सम्मेलन के प्रारंभ में उदयपुर के उद्यमी मनोज जोशी ने ‘अभिनव राजस्थान’ को समय की मांग बताते हुए अपने विचार व्यक्त किये. उन्होंने भूमिका बांधते हुए आगंतुकों को इसकी सफलता का विश्वास दिलाया. मनोज की बात को विस्तार देते हुए चितौड़ जिले के अधीक्षण अभियंता राम किशन झींझा ने शासन के काम पर नजर रखने और नीति निर्माण में जनता की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता बताई. झींझा जी के भाषण के बाद समाज के कुछ विशिष्ट व्यक्तियों का उनके योगदान के लिए सम्मान किया गया. और फिर सम्मेलन अपनी ऊँचाइयों की तरफ बढ़ा, जब राम किशोर फिडोदा ने जनता के शासन का अहसास करवाया. उन्होंने सभी मित्रों से शासन का मालिक बनकर काम करने का पुरजोर आग्रह किया और इसके लिए ‘सूचना के अधिकार’ का खुलकर उपयोग करने की सलाह दी. राम किशोर जी की बात को पुट तब मिला जब नोखा के सामाजिक कार्यकर्त्ता चेतन राम गोदारा ने अपने अनुभव सुनाये. चेतन जी ने बताया कि अब तक नोखा क्षेत्र में लगभग एक करोड़ रूपये की रिश्वत उनके साथी जनता को अधिकारियों से वापस दिलवा चुके हैं. उपस्थित मित्रों के लिए यह जानना एक चमत्कार जैसा साबित हुआ. उनके हावभाव से लग रहा था कि उनको अब ‘अपने’ शासन को अनुभव करने की भूख और प्यास जग गई है. वे अब ‘शासक’ के भाषा बोलने के लिए बुदबुदाते से लगने लगे थे. वे अब किसी और के ‘राज’ होने की धुंध से बाहर झाँकने को उतावले हो रहे थे.
बीच बीच में मैंने ‘अभिनव राजस्थान अभियान’ के उद्देश्य और अब तक की प्रगति का ब्यौरा देना जारी रखा. राजस्थान भर में अपने भ्रमण का अनुभव भी उन्होंने मित्रों के साथ बांटा. लेकिन कार्यक्रम को शिखर पर पहुंचना अभी बाकी था. मंच पर जब त्याग की मूर्ति, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राजस्थान के प्रचारक प्रमुख नन्द लाल जी जोशी ने अपनी ओजस्वी वाणी में स्वामी विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डाला, तो मित्रगण समर्पण, निडरता और राष्ट्रप्रेम के भावों में डूब से गए. जोशी जी ने सकारात्मक भाव से परिवर्तन लाने को आवश्यक बताया और कहा कि समाज और देश को स्वामी जी की दृष्टि से देखने से ही वांछित निर्माण हो पायेगा. मंच संचालन राजीव पुरोहित ने किया. व्यवस्थाओं में ‘अभियान’ के स्थानीय मित्रों ने तन-मन-धन से योगदान किया.