अभिनव संस्कृति ! अभिनव राजस्थान में.
हम संगीत और अन्य कलाओं के क्षेत्र में बहुत काम करने वाले हैं. हमारे शास्त्रीय संगीत और शास्त्रीय कलाओं को संवारने वाले हैं. इन्हें जनसामान्य के जीवन का अभिन्न अंग फिर से बनाने वाले हैं. ताकि जीवन का खोखलापन कम हो. जीवन समृद्ध हो. मित्रों, समाज संस्कृति से ही सुन्दर लगता है.
संस्कृति समाज का आभूषण है. और हम इस आभूषण से लदे हुए थे. तभी तो दुनिया हमारी ओर देखती थी. हमारी संस्कृति में हमारे संगीत और अन्य कलाओं की गहराइयों की अपनी महिमा हुआ करती थी. हमारा संगीत आत्मा का संगीत था. हमारे गायन, वादन और नृत्य में अलौकिक आनंद छुपा था. ऐसे ऐसे महारथी हुए यहाँ, जिन्होंने प्रकृति को अपने संगीत से नचा दिया था. उनके गीतों पर मोर नाचते थे, पंछी गाते थे. लेकिन सुल्तानों, मुगलों और अंग्रेजों की गुलाम में हम अपनी विरासत से अलग हो गए. रही सही कसर देश की आजादी के बाद आये गैर-जिम्मेदार और गैर-समर्पित शासन ने पूरी कर दी.
हमारी विरासत तो उनसे नहीं सम्भली पर नए भौंडे संगीत को समाज में घुसने से भी वे नहीं रोक पाए. संगीत की जगह यह ‘शोर’ समाज को कुरूप कर चला है. एक सांस्कृतिक प्रदूषण ने समाज को घेर लिया है. हू-हू, हा-हा गाने और बिना किसी साम्य के नाचने को संगीत कहा जा रहा है.
अभिनव राजस्थान में हम भारतीय और राजस्थानी संगीत के किताबों को फिर से खोलेंगे. संगीत की झंकार फिर आत्मा से अपने तार जोड़ेगी. संगीतकार होना फिर से गर्व का विषय होगा.
हमारे बच्चे मालकौंस और भैरवी गायेंगे. कत्थक से हमारे मंच सजेंगे. गोरबंध, घूमर और मोरिया की खुशबू होगी. तेजा गायन, पाबूजी के पावड़े, रामदेवजी के ब्यावले, गोगाजी के शोले और सवाई भोज की बगडावत के लिए फिर जनता उमड़ेगी. ख्यालों को फिर सम्मान मिलेगा. देवभूमि राजस्थान में हम अभिनव राजस्थान में ऐसा माहौल बनाएंगे कि युवाओं का वर्तमान फूहड़ संगीत से मन उचाट हो जायेगा. युवा तो कच्ची मिट्टी हैं, उनको जैसा ढालों ढल जाते हैं. यह समाज और शासन पर निर्भर है कि समाज के हित में माहौल बनाए.
इसके लिए आगे आना होता है, केवल कुढने या निंदा करने से समस्याओं का समाधान नहीं होता है. और न ही किसी अकेले के प्रयास से ऐसा सम्भव है. संगठित और सामूहिक प्रयास से यह संभव होता है.
अभिनव राजस्थान अभियान वही प्रयास है. इस प्रयास से ही फिर गया जाएगा—- “आ तो सुरगां ने सरमावे, इण पर रमण ने आवे, धरती धोरां री” राजस्थान का सर्वांगीण विकास, समृद्धि, प्रकृति और संस्कृति का त्रिवेणी संगम.
अभिनव राजस्थान.