यह शिक्षा तो बेरोजगारी पैदा करेगी ही, इसे बदलना होगा. अभिनव शिक्षा ही समाधान है.)
राजस्थान के सीनियर स्कूलों और कॉलेजों में 75 प्रतिशत से अधिक बच्चे कौनसे विषय पढ़ते हैं ?
इतिहास, राजनीति शास्त्र और हिंदी साहित्य.
और इन विषयों के ज्ञान की आज के राजस्थानी समाज और बाजार में मांग नहीं है. और जब मांग नहीं है तो इस ज्ञान को अर्जित किये बच्चे बेरोजगार ही रहेंगे न. सीधा गणित है. केवल सरकारी सेवाओं या निजी शिक्षण संस्थाओं में ऐसे कितने युवाओं को हम प्रवेश दे सकते हैं. नतीजा यह होता है कि बड़ी संख्या में ये युवा बेरोजगारी का कलंक लिए घूमते हैं. कहने को पढ़े लिखे हैं और मजदूरी अब करना उन्हें रास नहीं आता है पर ज्ञान के बाजार में उनको कोई योग्यतानुसार काम देने वाला नहीं है. युवाओं को पूछना चाहिए कि जब इस ज्ञान से कोई काम या रोजगार नहीं मिल सकता तो इन्हें पढ़ाकर हमारा समय और ऊर्जा क्यों खराब की.
गलती किसकी है ? गलती युवाओं की नहीं है, न शिक्षकों की. गलती है समाज की, इसके शासन की, जिसने अपने बच्चों के लिए ‘उचित’ शिक्षा व्यवस्था की रचना ही नहीं की है. मेकाले की उन्नीसवीं सदी में रचित व्यवस्था को हम आज भी ढो रहे हैं. उनको दोष भी दे रहे हैं. परन्तु सत्तर वर्षों की देशी सत्ता ने आज तक इस व्यवस्था को बदलने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया है. केवल लीपापोती चल रही है, यह पाठ हटा दो, यह जोड़ दो, यह परीक्षा यूं ले लो, यूं ले लो. इससे ज्यादा कभी कुछ नहीं हुआ है. मैंने सभी नीतियां गहराई से पढ़ी हैं. सब रद्दी में फेंकने वाले कागजों से भरी पड़ी हैं. सत्ता में जमे ‘राजनेता’ तो ‘राज’ के मजे और नशे से बाहर नहीं निकला रहे हैं, नीतियां और योजनाएं बनाने का समय किसके पास हैं. ऐसे में कुछ अफसर कभी कभार अनमने भाव से कुछ कागज घिस लेते हैं, जिन्हें नई नीति कहकर कुछ साल काम चलाया जाता है.
ऐसे में अभिनव राजस्थान के लिए हमने एक व्यापक नई शिक्षा व्यवस्था की रचना की है. इस व्यवस्था में पढ़ा युवा इतने आत्मविश्वास से भरा होगा, अपने ज्ञान के दम पर, की वह बेरोजगारी शब्द से ही परहेज करेगा. वह कॉलेज से निकलते ही कोई कोई न उपक्रम शुरू करने में लग जायेगा. तभी तो राजस्थान का असली विकास शुरू होगा. राजस्थान में एक नए युग का सूत्रपात होगा. बिना युवा की सक्रिय भागीदारी के कोई भी समाज या देश कैसे समृद्ध हो सकता है ?
हमारी नई शिक्षा व्यवस्था में स्कूलों और कॉलेजों की रचना नए ढंग से है, पाठ्यक्रम नए समय के अनुसार है. सब कुछ व्यवहारिक, व्यापक अध्ययन, अनुभव और चर्चा के बाद. हवाई जुमले नहीं. साथ ही नई शिक्षा के द्वारा रचित ज्ञान के अनुसार खेती, उद्योग, बाजार की रचना भी अभिनव राजस्थान में होगी. हम मानते हैं कि समाज के सभी क्षेत्रों की tuning बिठाये बगौर सार्थक और स्थाई परिवर्तन नहीं आते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन हो और खेती, उद्योग व बाजार उसके अनुकूल न हो तो फिर निराशा होती है क्योंकि फिर ज्ञान और उसके उपयोग में समन्वय नहीं हो पाता है.
आने वाले 25 दिसम्बर 2016 को जयपुर के बिडला सभागार में यह सम्पूर्ण योजना राजस्थान की जनता को समर्पित की जायेगी, एक पुस्तक के रूप में.
आप विस्तार से हमारी वेबसाइट पर अभिनव शिक्षा शीर्षक से बहुत कुछ जान सकते हैं. हमारी वेबसाइट का पता है- www.abhinavrajasthan.org .
(डॉ. अशोक चौधरी, अभिनव राजस्थान अभियान)