जब तक किसान अपने सामाजिक समारोहों को फिर से व्यवस्थित और सादा-कम खर्चीला नहीं करेगा, तब तक market में उसकी bargaining power कम रहेगी.
तब तक उसे सही भाव नहीं मिल पायेगा, चाहे सरकार कुछ भी कर ले,
चाहे किसान संगठन कुछ भी कर लें.
रोग की जड़ को पकड़े बिना मलहम लगाने से रोग नहीं जायेगा.
अभिनव राजस्थान का अभिनव समाज उस जड़ को काटेगा. तरकीब से.
आप किसी भी आम किसान का दस-बीस साल का लेखा जोखा देख लो. उसकी कमाई से ज्यादा उसका खर्च है. और इन खर्चों में सबसे अधिक खर्च वैवाहिक और मौत सम्बंधी खर्च है. इन खर्चों में दिनों-दिन बढ़ोतरी हो रही है, जबकि कमाई का आंकड़ा उसके अनुपात में नहीं बढ़ रहा है. और किसान है कि परम्परा और इज्जत के नाम पर इस आग में अपना घर और अपने बच्चों के सपने जला रहा है.
ऐसे में जब उसकी फसल आती है तो उसे रोकने की हिम्मत उसके पास नहीं होती है. उसे तो भाव कम हो तो भी फसल बेचनी ही होगी. या तो कोई फंक्शन निपटाना है या फिर कोई कर्ज चुकाना है. पूरे भारत में यह हाल है, गुजरात को छोड़कर. गुजराती सामजिक खर्चों में कंजूसी कर लेते हैं और इसी वजह से उनके पास पूँजी बच जाती है. लेकिन यहाँ राजस्थान में तो पैसे हों या न हों, थोथी इज्जत और दिखावे के लिए किसान उधार लेता है, खेत बेचता है.
अभिनव राजस्थान में इसीलिये हम सबसे पहले अभिनव समाज की रचना का काम करेंगे. हम समाज के सभी वर्गों को जबरदस्त मार्केटिंग से अपने अपने सामाजिक वर्गों में समारोहों को सादा करने के लिए राजी कर लेंगे. वे तो तैयार ही हैं ! कहने वाला चाहिए, थोड़ा बड़े स्तर पर. हम कह देंगे और अर्थव्यवस्था का लिहाज देकर कह देंगे, तथ्यों के साथ. और यह हो जायेगा. यह काम केवल सामाजिक संगठनों के बस का नहीं है. इसे शासन के जिम्मेदार लोगों को करना होता है. उनका काम ही समाज को नए और सकारात्मक परिवर्तनों के लिए तैयार करना होता है. शासन में बैठे लोगों का भी अपना क्रेज होता है. उनकी बात को आम आदमी तवज्जो देता है. साथ ही शासन के साथ होने से पांच प्रतिशत समाज कंटक माहौल बिगाड़ नहीं पाते हैं. जबकि अभी तो शासन में बैठा व्यक्ति ही बिगाड़ा कर रहा है ! वोटों के लिए.
2005-07 में हमने पूरे नागौर जिले में एक छोटा प्रयोग करके देख लिया है कि अगर समाज को व्यापक स्तर पर इन परिवर्तनों के लिए तैयार किया जाये तो ही यह संभव है. अकेला व्यक्ति हिम्मत नहीं कर सकता है. न ही शिक्षा से कोई सामाजिक सुधार होता है. अभी सारे शिक्षित लोग ही नई नई कुरीतियों के, दिखावे और ढोंग के वाहक बने हुए हैं ! ऐसे में आप किसान को कितने ही उपदेश दो, वह अपने समाज से ज्यादा किसी को नहीं जानता है, किसी को नहीं मानता है ! जब उसका पूरा सामाजिक वर्ग ही परिवर्तन की हाँ भर देगा तो वह बल्ले बल्ले करते हुए तैयार हो जायेगा. तब आप देखिएगा कि अभिनव राजस्थान इस पहले पायदान पर कितनी बड़ी सफलता हासिल करेगा,. तब देखिएगा कि कैसे फसलों के उचित दाम देने के लिए व्यापारी किसान के घर जायेंगे. कि ले भाई मनमांगे दाम और निकाल फसल ! ऐसे में बड़े सट्टेबाजों और कालाबाजारियों की बारह बज जाएगी, जो इस गेम में छोटे व्यापारी और किसान दोनों को ठगते हैं.
अभिनव राजस्थान- अभिनव समाज की जमीन पर.