अभिनव राजस्थान में एक दसवीं पास विद्यार्थी को कितना ज्ञान होगा ?1. उसे यह पता होगा कि भारत और राजस्थान में शासन जनता का है और यह उसके जैसे परिवारों द्वारा दिए गए टेक्स से चलता है. उसे मालूम होगा कि जब वह बाजार से कोई भी चीज खरीदता है तो शासन चलाने का चन्दा या टेक्स देता है. यह अहसास होने पर वह नागरिकता का पहला अध्याय पढ़ लेगा और यह ज्ञान एक लोकतांत्रिक और विकसित देश बनाने के लिए सबसे अधिक जरूरी है.
2. उसे पुलिस और राजस्व के सामान्य कानूनों और नियमों की मूलभूत जानकारी होगी.
3. उसे मानवों, पशुओं और फसलों में होने वाली सामान्य बीमारियों के कारणों और लक्षणों बारे में पता होगा. यह मालूम होने से वह इनसे बचाव के उपायों से वाकिफ होगा और उनके ईलाज की प्रक्रिया भी जान लेगा. वह विषय विशेषज्ञों के पास इस मूल जानकारी से साथ जाएगा तो ईलाज भी समय पर और प्रभावी होगा.
4. उसे घर में और व्यवसाय में काम आने वाले यंत्रों की कार्यप्रणाली की मूलभूत जानकारी होगी. इससे वह इन यंत्रों के रखरखाव को आसान बाना सकेगा.
5. वह किसी एक खेलकूद या कला में प्रवीण होगा जो उसके व्यक्तित्त्व को निखार देगी, उसकी तरुणाई की ऊर्जा को सकारात्मक आउटलेट देगी. तब वह गुटका खाकर, टी वी देखकर या मोबाइल से खेलकर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करेगा. भारत की नींव मजबूत होने लगेगी.
मित्रों, हमने इस प्रकार की माध्यमिक शिक्षा और प्राथमिक व उच्च शिक्षा की सम्पूर्ण व्यवहारिक योजना तैयार कर ली है. यह इसी साईट पर ‘अभिनव शिक्षा’ शीर्षक से उपलब्ध है. अगले दो वर्षों में हम सब मिलकर इस योजना को लाखों शिक्षकों, अभिभावकों तक पहुंचा देंगे. जनता की तरफ से इस योजना के पक्ष में माहौल बनेगा. तब हम शासन को माध्यमिक शिक्षा को इस प्रकार से रचने के लिए मजबूर कर देंगे.
याद रखें कि हमारा अभियान वर्तमान व्यवस्था की सतत समीक्षा और नई व्यवहारिक व्यवस्था के निर्माण को लेकर चल रहा है. अगले दो वर्षों में हम राजस्थान की गली गली में इस अभियान की आवाज गुंजायमान कर देंगे. उसके लिए हमें दो हजार जागरूक, समर्पित मित्रों की आवश्यकता है. आप सभी विद्वान मित्र इस समूह में काम करना चाहेंगे, ऐसा विश्वास है. आपको बस महीने में कुछ घंटे इस काम के लिए यानि समाज और देश के लिए देने हैं. और इसके लिए 23 मार्च को हम जोधपुर में संकल्प लेकर राजस्थान भर में काम शुरू करेंगे.
अभिनव राजस्थान अभियान,
हमारे सपनों के राजस्थान के अपने हाथों से निर्माण के लिए.
वंदे मातरम !