जैसे-जैसे 25 दिसम्बर की तारीख नजदीक आ रही है, तैयारियों को गति देने के प्रयास हो गये हैं। समाचार पत्र नियमित हो गया है। जून 2011 से दिसम्बर 2011 तक सात अंकों में सात विषयों पर हमारी रणनीति स्पष्ट होती जायेगी। पहली बार एक सकारात्मक कार्यक्रम को इतने बड़े स्तर पर आयोजित करना निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती है। परन्तु समय की माँग और हम सबकी मजबूत इच्छा शक्ति के चलते यह सम्भव भी लगने लगा है। अभियान का विचार अब राजस्थान के कोने-कोने में बैठे बुद्धिजीवी के पास पहुँच रहा है और उत्साह जनक प्रतिक्रियाएँ भी बराबर मिल रही हैं। सहयोग के लिए कई मित्रों ने कहा है। अनेक मित्रों ने समाचार पत्र के लिए मनीऑर्डर भी भेजे हैं। हालांकि हमने पहले भी कहा है कि आवश्यक धनराशि की व्यवस्था के लिए हमने कोचिंग क्लासेज चला रखी है और राजस्थान के सामान्य ज्ञान पर एक मौलिक व प्रामाणिक पुस्तक भी प्रकाशित करवाई है। फिर भी सहयोग एवं उत्साह वर्धन के लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं।
डाक विभाग की लेट लतीफी के कारण राजस्थान के कई क्षेत्रों में अखबार देरी से पहुँच रहा है। समय की नजाकत को देखते हुए हमने हमारी वेबसाइट www.abhinavrajasthan.org को भी अब व्यवस्थित कर लिया है। अभियान की धारणा, गतिविधियों की जानकारी और रोचक राजस्थान अखबार में छपे सभी लेख इस पर अब उपलब्ध हैं। हमारे मित्र श्री प्रदीप पाराशर, श्री कुलदीप सिंह चौहान, श्री निर्मल शर्मा और श्री सीताराम विश्रोई इस वेबसाइट पर तन्मयता से काम कर रहे हैं। आप इस वेबसाइट पर जाकर अभियान की गतिविधियों का जायजा ले सकते हैं और अपने सुझाव भी दे सकते हैं। अपने, मित्रों को भी आप इस वेबसाइट से जोड़ सकते हैं।
श्रीमाधोपुर (सीकर) का प्रवास 15 मई
जयपुर की तर्ज पर बसे इस शहर के पुस्तकालय में बुद्धिजीवियों से जमकर चर्चा हुई। क़स्बों की अपनी जीवन्तता रहती है और इसीलिए हमें अभिनव राजस्थान अभियान को क़स्बों एवं बड़े गाँवों में अधिक गति देनी है। श्रीमाधोपुर के विकास पर बात चली, तो यह सहमति बनी कि क़स्बे के लोगों की आमदनी बढ़े, तो असली विकास शुरू हो। मात्र महंगाई से या शहर में गाँव के लोगों के बसने से शहर के बाजार विकसित नहीं होंगे। शहर का अपना उत्पादन भी बढ़ना चाहिये, तभी यहाँ पूँजी बन पायेगी। वरिष्ठ जनों ने बताया की कभी श्रीमाधोपुर के पीतल और कांस्य के बरतनों को खरीदने जोधपुर से आया करते थे। रेलवे स्टेशन के बाहर धर्मशाला में ठहरते थे। लेकिन अब यहाँ के ठठेरों का काम सिमट गया है। जूतियाँ बनाने वाले कारीगर भी अपने व्यवसाय समेट रहे हैं, तो कुम्हारों का धंधा भी अब कम हो गया है। यानि श्रीमाधोपुर की भी वही कहानी है, जो राजस्थान के अन्य 200 क़स्बों की। इन कुटीर उद्योगों के लिए शासन की तरफ से कोई योजना ठीक से बन ही नहीं पायी है। योजना बनाये भी तो कौन? आई ए एस अफसर लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष बन जाते हैं, बस। उद्योग मंत्री लाल बत्ती की गाड़ी और बँगले से ज्यादा सोच ही नहीं पाते! उन्होंने मान रखा है कि राजस्थान में पूँजी नहीं है और इसलिए यहाँ उद्योग का वातावरण नहीं है। प्रवासी राजस्थानियों के आगे-पीछे शासन डोल रहा है कि वे यहाँ आये और हमारा उद्धार कर दें। लेकिन हकीकत तो यह है कि वे आयेंगे नहीं और आयेंगे, तो लूट की खुली छूट की शर्त पर, शोषण की छूट पर।
