हम सब मिलकर आज से शुरू करते हैं. facebook के मंच से.
बुराई पर विजय का यह सबसे स्थाई और कारगर समाधान है.(share please)
मित्रों, आपके आसपास अच्छे लोग होंगे, आपके गाँव-शहर- मोहल्ले में अच्छी परम्पराएं होंगी, अच्छी घटनाएं घटती होंगी. ऐसा तो नहीं कि सब बुरा ही बुरा होता होगा, जैसा अखबार और चेनल दिखाने की कोशिश करते हैं ? हकीकत तो यह है कि समाज में आज भी अच्छाई ज्यादा है पर कम मार्केटिंग के कारण अच्छाई छुप जाती है. अच्छे लोग अपनी तारीफ़ खुद नहीं कर पाते, अपने काम को आलोचना के भय के कारण छिपाते हैं, शरमाते हैं और हम सब भी सामान्य मानवीय प्रवृति के कारण हर तरफ बुराई ढूढते रहते हैं. हम बुरी घटनाओं की आलोचना में ज्यादा समय देते हैं पर अच्छाई को कहने में कम रुचि लेते हैं. अच्छा है तो क्या कहना.
ओशो कहते हैं कि भारत में यह प्रवृति गुलामी के दौर में अधिक आई और हम समाज में आने वाली बुराइयों से लड़ते रहे या उनकी आलोचना करते रहे. हमारी अच्छाइयों को हम डर के मारे या आत्मविश्वास की कमी के चलते कहने से हिचकने लगे. अब यह योग और आयुर्वेद यहीं थे न, पर अब कितनी सदियों बाद बाबा रामदेव, राजीव दीक्षित और अन्य मनीषियों की सफल मार्केटिंग से यह विधा हमें विश्वपटल पर पुनः गौरवान्वित कर रही हैं.
आइये, ‘अभिनव राजस्थान’ के निर्माण के लिए एक आवश्यक तत्त्व 'अच्छाई की मार्केटिंग' करते हैं. मित्र मंडली को बताएं, इनके बारे में
१. कोई अच्छा व्यक्ति
२. कोई अच्छी परंपरा
३. कोई अच्छी घटना
४. कोई अच्छा प्रयास, भले सफल न हुआ हो.
ध्यान रहे कि यह सब वर्तमान के सन्दर्भ में होना चाहिए. भूतकाल में क्या होता था, इस मंच पर अभी उसका जिक्र न करें. जो भी ऐसी पोस्ट हो, मेरे मेसेज बॉक्स पर जरूर डालें ताकि मैं शेयर कर सकूँ. मैं कुछ कुछ एडिट भी कर दूँगा.
अच्छाई की मार्केटिंग
वंदे मातरम !