The Ultimate and painful Reality.
सरकारी शिक्षकों के बच्चे उनके स्कूल में नहीं पढ़ते हैं !
लेकिन दोष किसका ? टीचर्स का नहीं है जी.
सरकार चलाने वाले दोषी हैं, जिन्होंने अपनी गैरजिम्मेदारी से अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है.
कक्षा 1 से 12 तक की स्कूलों में पढ़ाने लगभग सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के बच्चे किसी न किसी निजी स्कूल में पढ़ते हैं. राजस्थान और भारत के लिए यह भयावह स्थिति है. हमारे शिक्षक का स्वयं का, अपने ही संस्थान से विश्वास उठ गया है तो वह किसी और के बच्चों को कैसे उसके स्कूल में पढने को राजी कर लेगा ? बस उस स्कूल में एकदम गरीब परिवार के बच्चे आयेंगे, जो निजी स्कूल की फीस देने के काबिल नहीं हैं. या कुछ लड़कियां आएँगी जिनको माँ-बाप असुरक्षा के चलते दूसरे स्थानों पर भेज नहीं पाते हैं.
कोई भी देश ऐसे हाल में विकसित नहीं हो पायेगा. कभी नहीं.
पर यह स्थिति बनी कैसे ? क्या शिक्षक गैर-जिम्मेदार हो गए ? नहीं जी. शिक्षक का कम दोष है. दोष है उनका जिनको जनता अच्छे शासन के लिए चुनकर भेजती है. उनमें से एक शिक्षा मंत्री बना जाता है. पिछले कई वर्षों से आपने किसी शिक्षा मंत्री या शिक्षा सचिव को स्कूलों में घूमते, शिक्षकों और छात्रों से बतियाते नहीं देखा होगा ? शिक्षा मंत्री का अब एक ही मतलब रह गया है- शिक्षकों के तबादले करने वाला व्यक्ति. इससे आगे कोई मंत्री बढ़ा ही नहीं. आज भी यही हालात हैं. शिक्षा मंत्री और सचिव ने कभी यह जतन नहीं किया कि जमीनी हकीकत को जानकर उसमें सुधार किया जाये. ऐसे में पहले विषय विशेषज्ञों की कमी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों को खाली करती गई. फिर सर्व शिक्षा अभियान और मिड डे मील ने उच्च प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालयों को निपटा दिया. कहीं धान घणा, कहीं मुट्ठी चणा ! सब तरफ भ्रम और अविश्वास फैलता गया. शिक्षक भी घबरा गया और अपने बच्चों को चुपचाप इन संस्थानों से निकालने में ही उसने भला समझा.
उधर सोई जनता, जागरण की कमी. नेता नेतागिरी में मस्त. स्कूलों के फीते काटते और मास्टरों पर ‘राज’ करते.
अब क्या हो सकता है ? ‘अभिनव राजस्थान’ में पूरा प्लान है. आप www.abhinavrajsthan.org पर जाकर ‘अभिनव शिक्षा’ में उसकी तस्वीर देख सकते हैं. उस प्लान पर काम करने के लये हम शासन को मजबूर करेंगे. तभी यह स्थिति सुधरेगी. इस प्लान में एक एक बिंदु पर व्यवहारिक समाधान है जो कम खर्च में लागू किया जा सकता है. लेकिन उसके लिए मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को शिक्षकों की लीडरशिप करनी होगी.
और इस सबके लिए ‘अभिनव राजस्थान अभियान’ के 30 नवम्बर के समागम का सफल होना आवश्यक है.इस सफलता के आड़ हमारी बात को जनता और शासन में सामान रूप से सूना जाएगा.
हम सब काम करेंगे, देश और समाज हित में. अपने अंदाज में. अपने विश्वास से.
‘अभिनव राजस्थान अभियान’
वन्दे मातरम !