करदाता कौन ?
आज फिर परिभाषा पर लिखने का मन हो आया.
इस बजट में करदाताओं के लिए क्या रहा ? ऐसा वाक्य आते ही लगता है कि करदाता वही है जो आयकर या income tax , corporate tax या निगम कर देता है या फिर Excise duty,Custom duty, VAT और सेवा कर जमा करवाता है. जबकि –
इस देश का हर नागरिक, यहाँ तक कि भिखारी भी टेक्स देता है और वह ‘करदाता’ है. जब भी वह बाजार से कुछ खरीदता है, वह सरकार चलाने के लिए अपना हिस्सा या contribution दे देता है. यह अलग बात कि ये तथाकथित ‘करदाता’ उसके द्वारा दिए गए कर या टेक्स को सरकारी खाते में जमा करवाते हैं या नहीं.
लेकिन वही वोट देने को ही लोकतंत्र बताने वाले लोग यहाँ कुछ लोगों को करदाता बताकर इस देश की व्यवस्था को चलाने में आम आदमी के योगदान की घोर अनदेखी कर रहे हैं. इसी वजह से असली करदाता को लगत ही नहीं है कि यह सरकार उसके पैसे से चलती है. इसीलिये उसे इस खजाने में हो रही चोरी पर दुःख नहीं होता. इसीलिये वह इस व्यवस्था से अपनापन विकसित नहीं कर पाता है.
लोकतंत्र की स्थापना में यह मानसिकता बड़ी बाधा है. यह प्रचारित परिभाषा बड़ी बाधा है. देश के नागरिकों ने अभी लोकतंत्र का यह पहला पाठ ही ठीक से नहीं पढ़ा है. विकास की परीक्षा में कैसे पास हो पायेंगे ?
‘अभिनव राजस्थान अभियान’
जनजागरण से लोकतंत्र की स्थापना का एक प्रयास.
असली विकास के लिए.
वंदे मातरम !