संयोग से हमारे वर्तमान उद्योग मंत्री श्री राजेन्द्र पारीक सीकर से ही हैं। श्रीमाधोपुर के विधायक श्री दीपेन्द्रसिंह शेखावत विधानसभा के अध्यक्ष हैं। क्या ये मिलकर इन कुटीर उद्योगों को बचाने के लिए आगे आयेंगे? यह भी जान लीजिए कि श्रीमाधोपुर के लोग फ्लोराइड युक्त खारा पानी पीते हैं, यहाँ कॉलेज शासन अभी तक नहीं खोल पाया है, जिला मुख्यालय सीकर को जाने वाली सड़क टूटी पड़ी है। स्कूल-अस्पताल की हालत खराब है। अगले चुनाव में विधायक बदलकर जनता अपना गुबार निकाल सकती है, परन्तु श्रीमाधोपुर के निवासियों की आमदनी बढ़ने का कोई जरिया इससे नहीं बन पायेगा। अभिनव राजस्थान की योजना से क़स्बे फिर उत्पादन केन्द्र बनेंगे। श्रीमाधोपुर भी। तब श्रीमाधोपुर विकास की राह पकड़ेगा।
श्रीमाधोपुर की यह चिंतन बैठक अभिनव राजस्थान के मित्र श्री दिलीप राष्ट्रवादी की पहल पर रखी गयी थी, इसकी अध्यक्षता स्वतन्त्रता सेनानी पं. घनश्याम शर्मा ने की थी। पण्डित जी ने बड़े जोश से बताया कि कैसे उन्होंने अपने परिवार के सभी सामाजिक कार्यक्रम अत्यन्त सादगी से सम्पन्न करवाये हैं और दहेज जैसी बीमारियों से परिवार को मुक्त रखा है। बैठक में कवि श्री सुरेन्द्र दूल्लर, श्री महावीर प्रसाद त्यागी, श्री गजानन्द गोयल, शिक्षक श्री सत्य नारायण शर्मा, श्री फूलचन्द, श्री शिवपाल योगी, श्री राजेश चौधरी, श्री ताराचन्द मीणा, पार्षद श्री सुन्दर लाल वर्मा, श्री परमेश्वर, श्री मदनलाल जीनगर, श्री बद्रीप्रसाद देवरीवाले, श्री मोहन व्यास, श्री महावीर महर्षि, श्रीमती प्रतिमा सिंह खर्रा, श्री अशोक जाँगिड़, श्री शंकर बिजारणियां एवं श्री राम किशन सैनी उपस्थित थे।
अजमेर में मन्थन (1 जून)
25 दिसम्बर की आम सभा को लेकर अजमेर के मित्रों से गम्भीर मन्त्रणा हुई है। कार्टूनिस्ट श्री दिलीप पारीक द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में जाने माने कवि श्री रास बिहारी गौड़, पत्रकार श्री गजेन्द्र बोहरा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शिवदयाल पारीक और पूर्व राजभाषा अधिकारी श्री ए.के.सिंगला ने भाग लिया। सभी ने एकमत से अभिनव राजस्थान अभियान को सफल बनाने के लिए प्रयास करने की बात कही। श्री रासबिहारी गौड़ ने राजस्थान की सभ्यता और संस्कृति पर पड़ रहे उलटे प्रभावों पर चिन्ता व्यक्त की और अभिनव संस्कृति के लिए गाँव-क़स्बों में व्यापक जनजागरण में अपने सहयोग का भरोसा दिलाया। आम सभा को लेकर भी कई महत्त्वपूर्ण सुझाव आये। अजमेर, मेड़ता शहर के पास होने के कारण अभियान के मीडिया मैनेजमेन्ट यहीं से करने पर सहमति बनी। बीकानेर से वेबसाइट और अजमेर से मीडिया की गतिविधियां संचालित होगी।
सरवाड़ में विचार विमर्श
अजमेर ज़िले के सरवाड़ क़स्बे में श्री निशान्त वैद्य एवं श्री राजेन्द्र हेड़ा ने एक चिन्तन बैठक आयोजित की। क़स्बे के जागरूक मित्रों, श्री धर्मेन्द्र अरोड़ा, श्री घीसालाल सैनी, श्री नीरज वैष्णव, श्री अंशुल पोरवाल, श्री मोजेन्द्रसिंह राव, श्री शिव प्रकाश पारीक आदि ने भाग लिया। सरवाड़ क़स्बे की भी वही कहानी, जो श्रीमाधोपुर की। क़स्बे के कुटीर उद्योग सिमट रहे हैं। आसपास के ग्रामीणों की खरीदी से बाजार चल रहा है। कुछ लोग गोटे का काम कर रहे हैं, तो कुछ कशीदे का। जूतियाँ बनाने वाले और मिट्टी के बरतन बनाने वाले कारीगरों की संख्या कम हो गयी है। अव्यवस्थाओं को गिनने में उंगलियाँ कम पड़ती हैं। क़स्बे की आमदनी कैसे बढ़े, यह न तो नेताओं का विषय है, न अफ़सरों का। शासन में बने रहने के लक्ष्य पर दोनों टिके हैं। अभिनव राजस्थान का सरवाड़ कस्बा फलते-फूलते कुटीर उद्योगों के दम पर समृद्ध होगा, तो शासन की सुधरी व्यवस्थाएँ फिर उम्मीद जगायेंगी। अभिनव समृद्धि के साथ संस्कृति और प्रकृति के रंगों से सरवाड़ सराबोर होगा। फिर यहाँ के सर (तालाब) क़स्बे की शोभा बढ़ायेंगे, तो त्योहारों पर कस्बेवासी झूमेंगे, नाचेंगे। सरवाड़ की जीवन्तता लौट आयेगी।
सरवाड़ के कुछ नौजवानों ने क़स्बे में चल रही मृत्युभोज की कुरीति पर अपनी परेशानी साफ जतायी है। अभी भी यहाँ किसी भी व्यक्ति के मरने पर बड़े आयोजन होते हैं। हमने उन्हें सलाह दी कि अपने स्तर पर प्रयास करें, समझायें, मनायें। उन्हें सफलता मिलेगी और यह फिजूलखर्ची बंद हो जायेगी। 25 दिसम्बर को वैसे भी प्रदेश भार में मृत्युभोज पर अंकुश लगाने की घोषणा होने वाली है।
25 दिसम्बर की आम सभा की रूपरेखा
इस आम सभा के मुख्य मंच पर प्रदेश के प्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार, कवि, पत्रकार, गायक, संगीतकार, चित्रकार, शिक्षाविद्, न्यायविद्, चिकित्सक और अभियन्ता विराजमान होंगे। उन्हीं के सान्निध्य में यह विशाल सभा होगी। हमारे मार्गदर्शक श्री सुरेश पंडित (अलवर) और श्री वेदव्यास (जयपुर) से हमने इस सूची को तैयार करने में उनका मार्गदर्शन चाहा है। दोनों ही प्रारम्भ से अभियान को दिशा निर्देश देते रहे हैं।
सभा में अभिनव राजस्थान के सात विषयों (सुरों) समाज, शिक्षा, शासन, कृषि, उद्योग, प्रकृति एवं संस्कृति पर सात विद्वान संक्षेप में भूमिका रखेंगे। फिर प्रत्येक विषय पर प्रदेश के सात प्रसिद्ध कवि, राजस्थानी भाषा में काव्य पाठ करेंगे। अलग-अलग संभागों के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रख कर इन नामों की सूची के लिए हमने श्री अनिल अनवर (जोधपुर), श्री रासबिहारी गौड़ (अजमेर) और श्री राजेन्द्र बारहठ (उदयपुर) से आग्रह किया है।
मंच के पृष्ठ में शहीद भगतसिंह और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तस्वीरों के बीच स्वामी विवेकानन्द की तस्वीर होगी। मंच के दांयी तरफ राजस्थान के शहीदों अमृता देवी विश्रोई, प्रताप सिंह बारहठ, सागरमल गोपा, बालमुकुन्द बिस्सा, नानक भील, काली बाई भील, नाना भाई खांट एवं वीरबलसिंह जीनगर की तस्वीरें होंगी। मंच के बांयी तरफ आधुनिक राजस्थान के निर्माताओं – अर्जुनलाल सेठी, विजयसिंह पथिक, केसरीसिंह बारहठ, माणिक्य लाल वर्मा, कुम्भाराम आर्य, गोविन्द गुरु और मोतीलाल तेजावत के चित्र होंगे। मंच के बांये कोने में कृष्ण भक्त मीरां की और दाहिने कोने में माँ सरस्वती की तस्वीरें होंगी।
इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए हम राजस्थान के सभी 200 विधायकों एवं 25 लोकसभा सांसदों को आमन्त्रण भेजेंगे। हम यह मानते हैं कि उन्हें ऐसे कार्यक्रम से दूर रखना न्यायोचित नहीं होगा, क्योंकि हम अभिनव राजस्थान में समूचे प्रदेश को एक बड़ा परिवार मानकर बात कर रहे हैं। सभी जनप्रतिनिधियों के बैठने की अलग व्यवस्था होगी। लेकिन मंच से कोई भाषण नहीं होगा। कवियों और जनता के बीच कोई नहीं आयेगा। यह जरूर ध्यान रखा जायेगा कि मंच से नेताओं और अफ़सरों की आलोचना नहीं होगी। भाषा सकारात्मक रहेगी। स्वस्थ व्यंग्य हो सकता है, परन्तु घृणा से भरे शब्दों से अभिनव राजस्थान का निर्माण नहीं हो पायेगा।
