ऐसा सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय जो नए आदर्श स्थापित कर रहा है.
निराशा के युग में जब भी कोई आशा की किरण दिखाई देती है तो मन हर्ष से भर जाता है. नागौर और बीकानेर जिलों की सीमा पर स्थित हनुमाननगर (नागौर) के उच्च प्राथमिक विद्यालय को देखकर ऐसा ही लगा. इस सरकारी विद्यालय में काफी कुछ ऐसा था जिसकी कल्पना हम लोग ‘अभिनव राजस्थान’ में किया करते हैं. 325 विद्यार्थियों के लिए यहाँ 8 समर्पित अध्यापकों की टीम है. स्टाफ का जज्बा देखेंगे तो किसी निजी स्कूल के प्रबंधन को भी ईर्ष्या हो सकती है. अचरज और खुशी से भरा मैं बार बार अध्यापकों से यही पूछता रहा कि ऐसा कैसे हुआ. आपको प्रेरणा कैसे मिली. आपका जोश बरकरार कैसे रहता है. लेकिन कोई भी अध्यापक बोल नहीं रहा. बस वे तो अपने विद्यालय की विशेषताओं को एक एक कर बताते रहे. वहां पर मौजूद शिक्षा अधिकारी और नागौर पंचायत समिति के अन्य विद्यालयों से आये प्रधानाध्यक भी इन विशेषताओं की पुष्टि का रहे थे. पुष्टि करने के लिए विद्यालय की हर गतिविधि प्रमाण दे रही थी. क्या विशेषताएं हैं इस विद्यालय में, जो मैं इतना उत्साहित हूँ ?
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विद्यालय में कोई अध्यापक विलम्ब से नहीं आता है. अनुशासन में अध्यापक अपने शिष्यों के लिए उदहारण बनते हैं.
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सामान्य अध्ययन के साथ साथ विद्यालय में अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में निपुणता के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगती हैं. हमने वहां विद्यार्थियों को दोनों भाषाओँ में वार्तालाप करते देखा तो दंग रह गए.
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विद्यालय में सी सी टी वी लगा है, जिससे प्रधानाध्यापक लेखराम जी सभी कक्षा कक्षों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं.
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कंप्यूटर कक्ष सुसज्जित है और प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था है. विद्यार्थी स्वयं इस व्यवस्था के सञ्चालन में पारंगत हो रहे हैं.
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विद्यालय के प्रांगन में पौधों की भरमार है, तो साफ़ सफाई में भी विद्यालय ने कोई कसर नहीं छोड़ रखी है.
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सरकार द्वारा विद्यार्थियों के लिए जो भी योजनाएं संचालित होती हैं, उन सभी को यहाँ के स्टाफ की सक्रियता के कारण यहाँ शत प्रतिशत लागू किया गया है. कोई भी पात्र विद्यार्थी योजना से वंचित नहीं है.
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अध्यापकों के समर्पण के कारण जनसहयोग पग पग पर दिखाई देता है. विद्यालय में सभी अतिरिक्त सुविधाएं जनसहयोग से ही जुटाई गई हैं.