कई मित्रों को लगता है कि अभिनव राजस्थान अभियान को राजस्थान में जन जन तक पहुंचाने के लिए कोई ‘चमत्कार’ करना चाहिए ! ऐसा क्या कि कोई आरोप नहीं, कोई धरना नहीं, कोई भीड़ नहीं, किसी अधिकारी को जेल नहीं भिजवाया. फिर क्यों पब्लिक आपको कुछ मानेगी !
मित्रों, हमें न फिजूल के हल्के आरोप लगाने हैं, न धरने-प्रदर्शन करने हैं, न हमें भीड़ की जरूरत है और न हम किसी अधिकारी को जेल भिजवाने के लिए यह अभियान चला रहे हैं. हमें ‘चमत्कारों’ से पब्लिक में अपने आपको मनवाना भी नहीं है. कोई जल्दी नहीं है, कोई लालच नहीं है.
अगर हम यही करने निकले तो ‘राजनीति’ के खेल में और हमारी नीति में क्या फर्क होगा ?
तमाशों से से पब्लिक को आकर्षित करने में लग गए तो फिर हमारा संघर्ष क्या है ?
क्या हम किसी ‘सत्ता’ के लालच में ‘कुछ भी’ कर लेंगे ?
नहीं, कतई नहीं.
हमारा साध्य सही है तो साधन भी सही होने होंगे.
एक बार ‘गलत’ स्वाद लग गया तो साध्य से भटककर साधन में अटक जायेंगे.
इतिहास गवाह है.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की लिखी पवित्र लोकनीति पर कैसी भाजपा पनपी है ?
साधन गलत हों तो साध्य सही हो ही नहीं सकता. कोई भी कुतर्क दें.
सच्चाई रही हमारे काम में और नीयत साफ रही तो हमें कामयाब होने से कोई रोक नहीं सकेगा.
हमारी कामयाबी क्या होगी ?
अभिनव राजस्थान का निर्माण.
और यह जागृत, जिम्मेदार और संगठित नागरिकों के दम पर होगा. भीड़ से नहीं.
भीड़ से कोई समाज या देश समृद्ध नहीं बना है. भीड़ भ्रम फ़ैलाने से अधिक कुछ नहीं करती है. जैसे जुटती है तमाशा देखने, वैसे ही बिखर जाती है.
इजरायल, हौलेंड, न्यूजीलेंड, स्वीडन और जापान समर्पित नागरिकों के दम पर पनपे हैं. भीड़ से नहीं बने हैं.
हम वही काम राजस्थान की धरती पर करके दिखा दें.
चुनाव से पहले, चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद.
यह मैं आप मित्रों के दम पर विश्वास से कहता हूँ.
जो पिछले छः बरसों से मेरे साथ स्नेह, सम्मान और सहयोग के भाव से खड़े हैं. बिना डिगे.
अभी जयपुर के अभिनव राजस्थान के दिसम्बर सम्मेलन में बिडला सभागार में जो एक हजार क्रांतिकारी बैठे थे, वे ‘सामान्य’ लोग नहीं थे !
अद्भुत नागरिक थे.
भीड़ नहीं थे, जिन्दा, जागरूक और जिम्मेदार राजस्थानी नागरिक थे.
यह शक्ति कम नहीं है.
यह नागरिक शक्ति खड़ी होना ही हमारी अभी तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है. ये ‘नागरिक’ वर्तमान व्यवस्था को खुद की हासिल की हुई जानकारी से समझते हैं, अख़बार-चेनल या सुनी सुनाई बातों से नहीं. यही समझ आने वाले दिनों में राजस्थान को एक खूबसूरत, समृद्ध स्थान बनाने वाली है.
दूसरी बड़ी उपलब्धि, हमारी विस्तृत योजना है जो ‘असली लोकतंत्र, असली विकास’ नाम की पुस्तक के रूप में जयपुर सम्मलेन में जारी हुई है. यह राजस्थान के असली विकास के लिए तैयार किया हुआ पहला ‘मौलिक और तथ्य आधारित’ मॉडल है. इसके पीछे कई बरसों का अध्ययन, भ्रमण और अनुभव है.
एक हजार समर्पित, स्नेही मित्र, दस लाख की भीड़ से भारी होते हैं !
अब जयपुर में ही इस दिसम्बर में ये बीस हजार होने वाले हैं.
जनता का अपना शासन, पवित्र शासन राजस्थान में आना तय है.
(जिनको चमत्कार देखने हैं, भीड़ का हिस्सा बनना है, वे यहाँ समय खराब नहीं करें. उनकी भीड़ भरी बस छूट जाएगी. इधर नहीं झांकें, तमाशे कहीं और हैं.यहाँ जिम्मेदारी गले पड़ जाएगी ! चुनाव से पहले, चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद तो सबसे ज्यादा जिम्मेदारी.)
वन्दे मातरम् !
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