सभा में 30 हजार लोग भाग लेंगे। बुद्धिजीवी और जनता के बीच सार्थक संवाद की यह अभिनव पहल होगी। यह संवाद टूटने से ही हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। इस सभा के बाद राजस्थान के विभिन्न क़स्बों में भी ऐसी ही सभाएँ होंगी। हम बड़े शहरों की बजाय क़स्बों पर अधिक ध्यान देंगे। हमारी सभा ने जो सबसे महत्त्वपूर्ण घोषणा होगी, वह है – हम राजस्थान के लोग अपने और अपने बच्चों के लिए इस तरह की व्यवस्था चाहते हैं। चाहते हैं, माँगते नहीं। चाहने का अधिकार हमें इसलिए है, क्योंकि हम पाँच वर्षों में एक बार इसके लिए वोट देते हैं। चाहते इसलिए हैं, क्योंकि हम रोज शासन चलाने के लिए, सरकार चलाने के लिए टैक्स के रूप में नोट देते हैं, धन देते हैं। हमारी किसी व्यक्ति या दल से पूर्वाग्रह नहीं है। हमारा तो स्पष्ट संदेश है और वह शासन में रुचि रखने वाले सभी नेताओं, राजनैतिक दलों, अफ़सरों और कर्मचारियों के लिए है। हमें रोजगार के अवसर चाहिये, ताकि हमारे परिवारों की आमदनी बढ़े और हम इज्जत से, खुशी से जी सकें। हमें सरकारी स्कूल व्यवस्थित चाहिये, ताकि हमारे बच्चे घर के पास की स्कूल में कम खर्च में पढ़ सकें। हमें अस्पताल ठीक हालत में चाहिये, ताकि बीमारियों पर हमारी कमाई बर्बाद न हो। मुफ्त की दवाईयां नहीं चाहिए, अस्पताल की व्यवस्था अच्छी चाहिये। हमें साफ पीने का पानी चाहिये, 24 घंटे बिजली चाहिये और बिना खड्डों की सड़कें चाहिये। हम टोल टैक्स अलग से किसलिए दें? हमारी पहाडि़यां, तालाब, नदियाँ और पेड़ अब स्वार्थी हाथों की भेंट नहीं चढ़ेंगे। हमारे टी.वी. में, रेडियो में, समाज में आधुनिकता और स्वछंदता के नाम पर हम अश्लीलता बर्दाश्त नहीं करेंगे। मृत्युभोज और दहेज से अब हमारे परिवार मुक्ति चाहते हैं।
लेकिन हम केवल हवाई बातें नहीं करेंगे, उस दिन। हम शासन को योजनाएँ बनाकर देंगे, किस तरह से सात विषयों (क्षेत्रों) पर काम शुरू हो, ताकि प्रदेश विकास के पथ पर यात्रा शुरू कर सकें। चलिए, हम सब तैयारियाँ करें और हमारी किस्मत में बदलाव के लिए सुनहरे भविष्य के लिए उस सभा की सफलता की दुआ करें।
पिछले डेढ़-दो वर्षों से रोचक राजस्थान के माध्यम से विकसित राजस्थान के सपने को आपके साथ बाँट रहा हूँ। मानता हूँ कि चुनौती बड़ी है लेकिन जाने क्यूं प्रदेश के बुद्धिजीवी वर्ग पर विश्वास हो चला है। लगता है कि यह वर्ग समय की माँग को समझेगा और एक मजबूत राजस्थान के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका से पूरे भारत के लिए उदाहरण पेश कर देगा। और क्यों न करे। इतिहास में राजस्थान में भारत को हमेशा से सुरक्षा दी है और दिशा दी है। आपसे विनम्र आग्रह है कि अभिनव राजस्थान के अभियान से खुले मन से जुड़ें। शंकाओं, अविश्वास और निराशा को एक तरफ रख दें।
अभिनव राजस्थान की बहुत ही बढ़िया सराहनीय पहल मृत्यु भोज वास्तव में एक कलंक है और इसे बंद करना ही चाहिए क्योंकि कुछ धनी लोगों की वजह से दीन-दुखी अनाथ गरीब परिवार को मृत्यु भोज का शिकार होना पड़ता है तथा उसकी पूरी जिंदगी दरिंदगी में निकल जाती है….