लाखों लोग रामदेवरा जा रहे हैं.
शासन बेखबर है, पर बाबा की मेहर है !
‘अभिनव राजस्थान’ में हमने इस बारे में क्या सोचा है ?
राजस्थान की ‘अभिनव संस्कृति’ की कार्ययोजना में हमने देशी पर्यटन को ज्यादा महत्त्व देने पर जोर दिया है. लगभग पांच करोड़ पर्यटक राजस्थान में देशी होते हैं जबकि मात्र दस लाख विदेशी. परन्तु हमारे शासन का फोकस अभी विदेशियों को मिलने वाली सुविधाओं पर ही है. उनको लगता ही नहीं है कि देशी पर्यटक भी राजस्थान की तिजोरी में हर साल करोड़ों रूपये डालकर जाते हैं. चाय के लिए, भोजन के लिए या निवास या अन्य सुविधाओं पर ये पर्यटक जो भी खर्च करते हैं, वह स्थानीय अर्थ व्यवस्था में योगदान है. पर हमारी नीति निर्धारक इस angle से सोच भी नहीं पा रहे हैं.
‘अभिनव संस्कृति’ में हम राजस्थान के मुख्य पर्यटन मार्गों पर प्रत्येक 30 किमी पर एक सुविधा केंद्र बनायेंगे जिसमें नहाने-धोने और खाने के साथ ही विश्राम और ईलाज की आधुनिक सुविधाएं होंगी. हमारे ये महंगे पर्यटक सड़कों के किनारे रातें नहीं गुजारेंगे. इन केन्द्रों को संभालने का जिम्मा स्थानीय लोगों पर होगा, जहां नोमिनल शुल्क पर ये सुविधाएं उपलब्ध करवाई जायेंगी. राजस्थान में रामदेवरा, अजमेर उर्स या खाटू श्याम जी जैसे मेलों में जाने वाले पर्यटकों को हम पलकों पर बिठाएँगे. ‘अभिनव राजस्थान’ ऐसा ही होगा. राजस्थान की संस्कृति में रंग होगा.
इनमें हर 100 किमी पर एक बड़ा केंद्र ट्रकों और टेक्सियों के चालकों के लिए भी काम आएगा. इन चालकों को भी हमें टेक्स देने वाले और माल-यात्री ढ़ोने वाले देश के कर्मयोगियों के तौर पर देखना होगा.इनको भी लगना चाहिए कि यह शासन उनका भी है. वरना बही तो शासन के नाम पर वे पुलिस, आर टी ओ के डंडे और वसूली और टोल टेक्स को जानते हैं !
जय बाबा की. मौक़ा मिलते ही हम यह काम कर देंगे.
वन्दे मातरम !