अभिनव राजस्थान अभियान की अब तक की क्या खास उपलब्धि रही है ?
क्या हम यूं ही हल्ला गुल्ला ही तो नहीं कर रहे हैं ?
2009 से अब तक क्या हुआ है अभियान में और आगे क्या संभावना है ?
एकदम खरी खरी सुन लीजिये, विनम्रता से. मित्रों, शुभचिंतकों, तठस्थों, आलोचकों.
वाकई में, कल मैंने इस बारे में गम्भीरता से सोचा. सकारात्मक ढंग से. मजा आ गया सोचकर. जो मित्र बरसों से जुड़े हैं, उनको भी यह जानकार मजा आएगा और लगेगा कि हमने बहुत कुछ पाया है, बहुत कुछ किया है, राजस्थानी समाज और शासन के लिए. अभी तक की इस अभियान की पांच उपलब्धियां महत्वपूर्ण हैं.
1. इस अभियान ने लाखों लोगों के मन में एक शानदार राजस्थान प्रदेश का सपना तो जगा दिया है. अब भले, वे विश्वास न कर पायें कि यह पूरा होगा या नहीं पर, सपना जग तो गया. वर्ना, यहाँ ‘राज’ की अदला=बदली से आगे कुछ सोचा-समझा-बोला-लिखा-सुना नहीं जा रहा था. अभी तक कौन जीतेगा या हारेगा में ही सभी लोग उलझे हुए रहते हैं. लेकिन अब, ‘हम जीतेंगे’ का भाव अंदर ही अंदर जगा है. अभिनव राजस्थान की व्यवस्था स्थापित होते ही राजस्थान का प्रत्येक परिवार, प्रत्येक वर्ग जीत जायेगा.
2. दूसरे, इस अभियान के माध्यम से बहुत से युवाओं ने शासन के ‘अपना’ होने का अहसास किया है. अनेकों युवा सरकारी दफ्तरों में गए हैं और अधिकार भाव से फाइलों को खंगाला है, सूचना के अधिकार से. (नीचे ऐसे कुछ चित्र पेश किये हैं.) यह उपलब्धि जी को बहुत ख़ुशी से भर देती है. इसके साथ ही, सूचना के अधिकार से अनेकों आवेदन करके मित्रों ने शासन के कई पक्षों को समझा है. ऐसा भारत में पहली बार हुआ है. शासन की निंदा या स्तुति खूब हुई है पर अंदर जाकर जागरूक नागरिकों ने पहली बार झाँका है.
3. सूचना के अधिकार को भारत की संसद ने जिस भाव से भारत के नागरिकों को अर्पित किया था, उस भाव से इस अधिकार का उपयोग पहली बार इस अभियान में ही हुआ है. हमने शासन की योजनाओं और कार्यों का निरीक्षण और विश्लेषण किया है. पुलिस जवाबदेही समिति की स्थापना हो या फसल बीमा, हमने इस अधिकार से शासन में हलचल पैदा की है. वर्ना इस अधिकार को कई भाई लोग ने बहुत बदनाम कर दिया था. अभिनव राजस्थान के मित्रों ने इस अधिकार को व्यापक जनसमर्थन और प्रतिष्ठा दिलवाई है.
4. चौथे, हमारे गरिमामय सम्मेलनों ने पूरे राजस्थान में एक नई उमंग पैदा की है. गंगानगर से सिरोही और बाड़मेर से अलवर तक हमारे कार्यक्रमों ने राजस्थान के बाशिंदों को असली लोकतंत्र और असली विकास की अवधारणा से परिचित करवाया है. केवल वोट को ही लोकतंत्र समझने वाले लोग अब वोट से आगे की कहानी पर गौर करने लगे हैं. वर्ना अभी तक वोट देने को ही लोकतंत्र कहा जाता रहा है. अब जनता में यह बात बैठ रही है कि लोकतंत्र में तंत्र को पूरे पांच साल जनता के लिए काम करना चाहिए.
5. और अंतिम उपलब्धि हमारी यह रही कि हम एक ऐसे संगठन के रूप में उभरे हैं, जो सामाजिक भाईचारे और सहयोग की नींव पर खड़ा है. समाज को बांटने वाली ‘राजनीति’ की जगह समाज को जोड़ने वाली ‘लोकनीति’ अब पसंद की जाने लगी है, समझ आने लगी है. हमारे साथी जब सम्मेलनों में भाग लेते हैं तो उनका उत्साह, स्नेह और सादगी देखने लायक होती है. ऐसे लगता है, जैसे हर साथी अत्यंत महत्वपूर्ण है और बराबर सम्मान का अधिकारी है. अभियान में ‘मैं नहीं तो कुण’ के भाव से जिम्मेदारी ली जाती है.
मुझे लगता है कि ये उपलब्धियां कम नहीं हैं. कई लोगों को लगता है कि हमने अधिकारियों को डराया नहीं, उनकी नौकरी नहीं छीनी, लेकिन हम उस नकली ‘बहादुरी’ के चक्कर में कभी नहीं थे और न हैं. हमें तो पूरा राजस्थान अपना परिवार लगता है. हम समस्या का स्थाई समाधान करने में विश्वास करते हैं और वह समाधान है, पारदर्शिता, जागरूकता और जीवन मूल्यों में बदलाव. चोरी या बेईमानी तभी रुकेगी, समाज और देश के लिए काम करने का जज्बा तभी आयेगा. हम वही माहौल बनाने में लगे हुए हैं और कामयाब हो रहे हैं. सधे हुए क़दमों से.
आगे क्या ? आगे वही, जो मित्रों का मन है ! हमारी योजना तैयार है, अभिनव राजस्थान की व्यवस्था तैयार है. अब उसके लिए एक गतिशील औपचारिक संगठन की जरूरत है. वह संगठन, जो अभिनव राजस्थान की व्यवस्था को संभाल सके. इन दिनों यह काम चल रहा है जो दिसम्बर 2017 में पूरा होगा. कोई ढ़िलाई नहीं है, सब मूल रोडमेप के अनुसार चल रहा है, एक महीना भी देरी से नहीं हैं पर जल्दबाजी में हम फिसलना नहीं चाहते हैं. इतिहास के असफल प्रयोगों से सबक लेते हुए हम एक नई और अद्भुत संगठन रचना कर रहे हैं, ताकि कल को ‘धोखे’ वाले तत्व न रह जाएँ. जैसे आप किसी को मोबाइल करते हैं तो उसी नम्बर पर रिंग जाती है न, वैसा ही पक्का इंतजाम. ऐसे शानदार अभिनव राजस्थान के दर्शन 2019 में अब तय हैं. विश्वास रखें.
गर्व करिए कि आप अभिनव राजस्थान अभियान से जुड़े हैं.
खुश रहिये कि आपने अभी तक बहुत कुछ कर दिया है.
जुड़ जाइए इस अभियान से, अगर अभी तक किनारे खड़े हैं !
डॉ.अशोक चौधरी, अभिनव राजस्थान अभियान के लिए. बहुत खुशी से, स्नेह से, सम्मान से.
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