क्या हम चुनाव में भाग लेंगे ?
हाँ. अगर हम अपनी योजना और मुद्दों के पक्ष में राजस्थान के कम से कम एक लाख लोगों को तैयार कर सकें. इतना जनमत तो समर्थन में होना चाहिए. शुरुआत के लिए.
हाँ. अगर हम राजस्थान में कम से कम एक हजार ‘लोक नेता’ तैयार कर सकें जो किसी न किसी विषय में पारंगत होंगे, जो ‘मौलिक जानकारी’ के दम पर आत्मविश्वास से भरे होंगे.
हाँ. अगर हम दिसम्बर 2017 में राजस्थान के बीस हजार ‘जिन्दा, जागरूक, जिम्मेदार और अनुशासित’ नागरिकों का सम्मेलन कर सकें. भीड़ नहीं चाहिए हमें.
अगर हम यह जमीन तैयार कर सकते हैं तो हमें खुशी होगी चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने में. फिर हम जिम्मेदारी से नहीं भागेंगे. लेकिन हम मुद्दों पर बात करेंगे, लोकनीति पर बात करेंगे. किसी भी कीमत पर राज हथियाने की छलकपट की ‘राजनीति’ हमें नहीं करनी है. राजनीति कभी भी विकास नहीं कर सकती है, वह केवल जनता को धोखे देने की नीति है. हमें भारत की जनता के साथ यह पाप नहीं करना है.
हमारे माने बगैर जमीन तैयार किये फसल बोने का कोई अर्थ नहीं है. ऐसे में खरपतवार ही पैदा होगी, जैसा अभी के दल दलों में है. एक और दलदली जमीन पैदा होगी. इसलिए हमें कोई जल्दी नहीं है.
अगर राजस्थान के लोग वर्तमान ‘राजनीति’ में खुश हैं, मजे में हैं तो हमें कोई शिकायत नहीं होगी. अपेक्षित संख्याबल, मनबल नहीं जुटता है तो आगे नहीं बढ़ेंगे. हमारा प्रयास करने का फर्ज है.
एक और बात. कई लोग स्वाभाविक रूप से आम आदमी पार्टी से तुलना कर लेते हैं, ज्यादा गहराई में नहीं जाते हैं तो समानता दिखाई देती है. आम आदमी पार्टी, वर्तमान राजनीति को बदलना चाहती है, हम ऐसा नहीं चाहते हैं ! जब तक राजनीति है, झूठ, छल, कपट रहेगा. जुए या वैश्यावृति में कितना भी सुधार करो, बीमारी नहीं मिटती है, नए रूप ले लेती है ! आम आदमी पार्टी सफल तो हो रही है पर उसे भी अब ‘राजनीति’ की बीमारियाँ घेर रही हैं ! उन्होंने अच्छा ही सोचा होगा, उनकी समझ अपनी जगह पर हमारी अपनी समझ है. अपना अनुभव है, अध्ययन है.
इसलिए हम राजनीति की विदाई चाहते हैं. हमेशा के लिए, अंग्रेजों की तरह इन नए अंग्रेजों (सत्ता के भूखे अनेक राजनेताओं और अफसरों) की नीति को विदा करना चाहते हैं. हमें ‘राजनीति’ शब्द से ही एतराज है. यह राजतंत्र का शब्द है, लोकतंत्र में अनुचित है. राजनीति की जगह लोकनीति स्थापित करना ही हमारा लक्ष्य है. सस्ती लोकप्रियता, मुफ्त मुफ्त की जगह असली विकास पर काम करना है. वही अंतिम और स्थाई समाधान है. वर्ना वोट वोट का खेल ही होगा. मुद्दों पर जिम्मेदारी का चुनाव हमारा लक्ष्य है.
(यह स्पष्टीकरण उन मित्रों के लिए है जिनके मन में यह कीड़ा चलता रहता है कि हम चुनाव में भाग लेंगे या नहीं. उनके लिए भी जो छद्म अवतारवाद में अटके हैं !)
अभिनव राजस्थान अभियान,
राजनीति से लोकनीति की ओर ………….>>>>>>>>>>>
मिशन 2017