होते हैं. अभिनव राजस्थान में उच्च माध्यमिक शिक्षा संभाग के विश्वविद्यालय के नियंत्रण में होगी. प्राथमिक शिक्षा वर्तमान की तरह बीकानेर से नियंत्रित होगी और वह बोर्ड प्राथमिक शिक्षा बोर्ड कहलायेगा.
प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा का पूरा नियंत्रण माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर के पास होगा. शिक्षक भर्ती से लेकर उनके तबादले और पाठ्यक्रम निर्धारण से लेकर परीक्षाओं तक के काम बोर्ड ही करेगा. बीकानेर का माध्यमिक शिक्षा निदेशालय और जयपुर की माध्यमिक शिक्षा परिषद बोर्ड में ही merge हो जायेंगे. एक काम के लिए तीन तीन संस्थाओं का क्या काम. बेकार का confusion.
बोर्ड के प्रमुख को महानिदेशक (माध्यमिक शिक्षा) और जिलों के अधिकारी को निदेशक कहा जायेगा. इन अधिकारियों के पास नियमों में लिखे हुए अनुसार शिक्षकों की सेवा से सम्बन्धित सभी अधिकार होंगे. किसी भी प्रकार का नेताई हस्तक्षेप नहीं होगा. स्पष्ट तबादला नीति होगी और प्रत्येक चार वर्ष में एक बार तबादला अनिवार्य होगा. प्रत्येक आठ वर्ष में योग्यतानुसार पदोन्नति (promotion) की व्यवस्था होगी. प्रारंभिक पोस्टिंग छोटे गांव में होगी और पहले प्रोमोशन पर बड़े गाँव-कस्बे या शहर में पोस्टिंग हो जायेगी. अगले प्रोमोशन पर और बड़े शहर में. तबादला यथासंभव अपने मूल निवास के पास होगा. जिले से बाहर केवल शिक्षक की ईच्छा से तबादला हो सकेगा.
शिक्षकों के लिए विद्यालय में शानदार आवास की व्यवस्था होगी. सभी आवश्यक मूल सुविधाओं से सुसज्जित आवासीय परिसर होगा.
सभी विद्यालयों में एकरूपता होगी. अंग्रेजी या हिंदी माध्यम के पाठ्यक्रम में कोई अंतर नहीं होगा. प्रत्येक ढाणी और गाँव में एक वाहन की व्यवस्था होगी जो बालक-बालिकाओं को नजदीक के सरकारी माध्यमिक या उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंचायेगा. छात्र संख्या कम होने पर स्कूल नहीं खोला जाएगा. इस वाहन व्यवस्था की जिम्मेदारी पंचायत की होगी.
पाठ्यक्रम में निरंतरता होगी. जैसे गणित कक्षा छः से दस को जाते हुए एक निश्चित क्रम में होगी. हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत बोलने पर जोर रहेगा. इनको अगर बोलना विद्यार्थी को नहीं आया तो अभिनव शिक्षा में कोई अर्थ नहीं होगा. कला और खेल अनिवार्य विषय होंगे लेकिन इनका प्रशिक्षण स्कूल टाइम के अतिरिक्त होगा. इनके लिए अलग से व्यवस्था होगी. इनके शिक्षक भी स्कूल के नियमित समय में नहीं आएंगे बल्कि अपनी अलग व्यवस्था से काम करेंगे.
समाज के लिए आवश्यक व्यवहारिक ज्ञान के निश्चित लक्ष्य होंगे. विद्यार्थी को समाज और परिवार के प्रति समर्पित नागरिक के रूप में विकसित किया जायेगा. हमारे दसवीं पास विद्यार्थी को पता होना चाहिए कि गाय बीमार होने पर क्या करते हैं, खेत की मिट्टी की जांच के क्या फायदे हैं, कपड़े कम पानी में कैसे धोते हैं, छोटे भाई बहनों और बुजुर्गों का ख्याल कैसे रखते हैं.
कृषि और वाणिज्य के विषय अनिवार्य रूप से माध्यमिक शिक्षा का अंग होंगे. इन विषयों के बिना आज के युग के लिए आवश्यक नागरिक कैसे तैयार हो सकते हैं ?
प्रत्येक महीने की एक पुस्तक हुआ करेगी. जैसे अगस्त महीने की पुस्तक में हिंदी-अंग्रेजी-संस्कृत-विज्ञान-गणित आदि विषयों के पाठ होंगे. अगले महीने क्रम से आगे के पथ एक ही पुस्तक में होंगे. बस्ते का बोझ कम हो जायेगा.
एक दिन में एक क्लास को चार अध्यापक ही पढ़ाएंगे. चार अध्यापक-आठ कालांश. एक कालांश पढ़ाई का होगा तो दूसरा कॉपी वर्क का या चर्चा का. क्लास में ही. घर पर कुछ नहीं पढ़ना है. अगले दिन अन्य चार अध्यापक.
प्रत्येक महीने एक टेस्ट होगा. वर्तमान की तरह अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं होंगी. आतंरिक मूल्यांकन पचास प्रतिशत होगा.
बोर्ड वर्तमान की तरह दसवीं की परीक्षा आयोजित करेगा लेकिन कक्षा छः से दस तक की पढ़ाई की व्यवस्था की मोनिटरिंग भी करेगा. अगर आप साल भर की व्यवस्था के बारे में नहीं जानते हो तो कैसे परीक्षा ले सकते हो ?
बोर्ड की दसवीं परीक्षा के आधार पर ही विद्यार्थियों का प्रवेश उच्च माध्यमिक विद्यालयों में होगा.
ऐसी माध्यमिक शिक्षा जो शिक्षक के सम्मान को अत्यधिक महत्त्व देती हो, वही राजस्थान को अभिनव राजस्थान बना सकेगी. जब शिक्षक ठान लेगा तभी अभिनव राजस्थान बनेगा. और शिक्षक सम्मान मिलने पर यह कर दिया करता है. इतिहास झूठ नहीं कहता है.
वंदे मातरम तभी होगा. और हमें यह करना है.