राजस्थान प्रदेश का जागरूक नागरिक होने के नाते मेरी ‘अभिनव राजस्थान’ के विचार से कमोवेश परिचितता बनी रही है। मैं आंदोलन शब्द से बचना चाह रहा हूं। विचाररहित एवं स्तरहीन नेतृत्व ने आंदोलन शब्द की महिमा, उसके गौरव और उसकी गंध को तकरीबन नष्ट कर डाला है।
“अभिनव राजस्थान” का विचार उमस भरी दोपहर में एक सुखद एवं सगन्ध ताज़ा झोंका है। इस विचार की गंगोत्री, इसके तीर्थों और भावी तीर्थों को मेरा शत–शत नमन।
इस विचार को समर्पित मुख-पत्र ‘रोचक राजस्थान’ को पढ़ने का पहला ही अवसर मिला। लगा कि यह मात्र समाचार पत्र नहीं है वरन् आम आदमी की भावनाओं, उसकी सामाजिक-राजनैतिक इच्छाओं की अभिव्यक्ति का मंच है। साथ ही इसका स्पर्श पाठक को चिन्तन–मनन एवं कुछ करने को प्रेरित करता है।
उसी प्रेरण के अधीन निवेदित हूं।
हमारे प्रदेश की वर्तमान दशा-दिशा के लिए मेरी दृष्टि में निम्न स्थितियाँ जिम्मेवार हैं जिनका विश्लेषण किया जाना अपेक्षित है।
1. हमारे प्रदेश का प्रथम श्रेणी का व्यक्ति आध्यात्मिक यात्रा में उत्सुक है। उसका लक्ष्य मोक्ष और ईश्वर प्राप्ति है। इस श्रेणी का व्यक्ति इस तथ्य को भूल रहा है कि दशा और दिशा का निरन्तर क्षरण उसकी आध्यात्मिक यात्रा के संसाधनों को सीमित ही नहीं वरन् समाप्त कर देगा। अध्यात्म के फूल मजबूत और गहन जड़ों वाले वृक्षों पर ही खिलते हैं।
2. द्वितीय श्रेणी का व्यक्ति सृजनात्मक विधाओं की ओर आकृष्ट है मसलन साहित्य, विज्ञान, वास्तु, शिल्प, संगीत, चित्रकला आदि। ये व्यक्तित्व भी सामान्यतः राजनैतिक, सामाजिक परिदृश्य के प्रति तटस्थ ही हैं। प्रत्येक सृजन को प्राण वायु की उपलब्धता स्वस्थ एवं विकसित समाज से ही संभव है। इसका प्रमाण भी है। जब भारत अपने स्वर्णिम काल में था तब इन विधाओं के शिखर ही हमने नहीं छुए वरन् नवीन शिखरों का सृजन भी हमने किया।
3. तृतीय श्रेणी का व्यक्तित्व प्रशासनिक एवं राजकीय सेवाओं में अपना आश्रय स्थल तलाश रहा है। वातावरण एवं परिवेश की प्रतिकूलता इस व्यक्तित्व की प्रतिभा एवं क्षमता के क्षरण की हेतु बनती है।
उपर्युक्त तीनों क्रमशः श्रेष्ठ व्यक्तित्वों की तटस्थता एवं राजनैतिक दायित्वों के प्रति उपेक्षा ने प्रदेश का राजनैतिक नेतृत्व करने का अवसर चतुर्थ श्रेणी के व्यक्ति को उपलब्ध करा दिया है। नतीजन प्रदेश की दशा और दिशा आप सभी के सामने है। अभिनव राजस्थान के विचार के माध्यम से हमारी अपेक्षा है कि इन प्रथम तीन श्रेणी के व्यक्तित्वों में राजनैतिक दायित्वों के निर्वहन हेतु राजनैतिक इच्छा शक्ति जागृत करें ताकि एक अनुकूल ज़मीन तैयार की जा सके, जिस पर शिक्षा, लोकतंत्र, विचार अभिव्यक्ति के बीज डालकर एक उन्नत और सुफलता के पुष्पों की फसल ली जा सकें।
एक अन्य पहलू पर भी हमें ध्यान देना होगा। सफल, सुफल, परिणामोन्मुखी एवं जन कल्याणकारी शासन की स्थापना हेतु दो तरह के राजनैतिक व्यक्तित्वों में समन्वय एवं समरसता की आवश्यकता होती है जो हैं – चन्द्रगुप्त और चाणक्य । दोनों व्यक्तित्व अपनी-अपनी भूमिका एवं दायित्वों का निर्वहन करें। अपनी-अपनी सीमाओं और मर्यादाओं में। सम्पूर्ण चाणक्यीय व्यक्तित्व का अर्थ है – चन्द्रगुप्त बनने का समग्र त्याग। प्रचार और प्रतिष्ठा से दूर, नेपथ्य में मौन कार्य करने की कुशलता एवं क्षमता। चन्द्रगुप्तीय व्यक्तित्व का अर्थ है अपनी निजी समझ, विवेक से पूर्वाग्रहों का समग्र परित्याग। चाणक्य द्वारा अनुशासित एवं समर्पित। लेकिन हमारा और हमारे प्रदेश का दुर्भाग्य – कि इन दो महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में न समन्वय है न समरसता। मैं किसी भी राजनैतिक व्यक्तित्व का नाम लिए बिना कहना चाहता हूं कि आप स्वयं दृष्टि दौड़ाएं और देखें कि प्रदेश के चाणक्य, चन्द्रगुप्त की लोकप्रियता और प्रतिष्ठा के लोभ से बच नहीं पा रहे हैं। दूसरी ओर यहां का चन्द्रगुप्त, अविश्वास से भरा चाणक्य को ही अपना दास बनाना चाहता है।
इस विडंबना जनक स्थिति पर भी अभिनव राजस्थान से चिन्तन मनन की अपेक्षा है। हमारी दृष्टि में सम्यक् चारित्रिक एवं मूल्य आधारित शिक्षा ही इस समस्या का समाधान है। लेकिन सम्यक् शिक्षा हेतु आमूल परिवर्तन, अथक श्रम, गहन धैर्य और गहरी प्रतीक्षा से ही संभव है। इतना समय शायद हमारे पास नहीं रहा है। इसलिए मैं इस मंच से जुड़े विभिन्न चिन्तनशील लोगों से अपेक्षा करता हूं कि वे इस समस्या का तात्कालिक एवं प्रभावी हल तलाशें।
असीम शुभकामनाओं के साथ।
वन्देमातरम्!
कुमार वर्मा, कुचामन सिटी
मो. 9982319595
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Dear Verma ji
Namaste.
उपर्युक्त तीनों क्रमशः श्रेष्ठ व्यक्तित्वों की तटस्थता एवं राजनैतिक दायित्वों के प्रति उपेक्षा ने प्रदेश का राजनैतिक नेतृत्व करने का अवसर चतुर्थ श्रेणी के व्यक्ति को उपलब्ध करा दिया है। नतीजन प्रदेश की दशा और दिशा आप सभी के सामने है.
this is real explanation to the origin of abhinav Rajasthan,AAJ NAHI TO KAD AAPAN NAHI TO KUN , Gives responsibility to us to think and act so that conducive atmosphere for good governance and development of the state is ensured
Thanking u very much
BHAGWAT SINGH RATHORE
R.A.S.