‘अभिनव सन्देश’
हमारी चाहत, हमारे ‘अपने’ शासन में, अभिनव राजस्थान में.
5. अभिनव राजस्थान में कॉलेज और यूनिवर्सिटी यानि उच्च शिक्षा में ये सात बातें प्राथमिकता से होंगी, ताकि हमारे युवा बेरोजगारी और निराशा के अंधकार से स्थाई रूप से बाहर निकल सकें और आनंद के साथ अपने करीयर का निर्माण कर सकें, अपनी योग्यतानुसार.
a. कक्षाएं नियमित लगेंगी. अभी की तरह अराजकता नहीं होगी. युवाओं के साथ ऐसा खिलवाड़ विश्व के किसी अन्य देश में नहीं होता है. अभिनव राजस्थान में यह खिलवाड़ हमेशा के लिए बंद होगा. युवा और उनके शिक्षक मिलकर ज्ञान सृजन का यज्ञ फिर से प्रारम्भ करेंगे.
b. शिक्षा व्यवस्था में आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस का बराबर हिस्सा होगा- एक तिहाई. अभी आर्ट्स का हिस्सा तीन चौथाई है. अब इतिहास कम युवा पढेंगे. आज के वाणिज्य और विज्ञान के युग के अनुरूप उच्च शिक्षा होगी.
c. सिलेबस में वही विषय अधिक होंगे, जिनके ज्ञान का आज के समाज में प्रत्यक्ष और अधिक उपयोग होता है. राजस्थान के समाज की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम का निर्माण होगा. तभी समाज में कदम रखते ही युवा के लिए काम उपलब्ध होगा.
d. परीक्षाओं में स्थानीय मूल्यांकन का महत्व आधा होगा. फिर इन परीक्षाओं का महत्व शासन में प्रवेश या भर्ती में भी आधा होगा. तभी युवा और शिक्षा के बीच सक्रिय संवाद, सम्मान और समन्वय फिर से बन पायेगा. पढ़ाई में रुचि पैदा होगी. शासन में भर्ती भी विभागों के विषयों के अनुसार ही होगी. भूगोल वाले खनिज विभाग में, बोटनी वाले वन विभाग में, लोक प्रशासन वाले आर ए एस में.
e. पढ़ाई के दौरान ही युवाओं को समाज में कुछ काम देकर कमाने की प्रवृति पैदा की जायेगी. इससे युवाओं में जिम्मेदारी के साथ ही आत्मविश्वास का भाव पैदा होगा. यानि अर्निंग व्हाइल लर्निंग का फंडा लागू होगा. हमारे कॉलेज ही एन जी ओ बन जायेंगे. स्किल इंडिया यहीं होगा, तफसील से. अभी की तरह स्किल के नाम से युवाओं के साथ धोखा नहीं होगा.
f. खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों का उतना ही महत्व होगा, जितना पढ़ाई का. इन गतिविधियों को भी शासन में प्रवेश के वक्त पूरा महत्त्व दिया जायेगा.
g. कॉलेजों का नियंत्रण अब सीधे संभागीय विश्वविद्यालय के पास होगा. जयपुर सचिवालय केवल नीतियाँ बनेंगी.
हमारी सम्पूर्ण योजना तथ्यों के साथ तैयार है. कम से कम खर्च में हम इसे संभव कर देंगे, वर्तमान संसाधनों के भीतर ही.
अभिनव राजस्थान यानि समाज, शिक्षा, शासन, कृषि, उद्योग, प्रकृति और संस्कृति का सक्रिय सम्बन्ध. सात रंगों का इन्द्रधनुष या सात सुरों की विकास राग.
अभिनव राजस्थान यानि समृद्धि, प्रकृति और संस्कृति की त्रिवेणी.
अभिनव राजस्थान यानि जागरूक, जिन्दा और समर्पित नागरिकों का राजस्थान.
हमें ही बनाना होगा ऐसा राजस्थान. अपने हाथों से. आइये, जुट जाइए. छद्म अवतारों की स्तुति से अभिनव राजस्थान या अभिनव भारत नहीं बनेंगे. ऐसा होता तो अभी तक यह हो जाता.
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