या वे कुछ पैसा जमा भी कर लेंगे, तो उससे कितना सुख मिल पायेगा। उन्हें याद दिलाया जायेगा कि आज तक किसी भी भ्रष्ट अधिकारी का बेटा इन पैसों से सफल व्यवसाय खड़ा नहीं कर पाया है। फिर इस अंधी दौड़ में वे क्यों बर्बाद हो रहे हैं। यह भी कहा जायेगा कि वे अपने कार्य के लिए ऊपर वालों से शाबासी की प्रतीक्षा न करें। खुद ही अपने कार्य से संतुष्ट होना सीख़ें। वैसे जनता भी ऐसे कार्यों की तारीफ करे बिना कहाँ रह पाती है। इन अफ़सरों को ऐसे पत्र कोई नहीं लिखता है और न ही ऐसी सलाह देने की कोई सोचता है। यह सोचकर वे इसे जाने किस अंदाज में लेंगे। लेकिन अभिनव राजस्थान में तो प्रत्येक जागरूक नागरिक को आगे आने का आह्वान किया जायेगा और ऐसे में इन महत्वपूर्ण नागरिकों को दरकिनार करके क्यों रखा जाये। इन पत्रों पर क्या प्रतिक्रियाएँ होती हैं, अगले अंक में इन पत्रों के साथ ही प्रकाशित होंगी।
अभिनव राजस्थान के बढ़ते कदम 2
हमारी वेबसाइट, www.abhinavrajasthan.org old website www.rochakrajasthan.com
इंटरनेट के माध्यम को भी अभिनव राजस्थान अभियान के लिए उपयोग में लेने के लिए अपनी वेबसाइट तैयार करवायी गयी है। आप www.abhinavrajasthan.org पर जाकर इससे जुड़ सकते हैं। अपने comments भी दे सकते हैं। इस साइट को लोकप्रिय बनाने के लिए इस महीने इस पर कई रोचक जानकारियां डाली जायेगी। अभियान में जिन मित्रों से सम्पर्क हो पाया है, उनके नाम, पते, फोन, ईमेल आदि की जानकारी भी इस साइट पर उपलब्ध होगी। आपसे आग्रह है कि इस साइट से अवश्य जुड़ें। आप पुराने अंक भी इस साइट पर देख सकते हैं।
जिला अधिकारियों को पत्र
इस महीने में अलग-अलग विभागों के जिला स्तर के अधिकारियों को अभियान की तरफ से पत्र लिखे जा रहे हैं। शिक्षा, पेयजल, स्वास्थ्य, सड़क, पुलिस आदि विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों से आग्रह किया जायेगा कि वे राष्ट्र हित में अपनी कार्यशैली बदलें। यह भूल जायें कि उन्हें ऊपर से या राजनैतिक नेतृत्व के आदेश मिलेंगे तो ही कोई नया काम करेंगे। उन्हें यह कहा जायेगा कि जापान जैसी राष्ट्रभक्ति के जज्बे से भर जायें और इस जन्म में देश के लिए कुछ कर लें। वरन् इस कुर्सी पर कल कोई और आ जायेंगे, उनके नाम भी जल्दी ही भुला दिये जायेंगे।
पत्र, फोन वार्ताएँ और सम्पर्क
जोधपुर के साहित्यकार श्री अनिल अनवर ने दुर्जनों के मजबूत संगठनों पर चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार सज्जनों के संगठन या तो हैं ही नहीं और या हैं तो मजबूत नहीं है। अनिल जी से इस अभियान को लेकर बातचीत भी हुई है। दिसम्बर में होने वाली आम सभा की तैयारियों पर वैचारिक आदान-प्रदान भी हुआ है। जयपुर से वरिष्ठ स्तम्भ लेखक श्री राजेन्द्र शंकर भट्ट का विस्तृत पत्र प्राप्त हुआ है। भट्ट साहब इस अखबार को ‘चेतक राजस्थान’ मानते हैं, जो जन चेतना के लिए चलाया गया है। फिर भी उन्हें बुद्धिजीवियों की क्षमता और गंभीरता पर संदेह है। शायद उनकी शंका हम सब दूर कर सकें। उदयपुर के वरिष्ठ कर्म योगी श्री पथिक वर्मा हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत बन गये हैं। 90 की उम्र के बाद भी अरावली उद्घोष पत्रिका का नियमित प्रकाशन कर रहे हैं। उन्होंने रोचक राजस्थान को एक आवश्यक समाचार पत्र बताया है। उनकी दिली इच्छा है कि यह पत्र बराबर पाठकों को मिलता रहे।पाली के शायर हारून काशिफ, हमारे पत्र में स्व. कानदान कल्पित की कविताओं के सन्दर्भ से प्रसन्न हैं। हारून साहब, कानदान जी के साथ कवि सम्मेलनों में शिरकत कर चुके हैं। वे इस अभियान में सक्रिय होने की मंशा रखते हैं।कोटा के श्री अरविंद सोरल, ‘उफ! ये गुलामी’ लेख पर प्रतिक्रया में लिखते हैं कि अभी भी हम भ्रमित लोकतंत्र के शिकार हैं। बीकानेर के श्री असल अली ‘असद’ को विश्वास है कि अभिनव राजस्थान वैचारिक आंदोलन के कारण एक दिन विशाल जनसमूह उठ खड़ा होगा।जयपुर के श्री प्रमोद शर्मा भ्रष्टाचार की केमिस्ट्री लेख पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखते हैं कि मात्र पत्ते धोने से पेड़ हरा नहीं होता है, जड़ का उपचार ही स्थायी हल होता है। चौकीदारों की संख्या बढ़ाने से चोरियाँ नहीं रूकेंगी, ऐसा भी उनका मानना है।जोधपुर में एक दिन के प्रवास में सेवानिवृत्त सेशन एवं जिला न्यायाधीश श्री मांगीलाल गौड़ से कार्य योजना पर लम्बी चर्चा हुई है। गौड़ साहब इस अभियान में सक्रिय सहयोगी बनने को राजी हो गये हैं। फोन पर सवाईमाधोपुर के श्री अंसाल खलीफा, बारां के श्री प्रदीप मेरोठा, परलिका के श्री विनोद स्वामी, चित्तौड़ के श्री शीरीष त्रिपाठी, कोटा के श्री अनिल अग्रवाल, जोधपुर के श्री मुकेश लोढ़ा, ओमप्रकाश विश्रोई और मेजर शिवराज सिंह राठौड़ से वार्ताएँ उत्साहवर्द्धक रही हैं।
25 दिसम्बर 2011 को आम सभा की तैयारी
अभिनव राजस्थान अभियान की कार्ययोजना को जनता के समक्ष रखकर जन जागरण अभियान की शुरूआत दिसम्बर 2011 के अंतिम सप्ताह में होगी। हमारा यह स्पष्ट मानना है कि जनता की भूख जगाये बिना कितनी भी अच्छी सोच से बनी योजनाएँ निष्फल रहने वाली हैं। यही असली काम है, जो हमें आजादी के पहले और उसके तुरन्त बाद कर लेना चाहिए था। मगर हम महात्मा गाँधी और गुरू गोलवलकर की बातों को नकारते रहे और हमारे कुछ नेताओं की सत्ता की भूख ने हमें अंधकार और भ्रम में धकेल दिया। सत्ता हस्तान्तरण के इस खेल में देश के दो टुकड़े हुए और दोनों ही देश (अब तीन) आज तक कमजोरी से नहीं उबर पाये हैं। यह खतरनाक खेल ही हमारी समस्याओं के जड़ में है। इसीलिए हम अभिनव राजस्थान में इस जहर की दवा के रूप में सकारात्मक जनजागरण करेंगे। जनता को उसकी अपनी भाषा में उसके लिए आवश्यक व्यवस्था समझायी जायेगी। दिसम्बर की सभा मेड़ता शहर में ही होगी। मेड़ता, राजस्थान के बिल्कुल बीचों बीच स्थित है। मीरा की कृष्ण भक्ति के बीज ने यहीं पर पौधे का रूप लिया था। इस प्रथम सभा के बाद के कार्यक्रम संभागीय मुख्यालयों पर होंगे। इस सभा में 20 हजार लोगों की उपस्थिति रहेगी। अपने आप में यह अद्भुत कार्यक्रम होगा। प्रदेश भर के बुद्धिजीवी (लगभग एक हजार) यहाँ एकत्रित होंगे। बाकी स्थानीय जनता होगी। जाने माने पत्रकार, साहित्यकार, कवि, समाजसेवी, और चिंतक इस समारोह के साथी बनेंगे। मंच पर वरिष्ठ लोग बैठेंगे। विस्तार से इसकी रूपरेखा एक महीने के अंदर बन जायेगी। इस सभा में जो मूल उद्घोषणा होगी, वह बहुत ही महत्वपूर्ण होगी और राजस्थान के आधुनिक इतिहास की यह महत्वपूर्ण घटना होगी। इस सभा में नागरिक यह घोषणा करेंगे कि हम राजस्थान के लोग अपने लिए ऐसी व्यवस्था चाहते हैं। चाहते हैं, मांगते नहीं। हमें कोई नया राजनैतिक संगठन खड़ा नहीं करना है। हम दोनों दलों को मजबूत और लोकतांत्रिक पद्धति से संचालित देखना चाहते हैं। सभा में किसी भी व्यक्ति या संस्था या दल की आलोचना भी नहीं होगी। हमारे सातों विषय (सुरों)पर क्रमश: एक विद्वान मित्र हमारी कार्ययोजना को जनता के सामने रखेंगे। उनके बाद उसी विषय पर हमारे साथी कवि व शायर अपने अंदाज में बोलेंगे। जैसे एक सज्जन कृषि पर संक्षिप्त कार्ययोजना पढ़ेंगे, तो एक कवि इसी विषय पर अपनी रचना से जन मानस को आंदोलित करेंगे। भाषा राजस्थानी एवं हिन्दी दोनों रहेंगी, ताकि स्थानीय जनता से जुड़ाव हो सके। सभा 5-6 घंटे तक निर्बाध गति से चलेगी। 20 हजार की संख्या को आप ज्यादा न समझें। इसकी चिंता न करें, यह आसानी से हो जायेगा।